सोमवार, 13 नवंबर 2023

जीवन से पल्ला झाड़

मनुष्य जीवन कितना विचित्र है किसी वस्तु विशेष को पाने कि बहुत विचित्र ललक तो कभी पल्ला झाड़ने की ललक , मनुष्य के  जीवन मे न जाने कितने उतार चढ़ाव आते है ,समय असमय पर वह अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास करता रहता है ।

जब मनुष्य किसी से कुछ सहायता पाने की  चेष्टा करता है । किन्तु कार्यों की उपलब्धि के बाद व अपना पल्ला झाड़ने लगता है ।जैसे वह कभी किसी को जानता न हो ।यह मनुष्य कि कमजोरी हो या जीव का लक्षण, सदा अपने ईष्ट (लक्ष्य) को साधते रहता है ।

बाल अवस्था -शिक्षा ,

युवा अवस्था - रोजगार , 

यौवन अवस्था - विवाह ,सन्तान 

प्रौढ़ अवस्था -  परिवार व कार्यो का निर्वहन करते वृद्धावस्था को प्राप्त हो अपने जीवन से भी पल्ला झाड़ देता है । 

जीवन के सभी महत्वपूर्ण कार्यो को करते करते मनुष्य कब अपने आप को भूल जाता है पता ही नही चलता ।

मनुष्य सदैव अपने जीवन काल मे अनेक अध्यायों को जोडता चला जाता है, पता नही चलता ।

दृष्टान्त --

गुरुकुल से विद्या अध्यन पूर्ण करने के बाद विद्यार्थी गुरु जी के पास गया बोला गुरु जी में आज शिक्षा प्राप्त करके गांव लौट रहा हूँ ,कृपया आप अनुमति दें ।

गुरुजी बोले बेटा आपको आशीर्वाद है  , किन्तु आप मेरे से पल्ला झाड़ लोगे मुझे भूल जाओगे ,शिष्य बोला नही गुरु जी में आपको सदा याद करूँगा ।शिष्य अपने गाँव को चला गया ।

कुछ वर्ष बीत जाने के बाद गुरु जी के पास गया , प्रणाम करके बोला गुरुजी में आपको भूला नही मै आपको विवाह का निमंत्रण देने आया हूँ ।गुरुजी बोले अब आप अपने माता पिता को भी भूल जाएगा व पल्ला झाड़ेगा दूर चला जायेगा ।

शिष्य बोला गुरु जी में सबको संयुक्त करके रखुंगा ।

शिष्य को जब पुत्र हुआ तब भी गुरु जी के पास गया । गुरु जी बोले अब तुम पत्नी को भी भूल जाओगे पुत्र पुत्र में रह जाओगे । परिवार के भरण पोषण में तुम कब अपने आप को भी भूल जाओगे ,पैसा पैसा करते जीवन से कब पल्ला झाड़ लोगे पता नही चलेगा ।  

कोई     तन   दुःखी ,

कोई    मन    दुःखी ।

कोई धन बिन रहत उदास

थोड़े  थोड़े सब  दुःखी ,

सुखी   राम    के    दास

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छोटी सी भूल कभी बड़ी बन जाती है ।

सोचो समझो --

जीवन है ,चलता है ,चलता रहेगा पर सोचो समझो कभी कभी हम कही एक भूल करदें ,जिसकी सजा यहाँ तो मिलती है ,और वहाँ भी मिलती है ,यह निश्चित है । 

इस लिए सावधान सोच समझ कर जीवन चक्र के पथ पर चलें। मानव जीवन है ,बहुत कठिनाईयां ,अनेक संघर्ष के बाद जीवन सफल होता है ।

जीवन मे आप कभी मठ , मंदिर , तीर्थ गुरु ,संत ,महंत आदि ,आदि के यहाँ जाते है ,कामना करते हैं, प्रभु ऐसा काम हो जाता कृपा करें । ऐसा बोल कर आ जाते हैं और भगवान से कामना करते हैं, कि मेरा काम हो जाएगा तो - मैं आपको अमुक वस्तु चढ़ाऊंगा ,और भूल  जाते है, जिसकी वजह से जीवन में अनेके कठिनाइयाँ  आती ,अनेक प्रकार की तकलीफ शुरू हो जाती है , यही एक भूल है , जिसे हम भूल जाते हैं ,और जीवन में अपने वजह से अपनी कामना की वजह से पूरे परिवार को तकलीफ में डाल देते हैं । बस प्रार्थना करें ।

