बुधवार, 27 अक्टूबर 2021
शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2021
कुम्भ क्या है
कुम्भ क्या है--
कुम्भ पर्व सनातनी भारतीयों का सबसे प्राचीन पर्व है । कुम्भ पर्व वैदिक परम्परा का सबसे प्राचीन उदाहरण है ।सनातनी सभ्यता का प्रतिनिधित्व में प्रथम स्थान कुम्भ पर्व का है । साधु संतों को कुम्भ पर्व का प्रतीक व कुंभ संतो का जीवन माना जाता है । कुम्भ के समय सन्त व गृहस्थ बड़े हर्षोल्लास के साथ कुम्भ पर्व स्नान करते है ।साधु सन्त व गृहस्थ सभी मिलकर जगत कल्याण , धन - धान्य , सुख - आरोग्यता , ज्ञान प्राप्ति की कामना करते है ।कुम्भ , कलस (घड़ा) का प्रतिरूप है । जब कोई शुभ मंगल कार्य किये जाते है तो वहाँ भी कुम्भ का प्रतिरूप कलस स्थापना की जाती है ,कुम्भ के मुख में विष्णु ,कण्ठ में रुद्र ,मूल भाग में ब्रह्मा जी विराजमान होते है । कलस स्थापना के समय सप्त सागर , मातृगण , सप्तद्वीप , चारों वेद , गंगादि तीर्थो व देवताओं का आवाहन किया जाता है ।
मांगलिक कार्यों में घट (कलस) स्थापन का विशेष शुभता का प्रतीक माना जाता है ।
शनिवार, 16 अक्टूबर 2021
सत्यनारायण पूजा निर्णय
प्रायः सनातनी हिन्दू धर्म से जुड़े लोग कभी भी घर या मंदिर तीर्थों में शुभ मंगल ( पूजा ) कार्य को करते है , तो पूजा में भगवानों की ढेर लगा देते है । पंडित जी ये भगवान की पूजा वो हमारे फलाने देवता है वो पूजा सारी पूजा एक साथ करते है जो विधि के अनुसार अनुचित है । जब जो कार्य हो जिस देवता की पूजा हो उनके साथ के सहचर देवताओं की ही पूजा होनी चाहिए ।सत्यनारायण एक देवता ऐसे हो गये है । कभी बच्चा हो तो सत्यनारायण पूजा, जनेऊ हो तो सत्यनारायण पूजा, विवाह हो सत्यनारायण पूजा, वास्तु गृहप्रवेश हो सत्यनारायण पूजा जिसका महत्व ये सारी पूजाओं के साथ नही है ।
सत्यनारायण पूजा कब करें --
सत्यनारायण भगवान विष्णु यज्ञ के प्रधान देवता है । पुण्य आत्माओं द्वारा किया गया यज्ञ - यागादि जप, तप , दान शुभकर्मों का फल भगवान विष्णु जी के पास एकत्रित होता है ।
जब मनुष्य अपने घर परिवार से संबंधित शुभ कार्यो को करता है तो मन में एक भय होता है कि मेरा कार्य कैसे सिद्ध होगा ।इस अवस्था मे जीव भगवान की शरण मे होकर नारायण या कुल देवता से प्रार्थना करता या संकल्प लेता है जिस दिन मेरा मन इच्छित कार्य पूर्ण हो जायेगा उसके उपरांत में आपका पूजन करूँगा ।जिसके फलस्वरूप धन्यवाद के रूप में विष्णु पूजन सत्यनारायण के रूप में करता है ।सत्यनारायण पुजा संकल्पित कार्य के सिद्ध हो जाने के उपरांत सात से चौदह दिवस बीच किया जाना चाहिए ।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
ॐ जय गौरी नंदा
डाउनलोड ऐप आज की तिथि त्योहार मंदिर आरती भजन कथाएँ मंत्र चालीसा आज का विचार प्रेरक कहानियाँ ब्लॉग खोजें होम भजन ओम जय ग...

-
प्रातः व सायंकाल नित्य मंगल श्लोक का पाठ करने से बहुत कल्याण होता है। दिन अच्छा बीतता है। दुःस्वप्न भय नही होता है। धर्म मे वृद्धि ,अज्ञानता...
-
असुर मर्दिनी माँ दुर्गा का ही एक रूप है वनदुर्गा उन्हें जंगलों की देवी बनदेवी या शाकम्भरी भी कहते है ।जो हर जीव की माँ के रूप में रक्षा करती...