सोमवार, 13 नवंबर 2023

प्रकटेश्वर महादेव मन्दिर बसई की खोज

  प्रकटेश्वर महादेव वसई का इतिहास 

श्री प्रकटेश्वर महादेव जी कि उत्पत्ति का उल्लेख सन १९६० के दशक में हुआ । जिसकी स्थापना श्रीकिशन गिरि बाबा ने की थी। किशन गिरि बाबा के बाद श्रीलिखेश्वर महाराज जी को इस मंदिर का उत्तराधीकारी माना जाता था। महाराज जी के शरीर छुटने पर ग्राम बसई वालो ने मंदिर का देखभाल करना शुरू किया।

प्रकटेश्वर महादेव मंदिर अल्मोड़ा जनपद के स्याल्दे तहसील बसई गांव के अंर्तगत आता है ।जिसमे समस्त ग्रामवासियों के द्वारा धनराशि एकत्रित करके मन्दिर व धर्मशाला का निर्माण किया गया ।


मन्दिर में पुजारी के रूप में लखेड़ा ब्राह्मणों को नियुक्त किया गया । समय समय पर सभी ग्राम वासियों के द्वारा योगदान मिलता रहा है ।

सन १९९८ में मंदिर का जीर्णोद्धार श्री महेश चंद्र बेलवाल जी के कर कमलों द्वारा शिव मन्दिर ,भैरव मंदिर ,माता का मन्दिर व धर्मशाला का पुनः निर्माण किया गया ।

क्षेत्र के श्रद्धालु भक्तों के द्वारा शिवरात्रि जागरण ,श्रावण माह में अभिषेक पूजन व भण्डारा किया जाता है ।

प्रकटेश्वर महादेव जी को हलवा, पूरी, चना ,रोट का भोग लगाया जाता है ।भगवान भोलेनाथ सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते है ।

बसई ग्राम वासियों के द्वारा मन्दिर में पूजा अर्चना का कार्य मन्दिर को सुसज्जित व व्यवस्थित बनाने का कार्य ग्रामवासियों द्वारा किया जाता है। ।

भगवान भोलेनाथ हिमालय क्षेत्रों में शिव पार्वती जी की अनेक लीलाओं के द्वारा प्रकटेश्वर रूप धारण करके भक्तों के कष्टों का निवारण कर मनोकामना पूर्ण करते है।

    । । जय श्री प्रकटेश्वर महादेव।।

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आचार्य हरीश चन्द्र लखेड़ा            
   
           

श्रीषष्ठीदेवीस्तोत्रम्

॥ श्रीषष्ठीदेवीस्तोत्रम् ॥

सन्तान प्राप्ति के लिये अद्भुत अनुष्ठान  

यदि कोई महानुभाव कि किसी कारणवश सन्तान न होनेसे निराश हों तो विश्वासपूर्वक श्रीषष्ठीदेवीस्तोत्र का नियमित रूप से नित्य पाठ करें ।

 ध्यानम्- 

षष्ठांशा प्रकृतेः शुद्धां प्रतिष्ठाप्य च सुप्रभाम् ।

सुपुत्रदां च सुभगां  दयारूपां  जगत्प्रसूम् ॥ 

श्वेतचम्पकवर्णाभां    रक्तभूषणभूषिताम्  ।

पवित्ररूपां परमां     देवसेना परां भजे ।।

मंत्र:-- 

ॐ ह्रीं षष्ठीदेव्यै स्वाहा । ( यथाशक्ति जप करें ) 

