सोमवार, 6 अक्टूबर 2025

दीपावली पूजन मुहूर्त 20अक्टूबर 2025

दीपावली पूजन का शुभ मूहर्त 20 अक्टूबर 2025


दीपों का त्योहार ,खुशियां मिले हजार ।

दीप सजाओ, लक्ष्मी कृपा बरसे अपार ।।


दीपावली का त्योहार भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। दीपावली का यह पर्व प्रत्येक वर्ष कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है।

प्रदोष काल ,निशा व्यापनी अमावस्या तिथि, स्थिर लग्न पर दीपावली लक्ष्मी पूजन करने से धन-धान्य की वृद्धि ,व्यापार मे नित्य उत्तरोत्तर वृद्धि होती है। मां लक्ष्मी का आशीर्वाद सदा बना रहता है ।

दीपावली तिथि --

20 अक्टूबर 2025 को दीपावली का शुभ पर्व मनाया जाएगा। 

20 अक्टूबर 2025 सोमवार को 2:56 पर अमावस्या लगेगी। दूसरे दिन 21 अक्टूबर 2025 मंगलवार को 4:26 तक अमावस्या रहेगी।

दीपावली मुहूर्त --

वृषभ लग्न -- सायं 7:10 से रात्रि 9:06 तक है जो दीपावली के लिए उत्तम समय माना जाता है। 

सिंह लग्न --अर्धरात्रि 1:38 से 3:52 तक सिंह लग्न रहेगा।

कुंभ लग्न -- कुंभ लग्न दिन में 2: 56 से दिन में 4:05 के मध्य तक रहेगा।

ब्रह्मा जी का एक दिन

 

*ब्रह्मा जी के एक दिन की गणना*


पूर्ण भगवान् कृष्ण व्रजेन्द्रकुमार।

गोलोके व्रजेर सह नित्य विहार।। 

ब्रह्मार एकदिने तिँहो एकबार। 

अवतीर्ण हञा करेन प्रकट विहार।।

अनुवाद - व्रजेन्द्रनन्दन श्रीकृष्ण ही पूर्ण भगवान् हैं। व्रजधाम समन्वित गोलोकमें वे नित्य - विहार करते हैं। ब्रह्माके एक दिनमें वे एक बार इस जगत्‌में अवतीर्ण होकर प्रकट-लीला करते हैं।

ब्रह्मा जी का एक दिन

सत्य त्रेता द्वापर कलि चरियुग जानि।

सेइ चरियुगे दिव्य युग मानि।।

एकात्तर चतुर्युगे एक मन्वन्तर।

चौद्द मन्वन्तर ब्रह्मार दिवस भितर।।

अनुवाद - सत्य, त्रेता, द्वापर और कलिं, ये चार युग होते हैं। ये चारों युग मिलकर एक दिव्य-युग कहलाते हैं। इकहत्तर चतुर्युगोंका एक मन्वन्तर होता है और ब्रह्माके एक दिनमें चौदह मन्वन्तर होते हैं।

ब्रह्मा जी के एक दिन को एक कल्प कहते हैं। 


एक दिन में 14 मन्वंतर


एक मन्वंतर में 71 चतुर्युग


एक चतुर्युगी में चार युग 


1. सत्य

2. त्रेता 

3.द्वापर 

4.कलि


यह चारों एक युग या युगी कहलाता है।


एक युगी की गणना


कलि  = 4,32000

द्वापर = 8,64000

त्रेता = 12, 96000

सत्य = 17,28000


Total एक चतुर युगी के साल हुए।


43,20,000 


इसको एक युग बोला जाता है 

एक युगी - 


43,20,000 × 71 

=30,67,20,000 साल होते हैं ।


यह एक मन्वन्तर का परिणाम है इसे गुणा करते हैं 14 से।


30,67,20,000×14  

=4,29,40,80,000 

यह ब्रह्मा जी का एक दिन का परिणाम है 4,29,40,80,000,


एक दिन में 14 मन्वतर होते हैं - फिर एक महीने में देखते हैं फिर एक साल में देखते हैं,  फिर 100  साल में 

1  दिन में 14 

14 × 30 दिन में = 420 

420 × 12 महीने में  

= 5040 


5040×100 साल


एक साल में 5040 

100 साल की ब्रह्मा की आयु है यानि 5040 × 100  = 5,04,000  मनु होते हैं।


ब्रह्मा जी के एक दिन में 

कलि  = 994 बार आता है ।

द्वापर  = 994 बार आता है ।

त्रेता = 994 बार आता है ।

सत्य = 994 बार आता है।


अब यहां पर एक संधिकाल आता है जो 15 सत्य युगों के परिणाम का होता है ।

15 × 17,28,000  =  2,59,20,000  


6  महायुगों के काल से देखें तब भी यही आएगा  ( एक चतुर्युगी के साल )

6 × 43,20,000  =  2,59,20,000


इस प्रकार 14  मन्वन्तरों और संधिकाल को मिलाकर एक हज़ार महायुगों के काल के बराबर ब्रह्मा का एक दिन एक कल्प होता है और इतनी ही बड़ी ब्रह्मा जी की रात्रि भी होती है 


