उत्तराखंड भूमि मनै बात
मै छू देवभूमि ,मै छू उत्तराखंड,मै छू पहाड़ ।
सिरक ताज तुमकै पहना तुम नै गच्छा भ्यार ।।
मै छू देवभूमि उत्तराखंड पैली मै उत्त्तर प्रदेश छी, अब में उत्तराखंड हैगू ,मेरी उम्र बहुत छ , म्यर परिवार पैली छव्ट छि अब पुर भारत मे म्यर परिवार बसी रह। पर नई प्रदेश बनी बै मै 21 सालक जवान हेगु।कैकि नजर लागी मिपरि और म्यर देवभूमि स्वरूप कुटुम्ब पै, कि म्यर परिवार मिकणि छोड़ी नेगो मै आज इकले रह गु। न कैके मेरी याद आणि न कोई भाटूलि लगणे सब आपु में मगन छी।में खुसी छू म्यर परिवार खुश रहे । बार त्यौहार याद कनै रहाया । आपण कुल देवतों के भेंटने रह्या ।
य भूमि में तुमर पुरखों खून पासिणी समै रै । जो आज फलदार डाउ जस फली रह ।
आप सबु हैं कामना छू आपण बार त्यौहार ,संस्कार, आपणी संस्कृति ,अपणी बोली भाषा,आपणी पछ्यांण कै आपण पीढ़ी दर पीढ़ी आघीन बढ़ाने रह्या । मै सदा तुमर इंतजार करूनु कब तुम मैके मिलण आला । में आज उन लोंगो दगे रहनु जेक घर टूटी गयी।उनर द्यबत्त म्यर दगड़ी छै । जावो राजी रहो खुसी रहो य मेरी देवभूमी की आवाज छ।
क्यछ पहाड़ में --
खूबसूरत पहाड़ छी, बहुते भल वातावरण छू ,ठंड- ठंड पाणी छू ,सब तरफ हरिया हरि डान छि ,सीडीदार पाटो छि, बहुते भल रशिल खाण प्यूण छ, नी संकोच घुमण फिरण , मनुहा,झूँगार भट ,गहत,राजमा, सुयाबिन, रेंस, मॉस, कोणी,बाजरा,चू, गेहूं , चावल सब प्रकारक नाज छ, अगर तुम खुज्याला तो बहुत कुछ मिलल ।मै स्वर्ग छू ।
क्यछ पहाड़ों विशेषता--
या चार धाम ,या पांच बद्री,पांच केदार, पाँच प्रयाग छि,जागेस्वर ,बागनाथ ,नंदा देवी, जो सबु के आस्था एक सूत्र बंधन में पिरोणक काम करै , पितरों कै तारणे लिजी बहुत विषेष छू। याँ दूर दूर बे लोग आबे आपण पितरो मुक्ति हेतु कामना करनी । भगवानों आशीर्वादल सबकेँ सद गति,मुक्ति प्राप्त है सको।
पहाड़ो में रोजगारक साधन --
शिक्षा ,चिकित्सा, खेती, कारपेंट्री,पशुपालन, बालबर, पर्यटन, व्यापार,बाग बगीचा,आयुर्वेदिक जड़ी का स्रोत, करण यस बहुते काम छू, य भूमि में बहुते आसार छु रोजगारक जो बहुते लोगों कै आजीविका दयंच। मेहनती व सफल लोगोंहे केँ कमी निछ।
म्यर शब्दों में गलती हैली तो माफ करिया।य कुमाऊँनी भाषा मे लिखणक प्रयास छू ।
।जय देवभूमि ।
।जय उत्तराखंड।
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आचार्य हरीश चंद्र लखेड़ा
बसई