स्तोत्रं श्रृणु मुनिश्रेष्ठ सर्वकामशुभावहम् । 

आज्ञाप्रदं  च  सर्वेषां  गूढं  वेदेषु  नारद ॥

 प्रियव्रत उवाच :--

नमो देव्यै महादेव्यै सिद्ध्यै शान्त्यै नमो नमः । 

शुभायै देवसेनायै    षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥१॥

वरदाय  पुत्रदायै।   धनदायै  नमो  नमः । 

सुखदायै  मोक्षदायै  षष्ठीदेव्यै  नमो  नमः ॥ २॥

शक्तिषष्ठांशरूपायै सिद्धाय च नमो नमः । 

मायायै सिद्धयोगिन्यै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ ३॥

साराय शारदायै च  पारायै सर्वकारिण्यै । 

बालाधिष्ठायै देव्यै च षष्ठीदेव्यै नमो नमः ।। ४॥

कल्याणदाय कल्याण्यै फलदायै च कर्मणाम् । 

प्रत्यक्षायै च भक्तानां  षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥५॥

पूज्यायै  स्कन्दकान्तायै  सर्वेषां  सर्वकर्मसु । 

देवरक्षणकारिण्यै   षष्ठीदेव्यै  नमो  नमः ॥ ६॥

शुद्धसत्त्वस्वरूपायै वन्दितायै  नृणां  सदा । 

हिंसाक्रोधवर्जितायै  षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ ७॥

धनं  देहि  प्रियां  देहि  पुत्रं  देहि  सुरेश्वरि । 

धर्म  देहि  यशो देहि  षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ ८॥

भूमिं देहि प्रजां देहि विद्यां देहि सुपूजिते । 

कल्याणं च जयं देहि  षष्ठीदेव्यै नमो नमः ॥ ९॥

इति देवीं च  संस्तुत्य लेभे  पुत्रं  प्रियव्रतः । 

यशस्विनं  च  राजेन्द्रं  षष्ठीदेवी प्रसादतः ॥१०॥

षष्ठीस्तोत्रमिदं ब्रह्मन् यः शृणोति च वत्सरम् । 

अपुत्रे  लभते  पुत्रं   वरं    सुचिरजीविनम् ॥११॥

वर्षमेकं च या भक्त्या संस्तुत्येदं शृणोति च । 

सर्वपापविनिर्मुक्ता   महावन्ध्या प्रसूयते ॥ १२॥

वीरं पुत्रं च गुणिनं विद्यावन्तं  यशस्विनम् । 

सुचिरायुष्मन्तमेव।  षष्ठीदेवी  प्रसादतः ॥ १३॥

काकवन्ध्या च या नारी मृतापत्या च या भवेत् । 

वर्षं श्रुत्वा लभेत् पुत्रं  षष्ठीदेवीप्रसादतः ॥१४॥

रोगयुक्ते च बाले च पिता माता शृणोति चेत् । 

मासेन मुच्यते बालः षष्ठीदेवी  प्रसादतः ॥ १५॥

                              प्रणाम - मन्त्र

            जय देवि जगन्मातर्जगदानन्दकारिणि । 

            प्रसीद मम कल्याणि नमस्ते षष्ठि देवते ॥ 


जीवन से पल्ला झाड़

मनुष्य जीवन कितना विचित्र है किसी वस्तु विशेष को पाने कि बहुत विचित्र ललक तो कभी पल्ला झाड़ने की ललक , मनुष्य के  जीवन मे न जाने कितने उतार चढ़ाव आते है ,समय असमय पर वह अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास करता रहता है ।

जब मनुष्य किसी से कुछ सहायता पाने की  चेष्टा करता है । किन्तु कार्यों की उपलब्धि के बाद व अपना पल्ला झाड़ने लगता है ।जैसे वह कभी किसी को जानता न हो ।यह मनुष्य कि कमजोरी हो या जीव का लक्षण, सदा अपने ईष्ट (लक्ष्य) को साधते रहता है ।

बाल अवस्था -शिक्षा ,

युवा अवस्था - रोजगार , 

यौवन अवस्था - विवाह ,सन्तान 

प्रौढ़ अवस्था -  परिवार व कार्यो का निर्वहन करते वृद्धावस्था को प्राप्त हो अपने जीवन से भी पल्ला झाड़ देता है । 

जीवन के सभी महत्वपूर्ण कार्यो को करते करते मनुष्य कब अपने आप को भूल जाता है पता ही नही चलता ।

