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मंगलवार, 21 जुलाई 2020

श्री बजरंग बाण




कुछ दुष्ट अदृश्य शक्तियां कभी कभी चिन्ता व तनावग्रस्त कमजोर मानस वाले व्यक्तियों को ग्रह दशा अथवा अपवित्रता रूपी  दोष के कारण सताती हैं । इस प्रकार की बाधाओ को दूर करने के लिए मन मे आत्म विश्वास और मनोबल जगाकर बजरंग बाण का अमोघ अस्त्र है । नियमित पाठ से अनायास उत्पन्न भय ओर सब प्रकार के कष्टों का अंत होता है।

 सर्वप्रथम पवित्र हो  धूप दीप उपचार से श्री हनुमान जी की पूजा कर उनका अपने हृदय में ध्यान करे । 


         अतुलित बल धामं  हेम शेलाभदेहं।

         दनुज बन कृशानु ज्ञानिनामग्रगण्यम।।

         सकल गुण निधानं वानराणामधीशं  ।

         रघुपति प्रिय भक्तं वातजातं नमामि ।।


  ।।  श्री बजरंग बाण।।

निश्चय प्रेम प्रतीति ते विनय करै सन्मान।

तेहि के कारज सकल शुभ सिध्द करै हनुमान ।।


           जय हनुमंत संत हितकारी

           सुन लीजै प्रभु विनय हमारी

           जन के काज विलंब न कीजे

           आतुर होहि महासुख दीजे । ।


            जैसे कूदि सिन्धु के  पारा 

            सुरसा बदन पैठि विस्तारा 

           आगे जाय  लंकिनी रोका 

            मारेहु लात गई सुर लोका ।।


           जाय विभीषण को सुख दीन्हा 

           सीता निरखि परमपद लीन्हा 

           बाग उजारि सिंधु महँ बोरा 

           अति आतुर जमकातर तोरा । ।


          अक्षयकुमार मारि संहारा 

          लूप लपेटि लंक को जारा

          लाह समान लंक जरि गई 

          जय जय धुनि सुरपुर नभ भई । ।


       अब विलम्ब केहि कारण स्वामी 

        कृपा  करहुं  उर  अंतरयामी 

        जय जय लखन प्राण के दाता 

       आतुर हो दुःख कर हु निपाता । ।


         जय हनुमान जयति बल सागर

         सुर समूह समरथ भटनागर 

     ॐ हनु  हनु  हनु  हनुमत  हठीले 

         बैरिहि  मारू बज्र  की  कीले ।।


      ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमन्त कपीशा

      ॐ हुँ हुँ हुँ हनु अरि ऊर शीशा

          जय अंजनि कुमार बलवंता

         शंकर सुवन   बीर हमुमन्ता ।।


        वदन कराल काल कुल घालक

        रामसहाय सदा प्रतिपालक

        भूत प्रेत पिशाच निशाचर 

        अगनि बेताल काल मारी मर ।।


         इन्हे मांरू तोहि शपथ राम की 

         राखु नाथ मरजाद नाम की

         सत्य होहु हरि शपथ पाइ के

         राम दूत धरू मारि धाई के ।।


          जय जय जय हनुमंत अगाधा

          दुःख पावत जन केहि अपराधा

          पूजा  जप  तप नेम  अचारां 

          नहिं जानत कछु दास तुम्हारा ।।


          वन उपवन मग गिरि गृह मांही

          तुम्हरे बल हो डर पत नाही 

          जनक सुता हरि दास कहावो 

          ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।।


            जय जय जय धुनि होत आकाश

            सुमिरत होय दुसह दुःख नाशा 

            चरन पकरि कर जोरी मनावों 

            येही ओसर अब केहि गोहरावों । ।


            उठ उठ चलु तोहि राम दोहाई 

            पाय परों कर जोरि मनाई 

         ॐ चम चम चम चम चपल चलंता

         ॐ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।


          ॐ हँ हँ हाँक देत कपि चंचल

          ॐ सँ सँ सहमि पराने खल दल 

             अपने जन को तुरंत उबारो 

             सुमिरत होय आनन्द हमारो ।।


            यह बजरंग बाण जेहि मारै 

            ताहि कहो फिर कोन उबारे 

            पाठ करे बजरंग बाण की 

            हनुमत रक्षा करै प्राण की । ।


            यह बजरंग बाण जो जापै

            तासों भूत प्रेत सब कांपे

            धूप देय जो जपे हमेशा 

            ताके तन नहीं रहे कलेशा । ।


        दोहा 

    उर प्रतीति दृढ़ शरण ह्वै पाठ करे धरि ध्यान ।

    बाधा सब हर करें सब काम सफल हनुमान ।।

      ।। सिया वर रामचंद्र की जय।।

      ।। पवनसुत हनुमान की जय।।

      ।।उमापति महादेव की जय।।

ॐ जय गौरी नंदा

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