बुधवार, 26 मई 2021

पार्थिव शिवलिंग के पूजन का महात्म्य

पार्थिव शिवलिंग पूजन का महत्व
एक बार ऋषि गणों के पूछने पर सूत जी महाराज ने पार्थिव शिवलिंग पूजन का महात्म्य बताते हुवे कहा ।

ब्रह्मा , विष्णु , प्रजापति तथा अनेक ऋषियों ने पार्थिव लिंग की पूजा करके अभीष्ट को प्राप्त किया है । देव , असुर ,मनुष्य , गन्धर्व ,नाग , राक्षसगण और अन्य प्राणियों ने भी पार्थिव लिंग पूजा करके परम सिद्धि को प्राप्त किया है ।

सतयुग में मणि लिंग ,त्रेतायुग में स्वर्ण लिंग, द्वापरयुग में पारद लिँग और कलयुग में पार्थिव लिङ्ग पूजन को श्रेष्ठ माना गया है ।

भगवान शिव की सभी पूजा में पार्थिव मूर्ति श्रेष्ठ है ।नव निर्मित पार्थिव मूर्ति की पूजा करने से तपस्या से भी अधिक फल मिलता है ।

जैसे सभी देवताओं में शंकर श्रेष्ठ है उसी प्रकार सभी लिंग मुर्तियों मे पार्थिव लिंग श्रेष्ठ है ।

जैसे सभी नदियों में गंगा जेष्ठ व श्रेष्ठ कही गयी है ,वैसे ही सभी लिंग मुर्तियों मे पार्थिव लिंग श्रेष्ठ कहा जाता है ।

जैसे सभी मंत्रो में प्रणव (ॐ) महान कहा गया है , उसी प्रकार शिव का पार्थिव शिवलिंग श्रेष्ठ आराध्य तथा पूजनीय है ।

जैसे मनुष्यों में ब्राह्मण श्रेष्ठ है ,उसी प्रकार देवों में शिव पार्थिव लिंग पूजन श्रेष्ठ है।

जो मनुष्य पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करके विल्बपत्रों से ग्यारह वर्ष  तक पूजन करता है ,वह मनुष्य रुद्रलोक में प्रतिष्ठित होता है।उसके दर्शन ,स्पर्श से मनुष्यों के पाप नष्ट हो जाते है ।

जो मनुष्य जीवन पर्यंत पार्थिव लिंग का पूजन करता है , वह असंख्य वर्षो तक शिवलोक में वास करता है । जो मनुष्य निष्काम भाव से विधिवत पार्थिव शिवलिंग पूजन करता है ,वह सदा के लिये शिवलोक में वास करता है और शिव सायुज्य को प्राप्त कर लेता है।

निष्कामः पूजयेन्नित्यं पार्थिवं लिंग मुत्तमम् ।

शिवलोके सदा तिष्ठेत्तस्य सायुज्यमाप्नुयात् ।।

शिव पार्थिव लिंग पूजन से मनुष्यों की सभी प्रकार मनोकामना पूर्ण होती है ।

आचार्य हरीश लखेड़ा
9004013983


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