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गुरुवार, 8 अप्रैल 2021

आरती संग्रह

       💐 ॥ गणपति वन्दना ॥ 💐

ॐ जय गौरीनन्दा हरि जय गिरिजानन्दा ।

 गणपति आनन्दकन्दा जय चरणनवृन्दा ।। ॐ जय गौरी 

सुन्ड सुडाला नेत्र विशाला कुण्डल झलकन्ता ।

कुंकुंम   केसरचन्दन   सिन्दुर   वदनवृन्दा ।।ॐ जय गौरी

सुन्दर मुकुट  सुशोभित  मस्तक शोभन्ता । 

बइयाँ   बाजूवन्दा    पौजी      सेवन्ता ।। ॐ जय गौरी 

रत्नजड़ित सिंहासन शोभित आनन्दा ।

गलमोतियन की माला सुरनर मुनिवृन्दा ।। ॐ जय गौरी 

मूषकवाहन राजत शिवसुत आनन्दा ।

कहत शिवानन्द स्वामी भेदत भवफन्दा ।। ॐ जय गौरी


     💐॥ श्री गणेश जी की आरती ।। 💐

गणेश जय गणेश जय गणेश देवा , 

माता जाकी पार्वती , पिता महादेवा।।जै गणेश

एकादंत दयावंत चार भुजाधारी ,

 माथे सिंदूर सोहे , मुषे की सवारी ।।जै गणेश

अन्धन को आँख देत , कोढ़िन को काया , 

बाँझन को पुत्र देत , निर्धन  को  माया ।।जै गणेश

हार चढ़े , फूल चढ़े और चढ़े मेवा ,

लडुवन को भोग लगे , संत करे सेवा । ।जै गणेश

दीनन की लाज राखो , शंभुपुत्र वारी , 

कामना को पूरा करो , जाऊँ बलिहारी । जै गणेश


गजाननं भूत गणादिसेवितम् ,

कपित्थ जंबू फल चारु भक्षणम् । 

उमासुतं शोक विनाशकारकम् , 

नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम् ।। 

लम्बोदरं परमसुंदर मेकदंत ,

पीताम्बरं त्रिनयनं परम पवित्र । 

उद्यदिवाकरविभोजलकांतिकांत , 

विघ्नेश्वर सकल विघ्नहर नमामि ।।


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      💐॥ श्री लक्ष्मी जी की आरती ।।💐

ॐ जय लक्ष्मी माता , मैय्या जय लक्ष्मी माता । 

तुमको निशिदिन सेवत हर - विष्णु - धाता।।ॐ ।। 

उमा , रमा , ब्रह्माणी , तुम ही जग - माता ।

सूर्य - चन्द्रमा ध्यावत , नारद ऋषि गाता।।ॐ ।। 

दुर्गारूप निरजनि , सुख - सम्पत्ति दाता । 

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि -सिद्धि -धन पाता।॥ॐ ॥

तुम पाताल - निवासिनि , तुम ही शुभदाता ।

कर्म - प्रभाव - प्रकाशिनि ,भवनिधि को त्राता।।ॐ ।।

जिस घर में तुम रहती , सब सद्गुण आता । 

सब संभव हो जाता , मन नहिं घबराता।।ॐ ।। 

तुम बिन यज्ञ न होते , वस्त्र न हो पाता । 

खान - पान का वैभव सब तुमसे आता।।ॐ ।। 

शुभ - गुण - मंदिर सुन्दर , क्षीरोदधि - जाता ।

रत्ल चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता।।ॐ ॥ 

महालक्ष्मी जी की आरती , जो कोई नर गाता । 

उर आनन्द समाता , पाप उतर जाता।।ॐ ॥

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     💐॥ दुर्गा जी की आरती ॥ 💐

जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी । 

तुमको निशिदिन ध्यावत , हरि ब्रह्मा शिवजी ।। जय अम्बे ... 

माँग सिंदूर विराजत , टीको मृगमद को । 

उज्जवल से दोउ नयना , चन्द्रवदन नीको ।। जय अम्बे ... 

