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बुधवार, 21 अक्टूबर 2020

नवरात्र के अष्टम दिवस में माँ महागौरी की पूजा से भक्तों का कल्याण होता है।

महागौरी--

 श्वेतेवृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः । 

महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा ।। 

माँ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है । इनका वर्ण पूर्णतः गौर है , जिसकी उपमा शंख , चन्द्र और कुन्द के फूल से दी गई है । इनकी अवस्था आठ वर्ष की है ‘ अष्टवर्षा भवेद् गौरी ' । इनके वस्त्र एवं आभूषण सभी श्वेत एवं स्वच्छ है । इनके तीन नेत्र है । 

ये वृषभवाहिनी और चार भुजाओं वाली है । ऊपर वाले दक्षिण हस्त में अभयमुद्रा और नीचे के दक्षिण हस्त में त्रिशूल है । ऊपर वाले वाम हस्त में डमरू और नीचे के वाम हस्त में वर मुद्रा है । इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है । ये सुवासिनी और शांत मूर्ति हैं । इन्होंने अपने पार्वती रूप में भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी ।

इनकी प्रतिज्ञा थी कि ' वियेऽदं वरदं शम्भुं नान्यं देवं महेश्वरात् ' कठोर तपस्या के कारण इनका शरीर धूल मिट्टी से ढककर मलिन हो गया था । तब शिवजी ने गंगाजल से मलकर उसे धोया , तब वह विद्युत के समान कान्तिमान हो गया । अत्यन्त गौर हो गया । इसी से ये विश्व में महागौरी नाम से विख्यात हुई । दुर्गा पूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है । इनकी शक्ति अमोघ और सद्यः फल देने वाली है । माँ महागौरी का ध्यान स्मरण पूजन - आराधन भक्तों के लिए सब प्रकार से कल्याणकारी है ।

ॐ जय गौरी नंदा

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