शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021

शिव की तीसरी आँख का रहस्य

 "भगवान शिव की तीसरी आँख का रहस्य"

हम सभी जानते हैं कि देवों के देव महादेव के पास दो नहीं बल्कि तीन आँखे हैं। ऐसी मान्यता है, वह अपनी तीसरी आँख का प्रयोग तब करते हैं, जब सृष्टि का विनाश करना हो। लेकिन आज यह जानने की आवश्यकता है कि आखिर भगवान शिव को तीसरी आँख किस स्थिति में मिली थी। इसका रहस्य बड़ा ही गहरा है। 

महाभारत के छठे खंड के अनुशासन पर्व में बताया गया है कि भगवान शिवजी को तीसरी आँख कैसे मिली थी। पौराणिक कथा के अनुसार, एकबार नारदजी भगवान शिव और माता पार्वती के बीच हुए बातचीत को बताते हैं। इसी बातचीत में त्रिनेत्र रहस्य का खुलासा है। नारदजी कहते हैं कि एकबार हिमालय पर भगवान शिव एक सभा कर रहे थे, जिसमें सभी देवता, ऋषि-मुनि और ज्ञानीजन उपस्थित थे। तभी सभा में माता पार्वती आईं और उन्होंने अपने मनोरंजन के लिए दोनों हाथ से भगवान शिव की दोनों आँखों को ढक दिया। माता पार्वती ने जैसे हीं भगवान शिव की आँखों को ढका, संसार में अंधेरा छा गया। ऐसा लगने लगा जैसे सूर्य देव का कोई अस्तित्व ही नही है। इसके बाद धरती पर मौजूद सभी जीव-जंतुओं में खलबली मच गई। संसार की ये दशा भगवान शिव से सहन नही हुआ और उन्होंने अपने माथे पर एक ज्योतिपुंज प्रकट किया, जो भगवान शिव की तीसरी आँख बनी। बाद में माता पार्वती के पूछने पर भगवान शिव ने उनसे बताया कि अगर ऐसा नही करते तो संसार का नाश हो जाता, क्योंकि उनकी आँखे ही जगत का पालनहार हैं। इसीलिए भगवान शिव को त्रिलोचन भी कहा जाता है। 


वैज्ञानिक रहस्य: मस्तिष्क के दो भागों के बीच एक पीनियल ग्लेंड होती है। तीसरी आँख इसी को दर्शाती है। इसका काम है एक हार्मोंस को छोड़ना जिसे मेलाटोनिन हार्मोन कहते हैं, जो सोने और जगाने के घटना चक्र का संचालन करता है। जर्मन वैज्ञानिकों का ऐसा मत है कि इस तीसरे नेत्र के द्वारा दिशा ज्ञान भी होता है। इसी हार्मोन को नियंत्रित कर जुडो कराटे में पीछे से होने वाले वार को रोका जाता है। यह ग्रंथि लाईट सेंसटिव है इसलिए काफी हद तक इसे तीसरी आँख भी कहा जाता है। इतना ही नहीं, अंधा व्यक्ति को भी लाईट चमकने का एहसास होता है, जो इसी पीनियल ग्लेंड के कारण है। 

अतएव आज के युग में आपदा या विपदा में अपनी तीसरी आँख से वातावरण का अनुभव हम अच्छे तरीके से कर सकते हैं और अद्यतन स्थिति की परिस्थिति भी स्वालंबी होने का संदेश देता है जिसमें सबका हित सुरक्षित एवं संरक्षित है।

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