शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

होलिका दहन व होली से जुड़ी मान्यतायें ।

      होलिका दहन पूजन व मान्यतायें   


होली के एक दिन पूर्व पूर्णिमा की रात्रि में होलिका दहन किया जाता है । शास्त्रों के अनुसार भद्रा में होलिका दहन वर्जित है । होली एक सामाजिक पर्व है। जिसमे अमीर गरीब स्त्री पुरुष बच्चे बूढ़े जात पात की दीवार तोड़कर आपसी भाईचारा सदभावना से होलिका दहन व होली में सभी लोग मिलजुल कर रंग उड़ाते है। और होली के गीतों का आनन्द लेते हुए नाना प्रकार के व्यंजनों का आनंद उठाते है ।

गांव घरों में होलिका दहन की तैयारी वसंत पंचमी के दिन से प्रारम्भ हो जाती है । महिलाएं होलिका दहन के दिन दोपहर से पूजन करना शुरू कर देती है ,जो शाम तक चलता है।

 होलिका पूजन सामग्री --

होलिका पूजन के लिए महिलाएं एक पात्र में जल व थाली में रोली, चावल ,कच्चा सूत ,कलावा ,अबीर, गुलाल , नारियल आदि लेकर जाती है । होलिका माई की पूजा कर जल चढ़ाती है  और होलिका की जलती लपटों का दर्शन करने के बाद भोजन ग्रहण करती है ।

 दूसरे दिन जली हुई होली की पूजा करके होली गीत गाये जाते है ।एक दूसरे को रंग लगते है गाँव के पुराने कहते थे कि छरड़ी दिन हर किसी को गीली होली खेलनी चाहिए जिससे शरीर मे खाज ,खुजली ,चर्म रोगादि खत्म हो जाते है।

होलिका दहन की परम्परा सदियों से चली आ रही है ।जिसे सनातन धर्मी इस परम्परा को हर वर्ष हर्षोल्लास के साथ मानते है ।

मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन के दिन बुराइयों का अंत हो भगवान और भक्त का सम्बन्ध बना रहे ,पाप पर पुण्य विजयी हो, बुराई पर अच्छाई की विजय हो इस लिए होलिका दहन  सामुहिक रूप से किया जाता है।

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पौराणिक मान्यताएं --

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1 - राजा रघु के समय की बात है राजा रघु के शासन काल के समय एक दैत्य जिसका आतंक बहुत था। उसको भय सिर्फ बच्चे व अग्नि से लगता था ।एक बार राजा ने लकड़ी के ढेर में आग लगा दी और बच्चों को चिल्लाने को कहा जिससे फलस्वरूप दैत्य का वध हो गया । वह दिन फाल्गुन पूर्णिमा होली के एक दिन पहले का था ।इस लिए प्रतिवर्ष होलिका दहन के रूप में मनाया जाने लगा । 

होलिका दहन के दिन जोर जोर से चिल्लाने ,अट्टहास, मंत्रोचारण ,होली गीत गाने से बुरे पापात्माओं का नाश होता है ।

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2 - राजा हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानता था । जिसके फलस्वरूप उसने अपने राज्य में देव पूजा ,यज्ञ ,जप ,तप बन्द करवा दिया ।और स्वयं को ईश्वर मनाने लगा और उसकी इच्छा थी कि उसी की पूजा हो,लेकिन उसका स्वयं का पुत्र प्रह्लाद विष्णु भक्त था ।पिता के लाख समझाने के बाद भी प्रह्लाद ने भगवान विष्णु जी का नाम मंत्र जप बन्द नही किया।पिता के आदेश पर नाना प्रकार के दंड दिया गया ,तब भी प्रह्लाद की भक्ति व आस्था कोई कमी नही दिखी तब प्रह्लाद को अग्नि में जलने के आदेश होलिका को दिया गया, होलिका को भगवान शिव द्वारा वरदान प्राप्त था कि वो कभी भी अग्नि में नही जलेगी। 

होलिका प्रह्लाद को लेकर अग्नि चिता में बैठ गई  होलिका जल गई और प्रह्लाद नारायण का जप करते हुए बच गए । और तभी से होलिका दहन मनाये जाने लगा ।

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3 - वैदिक आचार्य ब्राह्मण होली के पहले दिन पूर्णिमा को वसोर्धारा होम करते थे। जिसका नाम होलिका पड़ा और होलिका के रूप में मनाया मनाया जाने लगा ।

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आचार्य हरीश चंद्र लखेड़ा
              वसई
      

बुधवार, 17 फ़रवरी 2021

महाशिवरात्रि व्रत

💐महाशिवरात्रि व्रत 💐

(फ़ाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी)