कनक समान कलेवर , रक्ताम्बर राजे । 

रक्त पुष्प गलमाला , कण्ठन पर साजे ।। जय अम्बे ... 

केहरि वाहन राजत , खड्ग खप्परधारी । 

सुर नर मुनि जन सेवत , तिनके दु : ख हारी ।। जय अम्बे ...

कानन कुण्डल शोभित , नासाग्रे मोती । 

कोटिक चंद्र दिवाकर , राजत सम जोती ।। जय अम्बे ... 

शुम्भ - निशुम्भ विदारे , महिषासुर घाती । 

धूम्र - विलोचन नयना , निशिदिन मदमाती ।। जय अम्बे ... 

चण्ड - मुण्ड संहारे , शोणित बीज हरे । 

मधु कैटभ दोउ मारे , सुर - भयहीन करे ।। जय अम्बे ... 

ब्रह्माणी  रुद्राणी , तुम  कमला   रानी । 

आगम - निगम बखानी , तुम शिव पटरानी ।। जय अम्बे ... 

चौंसठ योगिनि गावत , नृत्य करत भैरूँ । 

बाजत ताल मृदंगा , और बाजत डमरू ।। जय अम्बे ... 

तुम ही जग की माता , तुम ही हो भर्ता । 

भक्तन की दु : खहर्ता , सुख - सम्पत्ति कर्ता ।। जय अम्बे ... 

भुजा चार अति शोभित , वर मुद्राधारी । 

मनवांछित फल पावत , सेवत नर - नारी ।।जय अम्बे ... 

कंचन थाल विराजत , अगर कपूर बाती । 

श्रीमालकेतु में राजत , कोटिरतन ज्योति ।।जय अम्बे ... 

माँ अम्बे की आरती , जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी , मनवांछित फल पावे ।। जय अम्बे ...


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         💐॥ शिवजी की आरती ॥ 💐

ॐ जय शिव ओंकारा भोले हर शिव ओंकारा । 

ब्रह्मा    विष्णु     सदाशिव  अर्धांगी   धारा ।। 

ॐ हर हर हर महादेव

महादेव एकानन चतुरानन पचानन राजे । 

हंसासन , गरुड़ासन , वृषवाहन  साजे ।। 

ॐ हर हर हर महादेव 

दो भुज चारु चतुर्भज दस भुज अति सोहें । 

तीनों  रुप निरखता त्रिभुवन  जन  मोहें ।। 

ॐ हर हर हर महादेव 

अक्षमाला , वनमाला , रुण्डमालाधारी । 

चंदन , मृदमग सोहें , भाले शशिधारी ।। 

ॐ हर हर हर महादेव 

श्वेताम्बर , पीताम्बर , बाघाम्बर अंगे । 

सनकादिक , ब्रह्मादिक , भूतादिक संगे ।। 

ॐ हर हर हर महादेव 

कर मध्ये च कमंडलु, चक्र त्रिशूल धरता । 

जगकर्ता , जगहर्ता , जग पालन  कर्ता ।। 

ॐ हर हर हर महादेव 

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका । 

प्रणवाक्षर  के  मध्ये, ये  तीनों  एका ।। 

ॐ हर हर हर महादेव 

काशी में विश्वनाथ विराजे नन्दो ब्रह्मचारी । 

नित उठि भोग लगावे महिमा अति भारी ।। 

ॐ हर हर हर महादेव 

त्रिगुणनाथ शंकर जी की आरती जो कोई नर गावे । 

कहत  शिवानंद  स्वामी मनवांछित  फल  पावे ।। 

ॐ हर हर हर महादेव 

ॐ जय शिव ओंकारा , भोले हर शिव ओंकारा । 

ब्रह्मा   विष्णु    सदाशिव ,  अर्धांगी   धारा ।। 

ॐ हर हर हर महादेव

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~॥ आरती ॐ जय जगदीश हरे ॥ 

ॐ जय जगदीश हरे , स्वामी जय जगदीश हरे । 

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे।।ॐ ... 

जो ध्यावे फल पावे , दु:ख विनशे मन का । 

सुख सम्पत्ति घर आवे , कष्ट मिटे तन का।।ॐ ... 

