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बुधवार, 28 अप्रैल 2021

श्री बटुकभैरव मंत्र जप विधि

                ॥ ॐ गं महागणपतये नमः ॥

॥ श्रीबटुकभैरवमंत्र जप विधि ॥


विनियोगः --

ॐ अस्य श्री आपदुद्धारण - बटुकभैरव मंत्रस्य बृहदारण्यक ऋषिः त्रिष्टुप्  छन्दः श्री बटुकभैरवो देवता ह्रीं बीजं स्वाहा शक्ति:कीलकं मम धर्मार्थ काम  मोक्षार्थं जपे विनियोगः।

अथ ऋष्यादिन्यासः --

बृहदारण्यक ऋषये नमः।        शिरसि

त्रिष्टुप् छन्दसे नमः ।                मुखे

श्रीबटुकभैरव देवतायै नमः ।     हृदये

ह्रीं शक्तये नमः।                      पादयोः

भैरव कीलकाय नमः।             सर्वांगे      

  

अथ करन्यासः -

ॐ ह्रां वां अगुष्ठाभ्यां नमः । 

ॐ ह्रीं वीं तर्जनीभ्यां ।

ॐ ह्रूं वूं  मध्यमाभ्यां नमः ।  

ॐ ह्रैं वैं अनामिकाभ्यां नमः ।  

ॐ ह्रौं वौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।

ॐ ह्रः वः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः । 


 अथ षडङ्गन्यासः --

ॐ ह्रां वां हृदयाय नमः ।

ॐ ह्रीं वी शिरसे स्वाहा ।

ॐह्रूं वूं शिखायै वष

ॐ ह्रैं वैं कवचाय हूँ । 

ॐ ह्रौं वौं नेत्रत्रयाय वौषट् ।

ॐ हः वः अस्त्राय फट् । 


अथ ध्यानम्

करकलितकपालः कुण्डली दण्डपाणि-

स्तरुणतिमिरनील - व्यालयज्ञोपवीती । 

क्रतुसमयसपर्य्याविघ्न - विच्छेदहेतुर्

जयति बुटुकनाथः सिद्धिदः साधकानाम् ॥ 


इस प्रकार न्यास एवं ध्यान करके पहले बताये अनुसार मानसोपचार पूजा करें तथा माला लेकर उसकी गन्धाक्षत से पूजा करके प्रार्थना करें।

ॐ  लं पृथिव्यात्मकं गन्धं परिकल्पयामि । 

ॐ  हं आकाशात्मकं पुष्पं समर्पयामि । 

ॐ  यं वाय्यात्मकं धूपमाघ्रापयामि । 

ॐ  रं वह्नयात्मकं दीपं दर्शयामि । 

ॐ  वं अमृतात्मकं नैवेद्यं निवेदयामि । 

ॐ  सं सर्वात्मकं राजोपचारन् परिकल्पयामि । 

मालाप्रार्थना :--

महामाले महामाये ! सर्वशक्तिस्वरूपिणि । 

चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्धिदा भव ॥ 

अविघ्नं कुरुमाले ! त्वं गृह्णामि दक्षिणे करे ।

जपकाले च सिद्धयर्थं प्रसीद मम सिद्धये ॥ 

जप मन्त्र : --

'ॐ ह्रीं  वुटुकाय आपदुद्वारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं ॐ, 

108 बार या यथाशक्ति जप करें ।


इसके पश्चात जप को श्री भैरवार्पण करें 

अनेन श्रीवटुकभैरवमन्त्रजपाख्येन कर्मणा श्रीवटुकभैरवः प्रीयताम् ।। 

                    ॥ इति जपविधिः ॥ 

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आचार्य हरीश चन्द्र लखेड़ा 
         वसई

ॐ जय गौरी नंदा

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