जीवन की दूसरी भूल सच्ची बात है एक बार किसी व्यक्ति को बैंक से लोन की जरूरत थी । और वह बैंक गया बैंक वालों ने उससे बोला कि आप अपने साथ में उस व्यक्ति को ले आओ जो आपको जनता है ।

तो उस व्यक्ति को बगल गांव का कोई व्यक्ति मिला , उससे बोला भाई मेरे को लोन चाहिए ,बैंक किसी पहचान वाले का साइन मांग रही है।

आपके एक गवाही से मेरा काम हो जाएगा । उसने सिग्नेचर कर दिया ।

वह व्यक्ति बैंक से अपना काम कर  पैसा ले करके वहां से निकल गया ।

और जब क़िस्त भरने का समय आया तो लोन लेने वाला व्यक्ति गायब हो गया ।

इस स्थिति में बैंक गारंटर को खोजती है । जब फार्मा चेक किया गया उस पर जिस व्यक्ति का साइन था एड्रेस डाला हुआ था ।बैंक वाले उसके घर पर गए उससे लोन का पैसा भरने को कहा।  वह व्यक्ति अंदर से टूट गया ।

कोर्ट में केस चला मगर कुछ भी परिणाम ना मिला और मरते दम तक केस चलता रहा । 

जीवन में ऐसी गलती कभी भी भूल के भी न करें।

तीसरी घटना एक बार एक बच्चा बहुत गाली देता है बचपन से गाली देने की बहुत आदत थी। बड़ा होकर नौकरी करने लगा । कुछ समय बाद में उसकी मीटिंग हुई वहां पर बड़े बॉस के साथ में बातचीत के दौरान उसकी कहा सुनी हो गई और उसने बॉस के साथ असभ्य भाषा का प्रयोग करके संबोधित किया जिसके कारण सीनियर बॉस ने उस व्यक्ति को उसके स्थान से  हटा दिया ।

वह व्यक्ति जब वहां से निकला तो उसका जीवन का आधा सफर निकल चुका था जिसके कारण उसके मुंह से बोले गए वाक्यों से उसका जीवन का सफर वहां पर खत्म हो गया और वह अकेला हो गया ।

इसलिए जो भी शब्द आप बोलो वह सोच और समझ कर बोलें वही शब्द हमारे लिए मित्र बनाते हैं वही शब्द हमारे लिए शत्रु बना देते हैं ।

जीवन का हर कदम अच्छे से रखें ।जीवन कोरे कागज की तरह है ।एक बार दाग लगाने पर छुपता नही ।

जीवन मे कुछ काम मनुष्य ऐसा करता है । जिसका फल जीवन छूट जाने के बाद नरक के रूप में भोगना पड़ता है ।