यह भगवान शंकर का अत्यन्त महत्वपूर्ण व्रत है । इस दिन प्रातःकाल स्नानादि से पवित्र होकर अपने पापों को नाश करने और अक्षय मोक्ष की प्राप्ति की कामना से यह शिवरात्रि व्रत करना चाहिए ' संकल्प करके भगवान शंकर की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए । दिनभर उपवास करना और विल्बपत्र , पुष्पों और वस्त्रों से सजाकर एक सुन्दर मण्डप तैयार करना चाहिए । मण्डप में लिंगतोभद्र वेदी बनाकर उस पर कलश स्थापित करके कलश पर शिव - पार्वती की स्वर्णमयी मूर्ति स्थापित करनी चाहिए । मूर्ति के पास ही भगवान शिव के वाहन नंदी की भी चांदी की प्रतिमा बनानी चाहिए । भगवान शंकर की बिल्वपत्रों से पूजा करनी चाहिए । रातभर जागरण करके भगवान शिव की कथाओं का श्रवण - मनन करना चाहिए । दूसरे दिन प्रातःकाल स्नान - संध्या के पश्चात हवन करके ब्राह्मणों को दान - दक्षिणा देकर और भोजन कराकर स्वयं भी भोजन करना चाहिए। 

 पूजन विधि --

प्रातःकाल नदी या तालाब के पानी में स्नान करके शुद्ध धुले वस्त्र धारण करके श्रद्धा भक्ति सहित व्रत रखकर मंदिर में अथवा घर पर ही भगवान शिव - पार्वती की पूजा करनी चाहिए ।

शिवरात्रि की रात्रि घर मे शिव पार्थिव लिंग ( मिट्टी ,साठी चावल का आटा ,बालू ,गाय गोबर ) आदि से निर्माण कर भगवान शिव जी की चार प्रहर का पूजन , अभिषेक योग्य ब्राह्मण के द्वारा करना चाहिये । पूजन में  गंगाजल ,दूध,दही ,घी ,शहद ,शक्कर ,वस्त्र, रोली , मोली , अक्षत ( चावल ) फूल ,हार विल्बपत्र , वेलफल , धतूरा, आंख का पुष्प , धुप , दीप, नैवेद्य , फल ताम्बूल(पान ) , पुंगीफल ( सुपारी ) दक्षिणा - इत्यादि का प्रयोग करें ।   भगवान शिवजी की आरती उतारें । " शिव चालीसा ” तथा “ शिव सहस्रनाम " का पाठ करना चाहिए । ॐ नमः शिवाय , ॐ महेश्वराय नमः इत्यादि दिव्य शिव मंत्रों का अधिकाधिक जप करें । पाठ और जप के पश्चात शंकरजी पर घुटी - पिसी भांग चढ़ाई जाती है । शेष भांग का शिवजी के प्रसाद के रूप में स्वयं पान करें तथा शिव भक्तों एवं परिवार के सदस्यों को शिव प्रसाद के रूप में दें । जिन परिवारों में पुत्र का जन्म अथवा विवाह होता है , लड़की की मां शिवजी पर पानी का घड़ा ( जेअर ) चढ़ाती हैं । 

व्रत सम्बन्धी सावधानी --

एकादशियों के समान ही इस व्रत में भी नमक और अन्न का सेवन न करें , केवल फलाहार करें । आलस्य का त्याग करें ।फलाहार शाम को करना चाहिये । रात्रि में जागरण करें तथा शिवजी का भजन करें । यदि रात्रि में नींद सताये तो भगवान की प्रतिमा के समीप ही शयन करें । इस व्रत के दिन चारपाई पर बैठने तथा सोने का निषेध है । 

उत्तरी भारत में गंगाजी से पैदल गंगाजल लाकर भी विभिन्न शिव - मन्दिरों पर चढ़ाई जाती हैं और शिव मन्दिर में रात्रि भर शिवजी के भजनों का गायन वादन व ब्राह्मणों के द्वारा वेदमंत्रो से रात्रि में चार प्रहर की पूजा अभिषेक किया जाता है ।

