।।धर्मप्रशंसा।।
धर्मेण हन्यते व्याधिर्धर्मेण हन्यते ग्रहः ।
धर्मण हन्यते शत्रुर्यतो धर्मस्ततो जयः ॥ १ ॥
देवब्राह्मणवन्दनाद् गुरुवचः सम्पादनात्प्रत्यहं
साधूनामपि भाषणाच्छ तिरवश्रेयःकथाकारणात् ।
होमादध्वरदर्शनाच्छुचिमनोभावाज्जपाद्दानतः
नो कुर्वन्ति कदाचिदेव पुरुषस्यवं ग्रहाः पीडनम् ।। २ ।।
धर्म से व्याधि का नाश होता है , धर्म से ग्रह दब जाता है , धर्म से शत्रु का नाश होता है , जिस ओर धर्म हो उसी ओर जय होती है ।। १ ।।
जो मनुष्य देवता तथा ब्राह्मणों को नमस्कार करते हैं , अपने गुरु का वचन पूरा कराते हैं , साधु लोगों से बोलचाल करते हैं , वेद की ध्वनि सुनते हैं , पुराणों की कथा सुनते हैं , होम करते हैं , यज्ञ के स्थान का दर्शन करते हैं , स्वच्छ चित्त से जप तथा दान करते हैं , उन मनुष्यों को ग्रह पीड़ित नहीं करते हैं ॥ २ ॥
पापिष्ठा ये दुराचारा देवब्राह्मणनिन्दकाः ।
अपथ्यभोजिनस्तेषामकालमरणं ध्रुवम् ।। ३ ।।
धर्मिष्ठा ये सदाचारा देवब्राह्मणपूजकाः ।
ये पथ्यभोजनरतास्ते सर्वे दीर्घजीविनः ॥ ४ ॥
जो मनुष्य पापी होते हैं , बुरे आचरण वाले होते हैं , देवता तथा ब्राह्मणों की निन्दा करते हैं , पथ्य भोजन नहीं करते , उनकी मृत्यु अकाल में होती है ॥ ३ ॥
जो मनुष्य धर्मात्मा होते हैं , अच्छे आचरण वाले होते हैं , देवता तथा ब्राह्मणों की पूजा करते हैं तथा पथ्य भोजन करते हैं वे चिरकाल तक जीते हैं ।। ४ ।।
धर्मात्मनां नीतिमतां सदा जयो
दुरात्मनां वाऽनयिनां पराजयः ॥ ५ ॥
ग्रहा न पीडयन्त्येव श्रुतिस्मृत्युक्तकारिणम् ।
दयाधर्मरतं बालं ब्रह्मज्ञं सत्यवादिनम् ।। ६ ।।
सुरार्चनेन दानेन साधूनां सङ्गमेन हि ।
शुश्रूषया च विप्राणामल्पमृत्युविनश्यति ॥ ७ ॥
जो मनुष्य धर्मात्मा तथा नीतिमान होते हैं , उनका सदा जय होता है , जो मनुष्य दुरात्मा तथा दुर्नीति वाले होते हैं , उनका पराजय होता है ।। ५ ।।
जो मनुष्य श्रुति स्मृति के अनुसार कर्म करता है , दया तथा धर्म में प्रीति रखता है , ब्रह्मज्ञ तथा सत्यवादी है उसको ग्रह पीड़ित नहीं करते हैं ॥ ६ ॥
देवताओं के पूजन करने से ,दान देने से , साधुओं के संगम से , ब्राह्मणों की सेवा करने अल्यमृत्यु का नाश होता है ।। ७ ॥
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