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बुधवार, 21 अक्टूबर 2020

नवरात्र के नवें दिन माँ सिद्धिदात्री की उपासना से समस्त सिद्धियाँ प्राप्त होती है।

सिद्धिदात्री--

सिद्ध गन्धर्व यक्षा द्यैरसुरैरमरैरपि । 

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ।।

माँ दुर्गाजी की नवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है । 

ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं । मार्कण्डेय पुराण में आठ सिद्धियाँ बतलाई गई हैं - अणिमा , महिमा , गरिमा , लघिमा , प्राप्ति , प्राकाम्य , ईशीत्व एवं वशित्व ।

 ब्रह्म वैवर्त पुराण में यह संख्या अठारह बताई गई है - 

( 1 ) अणिमा ( 2 ) लघिमा ( 3 ) प्राप्ति ( 4 ) प्राकाम्य ( 5 ) महिमा ( 6 ) ईशित्व , वशित्व ( 7 ) सर्वकामावसचिता ( 8 ) सर्वज्ञत्व ( 9 ) दूरश्रवण ( 10 ) परकाय प्रवेशन ( 11 ) वासिद्धि ( 12 ) कल्पवृक्षत्व ( 13 ) सृष्टि ( 14 ) संहारकरण सामर्थ्य ( 15 ) अमरत्व ( 16 ) सर्वन्यायकत्व ( 17 ) भावना ( 18 ) सिद्धि ।

 माँ सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियाँ देने में समर्थ है । 

देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था । इनकी कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था और वे अर्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए । ये चार भुजाओं वाली हैं । इनका वाहन सिंह है । ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती है । इनकी दाहिने तरफ के नीचे वाले हाथ में चक्र , ऊपर वाले हाथ में गदा तथा बांयी तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प है । दुर्गा के इस स्वरूप को देवता , ऋषि , मुनि , सिद्ध , योगी , साधक और भक्त सभी सर्वज्ञेय की प्राप्ति के लिए आराधना करते हैं ।

ॐ जय गौरी नंदा

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