श्री बगलाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रं लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
श्री बगलाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रं लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021

श्री बगलाष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्

।। श्री बगलाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्।। 

विनोयोगः --

ॐ अस्य श्री बगलामुखी अष्टोत्तरशत नाम स्तोत्रस्य भगवान नारद ऋषि अनुष्टुप छन्दः श्री बगलामुखी देवता श्री बगलामुखी देवी प्रीत्यर्थे पाठे विनियोगः ।

अथ ध्यानं-

सौवर्णा सनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशु कोल्लासिनी ।

हेमाभांसुरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पक सर्ग्युतां ।।

हस्तेमुद्गर  पाश बद्ध  रसना स विभ्रति  भूषणै ।

र्व्याप्ताङ्गी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनी चिंतयें ।

स्तोत्रं :-

ब्रह्मास्त्र रुपिणी देवी माता श्री बगलामुखी । 

चिच्छक्तिर्ज्ञान रूपा च ब्रह्मानंद प्रदायनी ।।

महाविद्या महालक्ष्मी श्रीमत्त्रिपुर सुन्दरी ।

भुवनेशी जगन्माता पार्वती सर्वमंगला ।।

ललिता भैरवी शान्ता अन्नपूर्णा कुलेश्वरी ।

वाराही छिन्न मस्ता च तारा काली सरस्वती ।।

जगत्पूज्या महामाया कामेशी भग मालिनी ।

दक्ष पुत्री शिवांकस्था शिवरूपा शिवप्रिया ।।

सर्व सम्पत करीदेवी सर्वलोक वशंकरी ।

वेद विद्या महापूज्या भक्ता द्वेषी भयंकरी ।।

स्तम्भरूपा स्तम्भिनी च दुष्ट स्तंभन कारिणी ।

मेना पुत्री शिवा नंदा मातंगी भुवनेश्वरी ।

नारसिंही नरेंद्राच  नृपाराध्या नरोत्तमा ।।

नागिनी नागपुत्री च नगराज सुता उमा ।

पीताम्बा पीतपुष्पा च पीतवस्त्र प्रिया शुभा ।।

पीतगन्ध प्रिया रामा पीत रत्नार्चिता शिवा ।

अर्धचंद्र धरी देवी गदा मुद्गार धारिणी ।।

सावित्री त्रिपदा शुद्धा सद्योराग विवर्धिनी ।

विष्णु रूपा जगन्मोहा ब्रह्मरूपा हरि प्रिया ।।

रूद्र रूपा रूद्र शक्ति श्चिन्मयी भक्त वत्सला ।

लोकमाता शिवा संध्या शिव पूजन तत्परा ।।

धनाध्यक्षा धनेशी  च  धर्मदा धनदा धना ।

चण्डदर्पहरी देवी  शुम्भासुर  निवर्हिणी ।।

राजराजेश्वरी देवी   महिषासुर  मर्दिनी ।

मधुकैटभ हंत्री च रक्त बीज विनाशिनी ।।

धूम्राक्ष दैत्यहंत्री  च भण्डासुर विनाशीनी ।

रेणु पुत्री महामाया भ्रामरी भ्रमराम्बिका ।।

ज्वालामुखी भद्रकाली बगला शत्रु नाशिनीी। 

इंद्राणी  इंद्र पूज्या च  गुह माता गुणेश्वरी ।।

वज्रपाश धरादेवी  जिह्वा मुद्गर  धारिणी ।

भक्तानन्दकरी  देवी  बगला  परमेश्वरी ।।

अष्टोत्तरशतं नाम्नां बगला यास्तु यः पठेत ।

रिपुबाधा विनिर्मुक्त: लक्ष्मीस्थैर्य मवाप्नुयात ।।

भूत प्रेत  पिशाचाश्च  ग्रह पीड़ा  निवारणम ।

राजानों वश्य मांयान्ति सर्वेश्वर्यम च विन्दति ।।

नाना विद्याम च लभते राज्यम प्राप्नोति निश्चितम ।

भुक्ति मुक्ति मवाप्नोति साक्षात शिव समय भवेत ।।

।।इति रुद्रयामले बागलाष्टोत्तरशत नाम स्तोत्रम।।


ॐ जय गौरी नंदा

         डाउनलोड ऐप  आज की तिथि  त्योहार  मंदिर  आरती  भजन  कथाएँ  मंत्र  चालीसा  आज का विचार  प्रेरक कहानियाँ  ब्लॉग  खोजें होम भजन ओम जय ग...