श्रावण मास में रुद्राभिषेक शिव पूजन सोमवार व्रत का विशेष महत्व है।भगवान साम्बसदाशिव अपने भक्तों के लिए कल्याणकारी अमंगलहारी है वे भक्तों की पीड़ा व रक्षा के लिए हमेशा भक्तों साथ मे रहते है। जो मनुष्य सदा शिव पंचाक्षरी,, ॐ नमः शिवाय,, मंत्र का जप करता है।वह जन्मजन्मांतर के दुःखो व पुनरागमन से निवृत हो शिवलोक में वास करता है।भोलेनाथ जी को सावन का महिना प्रिय है।इसलिए भोले बाबा सावन मास में पृथ्वी में वास करते है।जो भी शिव भक्त सावन में शिव जी का जलाभिषेक करता है, भोलेनाथ उसके सारे कष्ट हर लेते है, भक्तो की सारी मनोकामना का पूर्ण करते है।
स्कन्द पुराण में लोमश जी कहते हैं ।जो मनुष्य शिवमन्दिर के ऑगन में झाडू लगाते हैं , वे निश्चय ही भगवान् शिव के लोक में पहुँचकर सम्पूर्ण विश्व के लिये वन्दनीय हो जाते हैं । जो भगवान् शिव के लिये यहाँ अत्यन्त प्रकाशमान दर्पण अर्पण करते हैं , वे आगे चलकर शिवजी के सम्मुख उपस्थित रहनेवाले पार्षद हेंगे । जो लोग देवाधिदेव ,शूलपाणि ,शंकर को चवँर भेट करते हैं।वे त्रिलोकी में जहाँ कही जन्म लेंगे,उन पर चँवर डुलता रहेगा । जो परमात्मा शिव की प्रसनता के लिये धूप निवेदन करते हैं।वे पिता और नाना दोनों के कुलों का उद्धार करते हैं तथा भविष्य में यशस्वी होते हैं। जो लोग भगवान् हरि - हर के सम्मुख दीप दान करते है।वे भविष्य में तेजस्वी होते और दोनों कुलों का उद्धार करते हैं।जो मनुष्य हरि - हरके आगे नैवेद्य निवेदन करते हैं ,वे सम्पूर्ण यज्ञका फल पाते हैं।जो लोग टूटे हुए शिव मन्दिर को पुनः बनवा देते हैं,वे निस्सन्देह द्विगुण फल के भागी होते हैं।जो ईट अथवा पत्थर से भगवान् शिव तथा विष्णु के लिये नूतन मन्दिर निर्माण कराते हैं।वे तब तक स्वर्गलोक में आनन्द भोगते हैं।जबतक इस पृथ्वीपर उनकी यह कीर्ति स्थित रहती है।
श्रावण मास मनुष्यों में ही नही अपितु पशु पक्षियों में भी एक नव चेतना का संचार करता है जब प्रकृति अपने पुरे यौवन पर होती है। नदी तालाब जल से भरपूर होते है। सावन में मौसम का परिवर्तन होने लगता है।प्रकृति हरियाली और फूलो से धरती का श्रुंगार करती है परन्तु धार्मिक परिदृश्य से सावन मास भगवान शिव को ही समर्पित रहता है।
श्रावण महीने में शिवजी का व्रत या उपवास रखा जाता है।श्रावण मास में पुरे माह भी व्रत रखा जाता है। इस महीने में प्रत्येक दिन स्कन्ध पुराण के एक अध्याय को अवश्य पढना चाहिए। यह महीना मनोकामनाओ का इच्छित फल प्रदान करने वाला माना जाता है। पुरे महीने शिव परिवार की विशेष पूजा की जाती है।
सावन मास में रखे गये व्रतो की महिमा अपरम्पार है।जब सती ने अपने पिता दक्ष के निवास पर शरीर त्याग दिया था उससे पूर्व महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। पार्वती ने सावन के महीने में ही निराहार रहकर कठोर तप किया था और भगवान शंकर को पा लिया था। इसलिए यह मास विशेष हो गया और सारा वातावरण शिवमय हो गया।
इस अवधि में विवाह योग्य लडकियाँ इच्छित वर पाने के लिए सावन के सोमवारों पर व्रत रखती है इसमें भगवान शंकर के अलावा शिव परिवार अर्थात माता पार्वती , कार्तिकेय , नन्दी और गणेश जी की भी पूजा की जाती है। सोमवार को उपवास रखना श्रेष्ट माना जाता है।
श्रावण मास में भगवान शिव के कैलाश में आगमन के कारण व श्रावण मास भगवान शिव को प्रिय होने से की गई समस्त आराधना शीघ्र फलदाई होती है।पद्म पुराण के पाताल खंड के अष्टम अध्याय में ज्योतिर्लिंगों के बारे में कहा गया है कि जो मनुष्य इन द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करता है, उनकी समस्त कामनाओं की इच्छा पूर्ति होती है। स्वर्ग और मोक्ष का वैभव जिनकी कृपा से प्राप्त होता है।
श्रावण मास भी अपना विशेष महत्व रखता है। संपूर्ण महीने में चार सोमवार, एक प्रदोष तथा एक शिवरात्रि,हरि तालिका तीज, नागपंचमी ये योग एकसाथ श्रावण महीने में मिलते हैं। इसलिए श्रावण का महीना अधिक फल देने वाला होता है।श्रावण में पार्थिव शिवपूजा का विशेष महत्व है। अत: प्रतिदिन अथवा प्रति सोमवार तथा प्रदोष को शिवपूजा या पार्थिव शिवपूजा अवश्य करनी चाहिये ।
प्रातःकाल स्नान ध्यान से निवृत्त हो मंदिर या घर पर श्री गणेश पंचांग पूजा करके शिव पंचायतन -शिव,पार्वती ,गणपति ,कार्तिकेय नंदी,नाग की पूजा की जाती है।भगवान भोलेनाथ को जल , दूध , दही , घी ,शहद, शक्कर,पंचामृत से स्नान कर रुद्राभिषेक करें ।वस्त्र जनेऊ , चंदन , भस्म,रोली , फूलमाला,बेल पत्र , भांग , धतूरा , आदि से अलंकृत करें।धूप , दीप दिखाकर नैवेद्य अर्पण करें, दक्षिणा आरती प्रदक्षिणा नमस्कार करे।इस प्रकार से भगवान उमापति का पूजन किया जाता है। शिव की महिमा का गुणगान शिव स्त्रोत्र शिव चालीसा शिव पुराण का पाठ करें। इस मास में रुद्राभिषेक , लघुरुद्र, महारुद्र अथवा अतिरुद्र पाठ कराना चाहिए।
शास्त्रों और पुराणों में श्रावण मास को अमोघ फलदाई कहा गया है।
-विवाहित महिलाओं को श्रावण मास में व्रत पूजन करने से परिवार में खुशियां, समृद्घि और सम्मान व सन्तान का सुख प्राप्त होता है,
-पुरूषों को व्रत करने से कार्य-व्यवसाय में उन्नति,शैक्षणिक गतिविधियों में सफलता और आर्थिक रूप से मजबूती मिलती है।
-अविवाहित लड़कियां यदि श्रावण के प्रत्येक सोमवार को शिव परिवार का विधि-विधान से पूजन करती हैं तो उन्हें अच्छा घर और वर मिलता है।
हर हर महादेेेव
आचार्य हरीश चंद्र लखेड़ा
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