'वैवस्वत' नाम एइ सप्तम मन्वन्तर 

साताइश चतुर्युग गेले ताहार अन्तर 

अनुवाद - वर्तमान सप्तम मन्वन्तरका नाम वैवस्वतं' है और इसके सत्ताईस चतुर्युग बीत चुके हैं।


अनुभाष्य - वैवस्वत - नामके सातवें मनुके मन्वन्तरमें श्रीमन्महाप्रभुका आविर्भाव होता है “स्वायम्भुवाख्यो मनुराद्य आसीत्, स्वारोचिषश्चोत्तम-तामसाख्यौ। जातौ ततो रैवतचाक्षुषौ च वैवस्वतः सम्प्रति सप्तमोऽयम्॥ सावर्णिर्दक्षसावर्णिब्रह्मसावर्णिकस्ततः । धर्मसावर्णिको रुद्रपुत्रो रौच्यश्च भौत्यकः ॥” 


14  मनु के नाम इस प्रकार हैं 


(१) स्वायम्भुव, 

(२) स्वारोचिष, 

(३) उत्तम, 

(४) तामस, 

(५) रैवत, 

(६) चाक्षुष, 

(७) वैवस्वत, 

(८) सावर्णि, 

(९) दक्षसावर्णि, 

(१०) ब्रह्मसावर्णि, 

(११) धर्मसावर्णि, 

(१२) रुद्रपुत्र (सावर्णि), 

(१३) रोच्य (देवसावर्णि) और 

(१४) भौत्यक (इन्द्रसावर्णि)

– ये चौदह मनु हैं। प्रत्येक मनु का भोगकाल इकहत्तर महायुग है।

बुधवार, 1 अक्टूबर 2025

विजया दशमी

विजया दशमी

(आश्विन शुक्ल दशमी)

आश्विन मास के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को विजया दशमी और लौक व्यवहार की भाषा में दशहरा कहते हैं । भगवान ने इसी दिन लंका पर चढ़ाई करके विजय प्राप्त की थी । 

'ज्योति र्निबन्ध में लिखा है- आश्विन शुक्ला दशमी को तारा उदय होने के समय ' विजय ' नामक काल होता है । वह सब कार्यों को सिद्ध करने वाला होता है । विजया दशमी हमारा राष्ट्रीय पर्व है । दशमी के दिन रामचन्द्रजी की सवारी बड़ी धुमधाम के साथ निकलती है। और रावण - वध की लीला का प्रदर्शन होता है । इस दिन नीलकंठ का दर्शन बहुत शुभ माना जाता है । 


होली , दीपावली और रक्षाबंधन के समान ही हमारे चार प्रमुख त्यौहार में से एक है विजया दशमी ,पूरे भारतवर्ष में उत्तर से दक्षिण तक सभी वर्ण और वर्ग के व्यक्ति पूरी धूमधाम से मनाते हैं यह त्यौहार । 

क्षत्रियों का विशेष दिन--

प्राचीनकाल से ही इसे क्षत्रियों , राजाओं और वीरों का विशेष त्यौहार माना जाता रहा है । आज के दिन अस्त्र - शस्त्रों , घोड़ों और वाहनों की विशेष पूजा की जाती है । प्राचीन काल में तो राजा - महाराजा आज विशेष सवारियां और सैनिक परेड निकालते थे तथा ब्राह्मणों को प्रचुर दान देते थे । 

वैसे दशमी को रामलीला का समापन और रावण , उसके पुत्र मेघनाद और भाई कुम्भ कर्ण के पुतलों का दहन ही आज का विशिष्ट उत्सव रह गया है । बंगाली भाई आज नौ दिन के दुर्गा और काली पूजन के बाद मूर्तियों का नदियों में विसर्जन भी बड़ी धूमधाम से करते हैं तथा बड़े - बड़े जलूस निकालते हैं ।

इनके अतिरिक्त प्रत्येक क्षेत्र और परिवार में दशहरा मनाने के अलग - अलग कुछ विधान भी हैं । कुछ क्षेत्रों में गोबर का दशहरा रखकर उसकी पूजा भी की जाती है । इसी प्रकार अनेक परिवारों में आज बहिनें भाइयों के तिलक भी करती हैं । प्रथम नौ रात्रे के दिन देवी के नाम के जौ बोकर आज के दिन उनके छोटे - छोटे पौधे उखाड़ कर  भाइयों को देने का रिवाज भी कुछ क्षेत्रों में है।

आज के दिन जगह जगह रामचरितमानस, सुन्दरकाण्ड  पाठ,का आयोजन किया जाता है,और राम लक्ष्मण सीता जी और हनुमानजी की विशेष पूजन, झाकियां निकाली जाती है। 

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

दीपावली पूजन मुहूर्त 20अक्टूबर 2025

दीपावली पूजन का शुभ मूहर्त 20 अक्टूबर 2025 दीपों का त्योहार ,खुशियां मिले हजार । दीप सजाओ, लक्ष्मी कृपा बरसे अपार ।। दीपावली का ...