कलयुग का लक्षण---
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कलयुग को युग श्रेष्ठ माना गया है ,जिसमे कम समय मे अधिक फल देने वाला है ,सोचने मात्र से मनुष्य पुण्य अर्जित कर सकता है । कलयुग सभी युगों में तकनीकी मशीनी युग के रूप में अधिक शक्तिशाली होगा । कलयुग में नाना प्रकार के आविष्कार होने से मनुष्य में आलस्य का प्रभाव होगा अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए अपनो को ही धोका छल के द्वारा अपना ईस्ट सिद्ध करेगा। मनुष्य - मनुष्य में आपसी सामंजस्य का अभाव होगा कलयुग में जिसके पास अधिक धन धान्य होगा वही राजा कहलायेगा ।जैसे -जैसे कलयुग का समय बीतेगा वैसे -वैसे मनुष्य में राक्षसी प्रवृत्ति का प्रादुर्भाव होते जाएगा । आडम्बर ,छल, कपट, चोरी करने वालो की हमेशा जय जयकार होगी वही समाज मे अग्रगण्य पूज्य होगा, दुर्जन समाज में अधिक प्रभावशाली होगा । कलयुग में महिलाओं को अत्याचार से अपनी सुरक्षा स्वयं करनी होगी ।
कलयुग का लक्षण --
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वेद हीन ब्राह्मण ,रण हीन क्षत्रिय ।
मेघ हीन पानी , यही कलयुग की निशानी ।।
कलयुग में ब्राह्मणों के पास वेद ग्रन्धों के ज्ञान अभाव होते जाएगा ।क्षत्रियों में लड़ने योग्य बाहुबल की कमी हो जाएगी। बादल गर्जना होगी पर बारिश का अभाव रहेगा ।
कलयुग के विषय मे व्यास जी ने कुछ लक्षण बातये है---
१.ततश्चानुदिनं धर्मः सत्यं शौचं क्षमा दया ।
कालेन बलिना राजन् नङ्क्ष्यत्यायुर्बलं स्मृतिः ॥
कलयुग में धर्म, स्वच्छता, सत्यवादिता, स्मृति, शारीरक शक्ति, दया भाव और जीवन की अवधि दिन-ब-दिन घटती जाएगी.
२.वित्तमेव कलौ नॄणां जन्माचारगुणोदयः ।
धर्मन्याय व्यवस्थायां कारणं बलमेव हि ॥
कलयुग में वही व्यक्ति गुणी माना जायेगा जिसके पास ज्यादा धन है. न्याय और कानून सिर्फ एक शक्ति के आधार पे होगा!
३.दाम्पत्येऽभिरुचि र्हेतुः मायैव व्यावहारिके ।
स्त्रीत्वे पुंस्त्वे च हि रतिः विप्रत्वे सूत्रमेव हि ॥
कलयुग में स्त्री-पुरुष बिना विवाह के केवल रूचि के अनुसार ही रहेंगे.व्यापार की सफलता के लिए मनुष्य छल करेगा और ब्राह्मण सिर्फ नाम के होंगे.
४. लिङ्गं एवाश्रमख्यातौ अन्योन्यापत्ति कारणम् ।
अवृत्त्या न्यायदौर्बल्यं पाण्डित्ये चापलं वचः ।।
घूस देने वाले व्यक्ति ही न्याय पा सकेंगे और जो धन नहीं खर्च पायेगा उसे न्याय के लिए दर-दर की ठोकरे खानी होंगी. स्वार्थी और चालाक लोगों को कलयुग में विद्वान् माना जायेगा.
५. क्षुत्तृड्भ्यां व्याधिभिश्चैव संतप्स्यन्ते च चिन्तया ।
त्रिंशद्विंशति वर्षाणि परमायुः कलौ नृणाम ।।
कलयुग में लोग कई तरह की चिंताओं में घिरे रहेंगे. लोगों को कई तरह की चिंताए सताएंगी और बाद में मनुष्य की उम्र घटकर सिर्फ २०-३० साल की रह जाएगी.
६. दूरे वार्ययनं तीर्थं लावण्यं केशधारणम् ।
उदरंभरता स्वार्थः सत्यत्वे धार्ष्ट्यमेव हि॥
कलयुग में लोग दूर के नदी-तालाबों और पहाड़ों को तीर्थ स्थान की तरह जायेंगे, लेकिन अपने ही माता- पिता का अनादर करेंगे. सर पे बड़े बाल रखना खूबसूरती मानी जाएगी और लोग पेट भरने के लिए हर तरह के बुरे काम करेंगे.
७. अनावृष्ट्या विनङ्क्ष्यन्ति दुर्भिक्षकरपीडिताः ।
शीतवातातपप्रावृड् हिमैरन्योन्यतः प्रजाः ॥
कलयुग में बारिश नहीं पड़ेगी और हर जगह सूखा होगा. मौसम बहुत विचित्र अंदाज़ ले लेगा. कभी तो भीषण सर्दी होगी तो कभी असहनीय गर्मी. कभी आंधी तो कभी बाढ़ आएगी और इन्ही परिस्थितियों से लोग परेशान रहेंगे.
८. अनाढ्यतैव असाधुत्वे साधुत्वे दंभ एव तु ।
स्वीकार एव चोद्वाहे स्नानमेव प्रसाधनम् ॥
कलयुग में जिस व्यक्ति के पास धन नहीं होगा उसे लोग अपवित्र, बेकार और अधर्मी मानेंगे. विवाह के नाम पे सिर्फ समझौता होगा और लोग स्नान को ही शरीर का शुद्धिकरण समझेंगे.
९. दाक्ष्यं कुटुंबभरणं यशोऽर्थे धर्मसेवनम् ।
एवं प्रजाभिर्दुष्टाभिः आकीर्णे क्षितिमण्डले ॥
लोग सिर्फ दूसरों के सामने अच्छा दिखने के लिए धर्म-कर्म के काम करेंगे. कलयुग में दिखावा बहुत होगा और पृथ्वी पे भ्रष्ट लोग भारी मात्रा में होंगे. लोग सत्ता या शक्ति हासिल करने के लिए किसी को मारने से भी पीछे नहीं हटेंगे.
१०.आच्छिन्नदारद्रविणा यास्यन्ति गिरिकाननम् ।
शाकमूलामिषक्षौद्र फलपुष्पाष्टिभोजनाः ॥
पृथ्वी के लोग अत्यधिक कर(मंहगाई) और सूखे की वजह से घर छोड़ पहाड़ों पे रहने के लिए मजबूर हो जायेंगे. कलयुग में ऐसा वक़्त आएगा जब लोग पत्ते, मांस, फूल और जंगली शहद जैसी चीज़ें खाने को मजबूर होंगे।
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आचार्य हरीश चंद्र लखेड़ा
वसई