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बुधवार, 12 मार्च 2025

होली गीत (उत्तराखंड में गाई जाने वाली होली गीत)


उत्तराखंड की होली अपने आप मैं विशेष महत्व रखती है । कुमाऊं क्षेत्र मे होली गायन शैली खड़ी होली, बैठी होली ,एकदाशी कि संध्या पर होली का चीर बंधन किया जाता । बुढ़े बच्चे जवान सभी मिलकर ढोल नगारे की थाप पर घर - घर जाकर होली गीतों को गाते है । और परिवार जनों को आशीर्वाद प्रदान करते है ।परिवार के लोग होलियारो के स्वागत मैं चाय, पानी, गुजिया, गुड, पकोड़ी आदि देते है । सभी प्रसन्न हृदय से स्वागत सत्कार करते है। पांच दिन तक होली के होलियारे गांव, गांव जाकर होली गीत गाते है। पहली होली नगर ग्राम के देवता के स्थान पर गाई जाती है।


सुभद्रा भगवान कृष्ण जी से पूछती है , कि मेरा पुत्र अभिमन्यु कहां गया है ।

भगवान कृष्ण कहते हैं ।

किस तरह अभिमन्यु ने युद्ध में कौरवों के द्वारा रचित चक्रव्यूह का भेदन करते हुवे सातवें द्वार पर वीरगति को प्राप्त हुवे।


होली गीत...

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सुन हो घनानंद, सुन हो मुरारी ।

मेरो अभिमन्यु कहां गयो है ।।

तेरो अभिमन्यु रण में गयो हैं ।

पहला भी तोड़ा, दूसरा भी तोड़ा ।

तीसरे द्वारा में युद्ध भयो है ।। सुन हो...

तीसरा तोड़ा चौथा भी तोड़ा ।

पांचवे द्वार पे युद्ध भयो है ।। सुन हो...

पांचवा तोड़ा छठा भी तोड़ा ।

सातवे द्वार पे मरो गयो है ।।

सुन हो घनानंद, सुनो मुरारी ।

मेरो अभिमन्यु कहां गयो हैं ।।

तेरो अभिमन्यु मारो गए हैं..

ॐ जय गौरी नंदा

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