।। विशेष ।।
🔱 महाशिवरात्रि को ये उपाय चमका सकते हैं आपकी किस्मत 👇
1 -जिन बच्चों के विवाह में हो रहा विलम्ब वे केशर मिश्रित दूध से करें शिव पूजा ।
2 - घर मे कलह की शांति के लिए करें शिव पूजा ।
3 - धन की चाह रखने वालों को नारियल या गन्ने के रस से करें शिव पूजा ।
4 - आरोग्यता के लिए कुशा के रस से करें शिव पूजा ।
5 -वास्तु दोष शांति के लिए करें शिव पूजा लघु रुद्र का पाठ ।
5 - संतान सुख ले लिए करें चावल के आटे से करें शिवलिंग निर्माण व पूजन लघु रुद्र का पाठ ।
6 -विद्या प्राप्ति के लिए करें शिव पूजा  है ।
7 -मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं । इस दौरान भगवान शिव का ध्यान करते रहें । यह धन प्राप्ति का सरल उपाय है ।
8 -  शिवरात्रि पर 21 बिल्व पत्रों पर चंदन से ॐ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं । इससे आपकी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं ।
9 - शिवरात्रि पर नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं । इससे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी और परेशानियों का अंत होगा ।
10 - शिवरात्रि पर गरीबों को भोजन कराएं, इससे आपके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी तथा पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी ।
11 - पानी में काले तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें व ॐ नम: शिवाय मंत्र का जप करें । इससे मन को शांति मिलेगी ।
12 - शिवरात्रि पर घर में पारद की शिवलिंग की स्थापना करें व रोज इसकी पूजा करें । इससे आपकी आमदनी बढ़ाने के योग बनते हैं ।
13 - शिवरात्रि के दिन चावल के आटे से 108 शिवलिंग बनाएं  इनका जलाभिषेक करें । इस उपाय से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं ।
13 - शिवलिंग का 101 बार जलाभिषेक करें । साथ ही ॐ हौं जूँ सः । ॐ भूर्भुवः स्वः । ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् उर्व्वारुकमिव बन्धानान्मृत्यो मुक्षीय मामृतात् । ॐ स्वः भुवः भूः ॐ । सः जूँ हौं ॐ । मंत्र का जप करते रहें । इससे बीमारी ठीक होने में लाभ मिलता है ।
14 - शिवरात्रि पर भगवान शिव को तिल व जौ चढ़ाएं । तिल चढ़ाने से पापों का नाश व जौ चढ़ाने से सुख में वृद्धि होती है ।

।। हर हर महादेव ।।

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शनिवार, 13 फ़रवरी 2021

वसन्त पंचमी (सरस्वती पूजन)

वसन्त पंचमी, सरस्वती पूजन

 ( माघ शुक्ला पंचमी )

यह पर्व वसन्त ऋतु के आगमन का सूचक है । वसन्त ऋतुओं का राजा माना जाता है । वैसे वसन्त ऋतु के अन्तर्गत चैत्र और वैशाख के महीने आते हैं फिर भी माघ शुक्ला पंचमी को ही यह उत्सव मनाया जाता है । कारण यह है कि इसी समय से ऋतुराज वसन्त के आने की सूचना मिलने लगती है ।

आज के दिन वाणी की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती के पूजन का भी इस दिन विशेष महत्व है। विद्यार्थियों को आज सरस्वती पूजन कर माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए ।

खेतों में सरसों के फूलो की स्वर्णमयी कान्ति और चारों ओर पृथ्वी की हरियाली मन में उमंग उल्लास भरने लगती है । वृक्षों में नई - नई कोपलें फूटने लगती है और बाग -बगीचों में अपूर्व लावण्य छिटकने लगता है । पक्षियों का कलरव मन को बरबस अपनी ओर खींचने लगता है तथा भौरों की गुंजार कानों को मधुर लगने लगती है ।

वसन्त पंचमी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है । इस दिन प्रातःकाल तेल - उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए और पवित्र वस्त्र धारण करके भगवान नारायण का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए । इसके बाद पितृ - तर्पण और ब्राह्मण - भोजन का भी विधान है । मन्दिरों में भगवान की प्रतिमा का वासन्ती वस्त्रों और पुष्पों से श्रृंगार किया जाता है तथा गाने - बजाने के साथ बड़ा उत्सव मनाया जाता है । इस पंचमी को लोग पहले - पहले गुलाल उड़ाते हैं और वासन्ती वस्त्र धारण कर नवीन उत्साह और प्रसन्नता के साथ अनेक प्रकार के मनोविनोद करते हैं ।

इस दिन कामदेव और रति की पूजा भी होती है । बसन्त कामदेव का सहचर है । इसलिए इस दिन कामदेव और रति की पूजा करके उनकी प्रसन्नता प्राप्त करनी चाहिए ।

इसी दिन किसान लोग अपने खेतों से नया अन्न लाकर उसमें घी - मीठा मिलाकर उसे अग्नि को , पितरों को और देवताओं को अर्पण करते हैं तथा नया अन्न खाते है। जौ कि प्रतिष्ठा करके कुलदेवताओं को चढ़ाया जाता है ओर दरवाजे की दहेली पर गाय के गोबर से जौ लगाते है। आज के दिन किसान अपने खेतों में हल जुताई करते है।

वसन्त पंचमी से बैठी होली के गीतों की शुरुवात होती है। अबीर -गुलाल उड़ाते है ।देवताओं को भी गुलाल अर्पित करना चाहिए ।

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आचार्य हरीश चंद्र लखेड़ा
    वसई

ॐ जय गौरी नंदा

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