सूर्यग्रहण-
कार्तिककृष्ण ३० मंगलवार ( २५ अक्टूबर २०२२ ) अमावस्या को लगने वाला खण्डसूर्यग्रहण भारत में ग्रस्तास्त सूर्यग्रहण के रूप में दृश्य होगा ।
यह ग्रहण यूरोप , मध्य - पूर्व , उत्तरी अफ्रीका , पश्चिमी एशिया , उत्तरीअटलांटिक महासागर , उत्तर हिन्दमहासागर में दृश्य होगा ।
भारत में यह ग्रहण दिन में सूर्यास्त के पूर्व प्रारम्भ हो जायेगा । यह भारत के अधिकांश भाग से देखा जा सकेगा , किन्तु अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और पूर्वोत्तर के कुछ भागों जैसे आइजॉल , डिब्रूगढ़ , इंफाल , ईटानगर , कोहिमा , शिवसागर , सिलचर , तमेलांग में ग्रहण नहीं देखा जा सकेगा । सूर्यास्त होने के कारण ग्रहण का मोक्ष भारत में दृश्य नहीं होगा ।
ग्रहण का प्रारम्भ --
दिन में २ बजकर २ ९ मिनट पर ,
मध्य सायं ४ बजकर ३० मिनट पर
मोक्ष सायं ६ बजकर ३२ मिनट पर होगा ।
नोट--
बालक , वृद्ध , रोगी को छोड़कर अन्य किसी भी व्यक्ति को ग्रहणकाल एवं ग्रहण के सूतककाल मे भोजन करना निषेध है ।
ग्रहण काल मे देवताओं को जल में रख देना चाहिए ।
ग्रहण के पूर्ण होने पर देवताओं का स्नान करके मंदिर मे स्थापित करना चाहिए ।
ग्रहण काल मे गर्भवती महिलाओं को सावधानी रखते हुए गोपाल मंत्र का जप करना चाहिए।
ग्रहण काल में अन्नादि पेय खाद्य सामग्री में कुश या तुलसी को रखे ।
कुश , तुलसी को खाद्य सामग्री में रखने से ग्रहण का दोष नही लगता है ।
तुलसी अगर ना मिले तो कुशा को प्रयोग कर सकते है ।
ग्रहण का महात्म्य --
ग्रहण के समय गंगा स्नान का विशेष महत्व है । मत्स्य पुराण में कहा कि ग्रहण काल मे तीर्थ स्नान व जप ,तप , दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है ।
अति सुन्दर jankari देने के लिए
जवाब देंहटाएंबहूत ही सुंदर और विस्तार से लिखा है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शुभकामनाएं आभार परणाम
जवाब देंहटाएंचंडी प्रसाद बडोला
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर गुरु, विस्तृत जानकारी के लिए
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, पर एक संशय हैँ, तुलसी जो ग्रहण में अपने खाने में अर्पण करने हेतु, तुलसी के पत्ते को कब तोड़े. रविवार को तुलसी नाही तोड़ते फिर अगले दिन अमाआवस्य हैँ. क्या करें पंडितजी थोड़ा विस्तार से बताये
जवाब देंहटाएंतुलसी की जगह कुश का प्रयोग कर सकते है
जवाब देंहटाएंThx
जवाब देंहटाएं