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सोमवार, 1 मार्च 2021

कुण्डली मिलान में किन किन बातों का रखें ध्यान

कुण्डली मिलान (जुड़ाना) 

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हिन्दू सनातन धर्म बहुत विस्तार लिए हुए अपने आप मे नाना प्रकार रीति रिवाजों को सँजोये है ,जो वेद पुराण ज्योतिष आदि धर्म शास्त्रों का अनुसरण करते हुए अपने जीवन को प्रकाशित करता है। हिन्दू धर्म जब बच्चा जन्म लेता है तब से मृत्यु तक समय समय पर उसके सोलह संस्कार किये जाते है । इन्ही सोलह संस्कारों में एक विवाह संस्कार है ।

माता पिता के द्वारा लड़के के लिए कन्या का चयन किया जाता है ।कन्या के चयन से पहले लड़का व लड़की की जन्म कुण्डली मिलान किया जाता है ।

कुण्डली मिलान प्रायः दो प्रकार से किया जाता है।

1-नाम 

नाम से कुण्डली मिलान उत्तम पक्ष नही माना जाता है।

2- जन्म राशि व कुण्डली 

जन्म समय के द्वारा किया कुण्डली मिलान उत्तम माना गया है ।

कुण्डली मिलान की विशेषता -- 

सनातन धर्म मे विवाह पवित्र बंधन सात जन्मों का बन्धन माना जाता है ।मान्यताओं के अनुसार कन्या का विवाह जिस लड़के के साथ संपन्न किया जाता है ।तब से सात जन्मों तक यह बन्धन निभाना पड़ता है ।इसलिए योग्य लड़का व लड़की की कुण्डली लिया जाता है 

कुण्डली मिलान (गणना) से दोनों लड़का( वर) व लड़की(वधू) के बीच आपसी सामंजस्य बना रहे, सुख दुःख में एक दूसरे  का सहारा बनें रहे, पारिवारिक सुख आपसी  सामंजस्य कैसा रहेगा । संतान सुख, सौभाग्य सुख ,सास, ससुर ,भाई, बहिन, पति के लिए कन्या शुभ हो ।

विवाह गणना विचार --

कुण्डली मिलान में अष्ट कूट का विचार किया जाता है ।

वर्णो वश्य तथा तारा योनिश्च ग्रह मैत्रकम ।

गणमैत्र भकूटं च नाड़ी चैते गुणाधिकाः ।।

1वर्ण ,2 वश्य ,3 तारा,4 योनि,5 ग्रहमैत्री ,6 गणमैत्री,7 भकूट,8 नाड़ी ये आठ प्रकार के कूट है । जो क्रमशः एक दूसरे से अधिक गुण (अंक) वाले है । जिसके मिलान से 36 गुण प्राप्त होते है । कुण्डली मिलान में कम से कम 18 गुण विवाह के लिये होने चाहिए 18गुण से कम होने पर कुण्डली मिलान अच्छा नही माना जाता है ।इसलिए विवाह में 18 गुण से अधिक होने पर विवाह शुभ होता है ।

18 गुण तक निम्न

24 गुण तक मध्यम

24 से 36 उत्तम माना गया

अधिक गुण प्राप्त होने से कुण्डली के निम्न दोष खत्म हो जाते है ।

कुंडली विचार--

कुंडली मिलान करते समय इन सब बातों पर भी विचार करना चाहिए । विवाह में कुण्डली मिलान परम आवश्यक है।

1-मांगलिक दोष विचार

2- कुण्डली में दोष विचार

3-मुलादि नक्षत्र विचार

5- संतान विचार

6-सौभाग्य सुख विचार

7-वैधव्य दोष विचार

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पं हरीश चंद्र लखेड़ा

   ज्योतिषाचार्य

      वसई

जय बद्री विशाल



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