उत्तराखंड में विकाश


आज भारत को आजाद हुए ,74 साल होने जा रहे है। एक मनुष्य जन्म लेकर 74 साल में मरं भी जाता है।ऐसी कुछ अच्छी सोच लेकर उत्तराखंड के क्रांतिकारी वीरो ने यही सोचकर उत्तराखंड अलग की मांग की ,शायद जो अवसर हमे नही प्राप्त नही हुआ , हमारे बच्चों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा । जो विकास या सुविधा हमे नही मिली वो आने वाली पीढ़ी को मिले।पर नियति को कौंन जान सकता है ।कि उत्तराखंड अलग राज्य बनाने के बाद बेरोजगारी भुखमरी स्वस्थ्य सुविधा की अनदेखी  यातायात जैसी अनेक समस्याओं से लोग पीड़ित है।उनका हाल जानने वाला कोई राजनेता नही ।सभी अपनी झोली भरने में लगे है।आज उत्तराखंड अलग राज्य बनकर 20 वर्ष हो गये है।हालात जस के तस बने है।इतना जरूर हुआ है कि उत्तराखंड के लोग गांव छोड़कर अन्य शहरों में पलायन कर चुके है या कर रहे है,इनता विकास जरूर हुआ गांव खाली हो गये है। अब बहुत देर हो चुकी है।आज लाखो परिवार कश्मीरियो की तरह अपना गांव छोड़ चुके है।जिसकी जिम्मेदार भारत सरकार व उत्तराखंड सरकार दोनों है।


गांव में सरकारी सुविधा--

गांव से सड़के गायब 

गांव से अस्पताल गायब

गांव से पानी गायब

गांव से शिक्षा गायब

गांव से रोजगार गायब

गांव से डॉक्टर गायब 

गांव से युवा वर्ग गायब

गांव से खेती गायब

गांव से यातायात सुविधा गायब

रोजगार--



उत्तराखंड में रोजगार के अवसर बहुत है।पर आम जनता के लिए नही ।पेपर में रोजगार विज्ञापन आते है। पर अन्दर ही अन्दर पद किसको मिलता है ,कोई नही जानता ,उत्तराखंड में बहुत परिवार है, जिनकी पीढ़ी दर पीढ़ी मरं चुकी है,पर आज तक किसी को सरकार का 1 रु भी मदद या रोजगार नही मिला ।भारत की एक परम्पर जो वंशवाद ,जो हमे राजनीति, शिक्षा ,सेना या अन्य विभाग में दिखाई देता है।जिनकी पीढ़ी दर पीढ़ी वही काम करती है।

उत्तराखंड में  एक परिवार के एक सदस्य को रोजगार दिया ।जिससे कोई गरीब ना रहे।और पलायन रुक सके।

जय उत्तराखण्ड



उत्तराखंड में बहुत से हरे भरे गांव आज खाली हो गये है।जो अपनी पहचान भूलकर भूतिया गांव के नाम से जाने जाते है।जिस गांव में कभी बच्चों की किलकारी सुनाई देती थी,आज वे गांव निर्जन हो गये है।अपनी पुरानी यादें झोड़ा ,चांचरी,जागर,जैसी लोक गाथा समाप्त हो रही है।

देव भूमि कही भूतिया भूमि  ना हो जाय ।

कृषि--

 उत्तराखंड में कृषि के अवसर बहुत है। जल संसाधनों  की कमी, जंगली जानवरो के द्वारा खेती को नुकसान पहुँचना, जो किसानों की कमर तोड़ देती है।सरकार अगर इन सभी पर संज्ञान ले ,तो किसानों को व सरकार को लाभ मिलेगा।आज के समय मे उत्तराखंड में खेती शून्य हो गयी है।



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