मनुष्य सदैव अपने जीवन काल मे अनेक अध्यायों को जोडता चला जाता है, पता नही चलता ।

दृष्टान्त --

गुरुकुल से विद्या अध्यन पूर्ण करने के बाद विद्यार्थी गुरु जी के पास गया बोला गुरु जी में आज शिक्षा प्राप्त करके गांव लौट रहा हूँ ,कृपया आप अनुमति दें ।

गुरुजी बोले बेटा आपको आशीर्वाद है  , किन्तु आप मेरे से पल्ला झाड़ लोगे मुझे भूल जाओगे ,शिष्य बोला नही गुरु जी में आपको सदा याद करूँगा ।शिष्य अपने गाँव को चला गया ।

कुछ वर्ष बीत जाने के बाद गुरु जी के पास गया , प्रणाम करके बोला गुरुजी में आपको भूला नही मै आपको विवाह का निमंत्रण देने आया हूँ ।गुरुजी बोले अब आप अपने माता पिता को भी भूल जाएगा व पल्ला झाड़ेगा दूर चला जायेगा ।

शिष्य बोला गुरु जी में सबको संयुक्त करके रखुंगा ।

शिष्य को जब पुत्र हुआ तब भी गुरु जी के पास गया । गुरु जी बोले अब तुम पत्नी को भी भूल जाओगे पुत्र पुत्र में रह जाओगे । परिवार के भरण पोषण में तुम कब अपने आप को भी भूल जाओगे ,पैसा पैसा करते जीवन से कब पल्ला झाड़ लोगे पता नही चलेगा ।  

कोई     तन   दुःखी ,

कोई    मन    दुःखी ।

कोई धन बिन रहत उदास

थोड़े  थोड़े सब  दुःखी ,

सुखी   राम    के    दास

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छोटी सी भूल कभी बड़ी बन जाती है ।

सोचो समझो --

जीवन है ,चलता है ,चलता रहेगा पर सोचो समझो कभी कभी हम कही एक भूल करदें ,जिसकी सजा यहाँ तो मिलती है ,और वहाँ भी मिलती है ,यह निश्चित है । 

इस लिए सावधान सोच समझ कर जीवन चक्र के पथ पर चलें। मानव जीवन है ,बहुत कठिनाईयां ,अनेक संघर्ष के बाद जीवन सफल होता है ।

जीवन मे आप कभी मठ , मंदिर , तीर्थ गुरु ,संत ,महंत आदि ,आदि के यहाँ जाते है ,कामना करते हैं, प्रभु ऐसा काम हो जाता कृपा करें । ऐसा बोल कर आ जाते हैं और भगवान से कामना करते हैं, कि मेरा काम हो जाएगा तो - मैं आपको अमुक वस्तु चढ़ाऊंगा ,और भूल  जाते है, जिसकी वजह से जीवन में अनेके कठिनाइयाँ  आती ,अनेक प्रकार की तकलीफ शुरू हो जाती है , यही एक भूल है , जिसे हम भूल जाते हैं ,और जीवन में अपने वजह से अपनी कामना की वजह से पूरे परिवार को तकलीफ में डाल देते हैं । बस प्रार्थना करें ।

जीवन की दूसरी भूल सच्ची बात है एक बार किसी व्यक्ति को बैंक से लोन की जरूरत थी । और वह बैंक गया बैंक वालों ने उससे बोला कि आप अपने साथ में उस व्यक्ति को ले आओ जो आपको जनता है ।

तो उस व्यक्ति को बगल गांव का कोई व्यक्ति मिला , उससे बोला भाई मेरे को लोन चाहिए ,बैंक किसी पहचान वाले का साइन मांग रही है।

आपके एक गवाही से मेरा काम हो जाएगा । उसने सिग्नेचर कर दिया ।

वह व्यक्ति बैंक से अपना काम कर  पैसा ले करके वहां से निकल गया ।

और जब क़िस्त भरने का समय आया तो लोन लेने वाला व्यक्ति गायब हो गया ।

इस स्थिति में बैंक गारंटर को खोजती है । जब फार्मा चेक किया गया उस पर जिस व्यक्ति का साइन था एड्रेस डाला हुआ था ।बैंक वाले उसके घर पर गए उससे लोन का पैसा भरने को कहा।  वह व्यक्ति अंदर से टूट गया ।

