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शनिवार, 22 मई 2021

फुलदेई व फुल सग्यान

फूलदेई अर्थात फुल सग्यान 

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फुलदेई त्यौहार भारत के उत्तराखंड राज्य का लोकपर्व फूल देई संक्रान्ति चैत्र मास के १गते(पैट) को मनाया जाता है ।जो चैत्र मास के आगमन पर मनाया जाता है।

देवभूमि उत्तराखंड में बच्चे चैत्र मास के पहले दिन  बुराँस, फ्योंली, सरसों, कठफ्योंली, गुलाब, सेब, आड़ू, खुमानी,हिसार आदि फूलों को तोड़कर घर लाते हैं।

फिर दूसरे दिन वो एक थाल या रिंगाल की टोकरी में चावल के साथ रखकर गाँव के सभी बच्चे घर-घर जाकर फूलदेई का ये माँगल आशीष गीत गाते है ।

लोग बच्चों को आशीर्वाद देकर चावल, मिठाई और पैसे दक्षिणा के रूप में प्रस्तुत करते हैं।।


फुलदेई मंगल आशीष --

फूल देई, छम्मा देई,

देणी द्वार, भर भकार,

ये देली स बारम्बार नमस्कार,

फूले द्वार

हमर टुपर भरी जेँ

तुमर भकार भरी जौ

फूल देई-छ्म्मा देई


माँगल गीत के बोल का अर्थ :-


फूल देई – देहली फूलों से भरपूर और मंगलकारी हो ।

छम्मा देई – देहली, क्षमाशील अर्थात सबकी रक्षा करे ।

दैणी द्वार – देहली, घर व समय सबके लिए दांया अर्थात सफल हो।

भरि भकार – सबके घरों में अन्न धन्न का पूर्ण भंडार भरा हो।

देखा जाए तो "फूल संक्रान्ति" बच्चों को प्रकृति प्रेम और सामाजिक चिंतन की शिक्षा उनके बचपन से ही देने का एक आध्यात्मिक पर्व है।।

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ॐ जय गौरी नंदा

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