श्री सत्यनारायण पूजन सामग्री

।।श्री सत्यनारायण पूजन सामग्री।।

०१ - रोली , चन्दन पाउडर

०२ - मोली , जनेऊ

०३- अविर ,सिंदूर ,गुलाल ,अभ्र्क

०४- लौंग, इलायची, पान ,सुपारी

०५ - रुई ,दिया, कपूर ,तेल ,मर्चिस

०६ - फल मिठाई पञ्चमेवा

०७- दूध ,दही, घी, शहद, शक्कर

०८ - नारियल, गोला

०९- फूल , फूलमाला, दूर्वा, तुलसी, बेलपत्र

१० - केले का खम्बा ४

११ - लाल कपड़ा ,पीला कपड़ा ,सफेद कपड़ा

१२ - सत्यनारायण जी की फोटो

१३ - चावल

१४ - दोना

१५ - चौरंगा ,पाट

१६ - गंगाजल, गौमूत्र, ईत्र

१७- जौ, सफेद तिल

१८- ब्राह्मण वस्त्र


श्री गणेश पूजन सामग्री

।।श्री गणेश पूजन सामग्री।।

१- रोली ,चन्दन

२- मौली,जनेऊ

३- अबीर ,सिंदूर ,अभ्रक,गुलाल ,हल्दी पाउडर

४- पान सुपारी, लौंग ,इलायची

५ धूप , रुई , दिया  कपूर , मर्चिस

६- नारियल , गोला

७- दूध ,दही , घी ,शहद ,शक्कर 

८- फल ,मिठाई पञ्चमेवा

९- फूल , फूलमाला , दूर्वा ,तुलसी , बेलपत्र

१०- लाल कपड़ा , सिंदूरी कपड़ा

११- तिल का तेल 

१२- चावल

१३-गणपति जी का वस्त्र आभूषण

१४- दोना 

१५ - गंगाजल, गौमूत्र

मंगलवार, 17 अक्टूबर 2023

शनि की दस पत्नियों के नाम जपने से शनि का प्रभाव नही होता है।

शनि की दस पत्नियों के नाम

ॐ ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलह प्रिया ।

कलाह कंटिकि चापि अजा महिषी तुरंगमा ।।

1-ध्वजिनी

2-धामिनी

3-कंकाली

4-कलह

5-प्रिया

6-कलाह

7-कंटिकि

8-अजा

9-महिषी

10-तुरंगमा

शनि की दशा जिसे पीड़ित करती है वह लोग शनि की 10 पत्नियों का नाम जप करने से शनि उन्हें कभी भी परेशान नहीं करता और हमेशा अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं । 

।।जय शनि देव ।।

खण्डग्रास चंद्रग्रहण 28अक्टूबर2023

 चंद्रग्रहण--
चंद्र ग्रहण आश्विन शुक्ल पूर्णिमा शनिवार 28 अक्टूबर 2023 को लगने वाला खंड ग्रास चंद्र ग्रहण भारत में दृश्य होगा ।भारत के अतिरिक्त यह ग्रहण पश्चिमी तथा दक्षिण प्रशांत महासागर ऑस्ट्रेलिया ,एशिया, यूरोप ,अफ्रीका ,अमेरिका आदि अटलांटिक महासागर ,हिंद महासागर में दृश्य होगा।

चंद्रस्त के समय ग्रहण का प्रारंभ ऑस्ट्रेलिया उत्तरी प्रशांत महासागर रूस के पूर्वी भाग में होगा।

चंद्रोदय के समय ग्रहण का अंत उत्तर तथा दक्षिण अटलांटिक महासागर ब्राजील के पूर्वी भाग तथा कनाडा में दिखाई देगा ।

भारतीय मानक समय अनुसार ग्रहण का प्रारंभ रात्रि में 1:05 मिनट पर तथा मध्य रात्रि के 1:44 मिनट तथा मोक्ष रात्रि में 2:24 मिनट पर होगा ।

ग्रहण का स्पर्श मध्य मोक्ष पूरे भारत में दिखाई देगा ।

चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले लग जाएगा ।

सावधानी --

ग्रहण काल में विशेष सावधानियां बरतने की जरूरत होती है । जो हमारे जीवन को खुशहाल ,समृद्ध बनती है । और जीवन के जो कष्ट हैं ,दुख हैं वह ग्रहण काल में सावधानी रखने से दूर हो जाती है। 

विशेष --

1- ग्रहण काल में भोजन का त्याग करें।

2- ग्रहण काल जल का त्याग करें ।

3-ग्रहणकाल में निद्रा का त्याग करें।

4- ग्रहण काल मे जप करें, पाठ करें,दान करें।

ग्रहण काल में सिर्फ और सिर्फ जप, तप, पूजा ,साधना आदि कर सकते हैं। गंगा स्नान कर सकते हैं ।गंगा में खड़े होकर के भगवान का अपने इष्ट या चंद्रमा के मंत्र का गायत्री मंत्र का जप कर सकते हैं ।ग्रहण काल के निवृति होने पर चावल अन्न वस्त्र का दक्षिणा सहित दान दान करना चाहिए। और घर में जो भी अन्न आदि खाद्य सामग्री रखी होती हैं उनमें कुश या तुलसी दल रखने से ग्रहण का दोष नहीं लगता है और ग्रहण के निवृति होने के बाद घर में जो रखा हुआ बर्तन में पानी है या पहले का बासी खाना है उसको ना खाएं और जल को ना पिए, ग्रहण की निवृत्ति के बाद नया जल और नया भोजन बनाकर के ग्रहण करना चाहिए ।

विशेषकर गर्भवती महिलाएं ग्रहण का दर्शन ना करें । ग्रहण काल में भगवान का नाम जप करना चाहिए। भगवान का नाम जप करने से बच्चे की रक्षा करें और स्वयं की रक्षा करें ग्रहण का दर्शन करने से गर्भ पर ग्रहण का बुरा प्रभाव पड़ता है इसलिए भगवान का जाप करें । 