कोर्ट में केस चला मगर कुछ भी परिणाम ना मिला और मरते दम तक केस चलता रहा । 

जीवन में ऐसी गलती कभी भी भूल के भी न करें।

तीसरी घटना एक बार एक बच्चा बहुत गाली देता है बचपन से गाली देने की बहुत आदत थी। बड़ा होकर नौकरी करने लगा । कुछ समय बाद में उसकी मीटिंग हुई वहां पर बड़े बॉस के साथ में बातचीत के दौरान उसकी कहा सुनी हो गई और उसने बॉस के साथ असभ्य भाषा का प्रयोग करके संबोधित किया जिसके कारण सीनियर बॉस ने उस व्यक्ति को उसके स्थान से  हटा दिया ।

वह व्यक्ति जब वहां से निकला तो उसका जीवन का आधा सफर निकल चुका था जिसके कारण उसके मुंह से बोले गए वाक्यों से उसका जीवन का सफर वहां पर खत्म हो गया और वह अकेला हो गया ।

इसलिए जो भी शब्द आप बोलो वह सोच और समझ कर बोलें वही शब्द हमारे लिए मित्र बनाते हैं वही शब्द हमारे लिए शत्रु बना देते हैं ।

जीवन का हर कदम अच्छे से रखें ।जीवन कोरे कागज की तरह है ।एक बार दाग लगाने पर छुपता नही ।

जीवन मे कुछ काम मनुष्य ऐसा करता है । जिसका फल जीवन छूट जाने के बाद नरक के रूप में भोगना पड़ता है ।

श्री सत्यनारायण पूजन सामग्री

।।श्री सत्यनारायण पूजन सामग्री।।

०१ - रोली , चन्दन पाउडर

०२ - मोली , जनेऊ

०३- अविर ,सिंदूर ,गुलाल ,अभ्र्क

०४- लौंग, इलायची, पान ,सुपारी

०५ - रुई ,दिया, कपूर ,तेल ,मर्चिस

०६ - फल मिठाई पञ्चमेवा

०७- दूध ,दही, घी, शहद, शक्कर

०८ - नारियल, गोला

०९- फूल , फूलमाला, दूर्वा, तुलसी, बेलपत्र

१० - केले का खम्बा ४

११ - लाल कपड़ा ,पीला कपड़ा ,सफेद कपड़ा

१२ - सत्यनारायण जी की फोटो

१३ - चावल

१४ - दोना

१५ - चौरंगा ,पाट

१६ - गंगाजल, गौमूत्र, ईत्र

१७- जौ, सफेद तिल

१८- ब्राह्मण वस्त्र


श्री गणेश पूजन सामग्री

।।श्री गणेश पूजन सामग्री।।

१- रोली ,चन्दन

२- मौली,जनेऊ

३- अबीर ,सिंदूर ,अभ्रक,गुलाल ,हल्दी पाउडर

४- पान सुपारी, लौंग ,इलायची

५ धूप , रुई , दिया  कपूर , मर्चिस

६- नारियल , गोला

७- दूध ,दही , घी ,शहद ,शक्कर 

८- फल ,मिठाई पञ्चमेवा

९- फूल , फूलमाला , दूर्वा ,तुलसी , बेलपत्र

१०- लाल कपड़ा , सिंदूरी कपड़ा

११- तिल का तेल 

१२- चावल

१३-गणपति जी का वस्त्र आभूषण

१४- दोना 

१५ - गंगाजल, गौमूत्र

आचार्य पंडित जी मिलेंगे

सनातन संस्कृति संस्काराे में आस्था रखने वाले सभी धर्म प्रेमी धर्मानुरागी परिवारों का स्वागत अभिनंदन । आपको बताते हर्ष हो रहा है। कि हमारे पं...