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सोमवार, 13 नवंबर 2023

जीवन से पल्ला झाड़

मनुष्य जीवन कितना विचित्र है किसी वस्तु विशेष को पाने कि बहुत विचित्र ललक तो कभी पल्ला झाड़ने की ललक , मनुष्य के  जीवन मे न जाने कितने उतार चढ़ाव आते है ,समय असमय पर वह अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास करता रहता है ।

जब मनुष्य किसी से कुछ सहायता पाने की  चेष्टा करता है । किन्तु कार्यों की उपलब्धि के बाद व अपना पल्ला झाड़ने लगता है ।जैसे वह कभी किसी को जानता न हो ।यह मनुष्य कि कमजोरी हो या जीव का लक्षण, सदा अपने ईष्ट (लक्ष्य) को साधते रहता है ।

बाल अवस्था -शिक्षा ,

युवा अवस्था - रोजगार , 

यौवन अवस्था - विवाह ,सन्तान 

प्रौढ़ अवस्था -  परिवार व कार्यो का निर्वहन करते वृद्धावस्था को प्राप्त हो अपने जीवन से भी पल्ला झाड़ देता है । 

जीवन के सभी महत्वपूर्ण कार्यो को करते करते मनुष्य कब अपने आप को भूल जाता है पता ही नही चलता ।

मनुष्य सदैव अपने जीवन काल मे अनेक अध्यायों को जोडता चला जाता है, पता नही चलता ।

दृष्टान्त --

गुरुकुल से विद्या अध्यन पूर्ण करने के बाद विद्यार्थी गुरु जी के पास गया बोला गुरु जी में आज शिक्षा प्राप्त करके गांव लौट रहा हूँ ,कृपया आप अनुमति दें ।

गुरुजी बोले बेटा आपको आशीर्वाद है  , किन्तु आप मेरे से पल्ला झाड़ लोगे मुझे भूल जाओगे ,शिष्य बोला नही गुरु जी में आपको सदा याद करूँगा ।शिष्य अपने गाँव को चला गया ।

कुछ वर्ष बीत जाने के बाद गुरु जी के पास गया , प्रणाम करके बोला गुरुजी में आपको भूला नही मै आपको विवाह का निमंत्रण देने आया हूँ ।गुरुजी बोले अब आप अपने माता पिता को भी भूल जाएगा व पल्ला झाड़ेगा दूर चला जायेगा ।

शिष्य बोला गुरु जी में सबको संयुक्त करके रखुंगा ।

शिष्य को जब पुत्र हुआ तब भी गुरु जी के पास गया । गुरु जी बोले अब तुम पत्नी को भी भूल जाओगे पुत्र पुत्र में रह जाओगे । परिवार के भरण पोषण में तुम कब अपने आप को भी भूल जाओगे ,पैसा पैसा करते जीवन से कब पल्ला झाड़ लोगे पता नही चलेगा ।  

कोई     तन   दुःखी ,

कोई    मन    दुःखी ।

कोई धन बिन रहत उदास

थोड़े  थोड़े सब  दुःखी ,

सुखी   राम    के    दास

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ॐ जय गौरी नंदा

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