मात - पिता तुम मेरे , शरण गहूँ किसकी । 

तुम बिन और न दूजा , आस करूँ जिसकी।।ॐ ... 

तुम पूरण परमात्मा , तुम  अन्तर्यामी । 

पार ब्रह्म परमेश्वर , तुम सबके स्वामी।।ॐ ... 

तुम करुणा के सागर , तुम पालनकर्ता । 

मैं मूरख खल कामी , कृपा करो भर्ता।।ॐ ... 

तुम हो एक अगोचर , सबके प्राणपति । 

किस विधि मिलूँ दयामय , तुमको मैं कुमति।।ॐ ... 

दीन बन्धु दु : खहर्ता , तुम ठाकुर मेरे । 

अपने हाथ उठाओ , द्वार पड़ा तेरे।।ॐ .... 

विषय विकार मिटाओ , पाप हरो देवा । 

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ , सन्तन की सेवा।।ॐ ... 

तन , मन , धन अरु जीवन सब कुछ है तेरा । 

तेरा तुझको अर्पण , क्या लागे मेरा।।ॐ ... 


नवाम्बोज नेत्रं रमा केलिपत्रं 

चतुरबाहु चामी करंचारुगात्रम् । 

जगत्राण हेतुं रिपोधूमकेतुं 

सदा सत्यनारायणं स्तोमि देवम् ॥

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॥ आरती श्री कुंजबिहारी जी की ॥ 

आरती कुंजबिहारी की , श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ।
 
गले में बैजंती माला , बजावै मुरली मधुर बाला । 
श्रवण में कुण्डल झलकाला , नंद के आनंद नंदलाला ॥ 
नंद के आनन्द मोहन बृज चन्द , परमानन्द , 
राधिका रमण बिहारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की ॥ 
आरती .. 
गगन सम अंग कांति काली , राधिका चमक रही आली ,                                                       लतन में ठाढ़े बनमाली ,
भ्रमर - सी अलक , कस्तूरी तिलक , चंद्र - सी झलक , 
ललित छवि श्यामा प्यारी की । श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ।।आरती ...

कनकमय मोर मुकुट बिलसै , देवता दरसन को तरसैं ,                                                  गगन सों सुमन रासि बरसै ,
बजे मुरचंग , मधुर मृदंग , ग्वालिन सग , 
अतुल रति गोप कुमारी की । श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ आरती ... 

चमकती उज्ज्वल तट रेनू , बज रही बृन्दाबन बेनू , 
                               चहुँ दिसि गोपि ग्वाल धेनु , 
हँसत मृदु मंद , चाँदनी चंद , कटत भव - फंद , 
टेर सुनु दीन दुखारी की । श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ 
आरती ... 

आरती कुंजबिहारी की । श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ।
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💐 ॥ आरती श्री बाँकेबिहारी जी की ॥ 💐

श्री बाँके बिहारी तेरी आरती गाऊँ । 
कुंजबिहारी तेरी आरती गाऊँ ।। 
श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ । 
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ ।। 

मोर मुकुट प्रभु शीश पे सोहे । 
प्यारी बंशी मेरो मन मोहे ।। 
देखि छवि बलिहारी जाऊँ । 
श्री बाँके बिहारी तेरी आरती गाऊँ ।। 

चरणों से निकली गंगा प्यारी । 
जिसने सारी दुनिया तारी ।। 
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊँ । 
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ ।। 

दास अनाथ के नाथ आप हो । 
दुःख - सुख जीवन प्यारे साथ हो ।। 
हरि चरणों में शीश नवाऊँ । 
श्री बाँके बिहारी तेरी आरती गाऊँ ।। 

श्री हरिदास के प्यारे तुम हो । 
मेरे मोहन जीवन धन हो ।। 
देखि युगल छवि बलि - बलि जाऊँ । 
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ ।। 

आरती गाऊँ प्यारे तुमको रिझाऊँ । 
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊँ ।। 
श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ । 
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ ।।
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    💐श्रीहनुमान जी आरती 💐

