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मंगलवार, 8 नवंबर 2022

शिवरामाष्टकं

     ।। शिवरामाष्टकम् ।।

।।ओम श्री गणेशाय नमः ।।

शिव, हरे शिव राम, सखे प्रभो,  त्रिविधताप निवारण हे प्रभो , ।।

अज जनेश्वर यादव पाहि मां शिव हरे विजयं कुरु मे वरम् ।।०१।।


कमलोचन राम दयानिधे हर गुरो गजरक्षक गोपते।।

शिवतनो भव शंकर पाही मां शिव हरेo ।।०२।।


स्वजनरंजन मंगल मंदिर भजती ते पुरुषं परम पदम्।।

 भवति तस्य सुखं परमाद्भुतं शिव हरेo ।।०३।।


जय युधिष्ठिरवल्लभ भूपते जय जयार्जित पुण्यपयो निधे ।।

जय कृपामय कृष्ण नमोस्तु ते शिव हरे o ।।०४।।


भवविमोचन माधव मापते सुक विमांन सहंस शिवारते ।।

जनकजारत राघव रक्ष मां शिव हरे o।।०५।।


अवनीमंडल मंगल मापते जलसुंदर राम रमापते निगमकीर्तिगुणार्णव गोपते शिवा हरे ०।।०६।।


पतित पावन नाममयी लता तव यशो विमलं परि गीयते ।। 

तदपि माधव मां किमुपक्ष से शिव हरे ॥७।।


अमरता परदेव रामापते विजयस्तव नाम धनोपमा ।।

मयि कथम् करुणार्णव जायते शिव हरेo॥०८।।


हनुमात: प्रिय चापकर  प्रभो भगवान, सुर सारिध्दृतशेखर,हे गुरो।।

मम विभो किमु विस्मरणम् कृतम् शिव हरे०।।०९ ।।


नरहरेति परं जनसुंदरं पठति यः शिवरामकृतस्तवम् ।।

विशती रामरामचरणांबुजे शिव हरेo॥१०।।


प्रातरुत्थाय यो भक्त्या पठेदेकाग्र मानसः।।

विजयो जायते तस्य विष्णु सान्निध्य माप्नुयात् ११


।।इति श्री रामानंद विरचितम् शिवराम स्तोत्रम् संपूर्णम् ।।

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