मंगलवार, 29 अगस्त 2023

क्रोध किये ह्रृदय जले ---

क्रोध किये हृदय जले, रक्त जले और मांस ।

क्रोधी नर यू देखिए ,ज्यूँ वन सूखा बांस ।।

क्रोध भयंकर रोग है ,सन्निपात यह जान ।

क्रोध युक्त नर हो जभी, भूले सब पहचान ।।

क्रोध भये नर राक्षसी, करते कार व्यवहार ।

क्रोधी की छाया जहां,वही है हाहाकार ।।

क्रोध किया रावण मरा, दुर्योधन का नाश ।

राज गया दुर्गति भई ,मिला नर्क का वास ।।

क्रोध भरे भड़क उठे ,नेत्र लाल हो ज्वाल ।

रंग रूप सब नष्ट हो ,सुन्दर मुख विकराल ।।

क्रोध ज्वाला से क्षीण हो ,सुंदर मुख विकराल ।

स्वस्थ्य नष्ट यौवन घटे, और घटे सब ज्ञान ।।

स्वस्थ्य प्रिय तज क्रोध को ,सुंदर शील को पाके ।

धनी सुयस्वि रूपमयी ,जग में माना जावे ।।

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