आरती कीजै हनुमानललाकी । दुष्टदलन रघुनाथ कलाकी॥ टेक।।

जाके बलसे गिरिवर काँपै । रोग दोष जाके निकट न झाँपै ॥ 

अंजनिपुत्र महा बलदाई । संतनके प्रभु सदा सहाई ।।

 दे बीरा रघुनाथ पठाये । लंका जारि सीय सुधि लाये ।

 लंका - सो कोट समुद्र - सी खाई । जात पवनसुत बार न लाई ॥ 

लंका जारि असुर संहारे । सीतारामजीके काज सँवारे ॥ 

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे । आनि सजीवन प्रान उबारे ॥ 

पैठि पताल तोरि जम - कारे । अहिरावनकी भुजा उखारे ॥ 

बायें भुजा असुरदल मारे । दहिने भुजा संतजन तारे ॥

सुर नर मुनि आरती उतारे । जय जय जय हनुमान उचारे ॥ 

कंचन थार कपूर लौ छाई । आरति करत अंजना माई ॥ 

जो हनुमानजीकी आरति गावै । बसि बैकुंठ परम पद पावै ॥ 

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     💐आरती श्री बदरीनारायण जी 💐

पवन मंद सुगंध शीतल , हेम मंदिर शोभितम् ।

 निकट गंगा बहत निर्मल , श्री बदरीनाथ विश्वम्भरम् ।।

शेष सुमिरन करत निशिदिन ध्यान धरत महेश्वरम् ।

श्री वेद ब्रहमा करत स्तुती ,श्री बदरीनाथ विश्वम्भरम् ।।

इंन्द्र चंद्र कुबेर दिनकर , धूप द्वीप निवेदितम् सिद्ध। 

मुनिजन करत जय जय , श्री बदरीनाथ विश्वम्भरम् ।।

शक्ति गौरी गणेश शारद ,नारद मुनि उच्चारणम् ।

योग ध्यान अपार लीला ,श्री बदरीनाथ विश्वम्भरम् ।। 

यक्ष किन्नर करत कौतुक , गान गन्धर्व प्रकाशितम् ।

श्री भूमि लक्ष्मी चंवर डोले , श्री बदरीनाथ विश्वम्भरम् ।।

कैलाश में एक देव निरंजन , शैल - शिखर महेश्वरम् ।

राजा युधिष्ठिर करत स्तुती , श्री बदरीनाथ विश्वम्भरम् ।।

श्री बदरीनाथ जी की परम स्तुती यह पढत पाप विनाशनम् ।

कोटि - तीर्थ सुपुण्य सुन्दर सहज अति फलदायकम् ।।

पवन मंद सुगंध शीतल , हेम मंदिर शोभितम् ।

निकट गंगा बहत निर्मल , श्री बदरीनाथ विश्वम्भरम् ।।

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 ।।💐आरती केदारनाथ जी की 💐।।

जय केदार उदार शंकर, भवभयंकर दुःख हरम ।

 गौरी गणपति स्कन्द नंदी, जय केदार नमाम्यहम् ।।

शैल सुंदर अति हिमालय, शुभ मंदिर सुन्दरम् ।

निकट मंदाकिनी सरस्वती जय केदार नमाम्यहम् ।। 

उदक कुंण्ड है अधम पावन, रेतस कुंण्ड मनोहरम।

हंस कुंड  समीप सुंदर, जय  केदार  नमाम्यहम् ।।

अन्नपूर्णा सह अपर्णा, काल भैरव शोभितम् ।

पांच पांडव द्रोपदी सह, जय केदार नमाम्यहम् ।।

शिव दिगंम्बर भस्मधारी  अर्द्धचंन्द्र विभूषितम् ।

शीश गंगा कंठ फणिपति , जय केदार नमाम्यहम् ।।

कर त्रिशूल विशाल डमरु , ज्ञान गान विशारदम् ।

मद्य महेश्वर तुंग ईश्वर , रुद्र कल्प महेश्वरम् ।।

पंच धन्य विशाल आलय , जय केदार नमाम्यहम्

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आचार्य हरीश चंद्र लखेड़ा
      ज्योतिषाचार्य

ॐ जय गौरी नंदा

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