ग्रहण फल --

चंद्रग्रहण में राशियों पर क्या होगा शुभ और अशुभ प्रभाव।

मेष राशि वालों के लिए हानि, वृषभ राशि वालों के लिए हानि है, मिथुन राशि वालों के लिए लाभ है ,कर्क राशि वालों के लिए सुख है ,सिंह राशि वालों के लिए मानहानि है ,कन्या राशि वालों के लिए कष्ट है, तुला राशि वालों के लिए स्त्री पीड़ा, वृश्चिक राशि वालों के लिए सुख,धनु राशि वालों के लिए चिंता का कारण रहेगा, मकर राशि वालों के लिए दुःख, कुंभ राशि वालों के लिए शुभ रहेगा लाभदायक रहेगा ,मीन राशि वालों के लिए हानिकारक है ।

।। हर हर महादेव।।

शारदीय नवरात्र१५अक्टूबर२०२३

 शारदीय नवरात्रि 2023 

सनातन हिंदू धर्म में मास परिवर्तन, पक्ष परिवर्तन ,ऋतु परिवर्तन ,वर्ष परिवर्तन के उपरांत या प्रथम दिन घरों में विशेष उपासना पूजा पाठ का आयोजन किया जाता है । घरों की महिलाएं प्रात:काल में उठकर घरों की देहली लिप कर घरों को सुसज्जित करके घर के ईशान कोण में इष्ट देवता कुल देवता पूजा प्रधान देवता की स्थापना की जाती है। और उस दिन घरों की महिलाएं सुंदर पकवान बनाकर भगवान को भोग लगती हैं। और भगवान को सुंदर वस्त्र आभूषण अलंकार से सुसज्जित किया जाता है।

इस वर्ष शादी नवरात्र 15 अक्टूबर 2023 से प्रारंभ होगी यह नवरात्र 9 दिन की है । 9 दिन में माता के नौ रूपों की प्रधानता है। जिसमें हर रोज एक-एक देवी की पूजा की जाती है ।और उनको मनाया जाता है। और उनकी पूजा में लगने वाली सामग्री उन्हें अर्पित की जाती है प्रथम दिन से लेकर 9 दिन तक माता रानी का व्रत किया जाता है। और जो लोग व्रत करने में सक्षम नहीं है। वे लोग पहले दिन और अंतिम दिन का व्रत रख करके अपने नवरात्र व्रत को पूर्ण करते हैं ,कुछ लोग निराहार रहकर के व्रत रखते हैं, कुछ लोग दिन में एक समय फलाहार लेकर व्रत रखते हैं, और कुछ लोग दिन में एक टाइम भजन लेकर के व्रत रखते हैं ।व्रत रखने के अलग-अलग प्रकार के विधान हैं । अपनी शक्ति और सामर्थ्य की अनुरूप भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिए पूजा में कभी भी किसी की देखा देखी करके पूजा नहीं करनी चाहिए।

नवरात्र व्रत सारणी--

प्रथम दिवस -१५/१०/२०२३-शैलपुत्री।


द्वितीय दिवस -१६/१०/२०२३-ब्रह्मचारिणी।


तृतीय दिवस -१७/१०/२०२३-चंद्रघंटा।


चतुर्थ दिवस -१८/१०/२०२३-कुष्मांडा।


पंचम दिवस -१९/१०/२०२३-स्कंदमाता।


षष्ट दिवस -२०/१०/२०२३-कात्यायनी।


सप्तम दिवस -२१/१०/२०२३-कालरात्रि।


अष्टम दिवस -२२/१०/२०२३ -महागौरी।


नवम दिवस -२३/१०/२०२३-दुर्गा नवमी महानवमी।


दशम दिवस -२४/१०/२०२३ -नवरात्र व्रत परायण श्रीदुर्गा विसर्जन।

सोमवार, 9 अक्टूबर 2023

कंकणाकृति सूर्यग्रहण १४अक्टूबर 2023

 सूर्य ग्रहण--

सूर्यग्रहण आश्विन कृष्ण अमावस्या १४ अक्टूबर २०२३ को लगाने वाला कंकणाकृति सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा । यह ग्रहण उत्तरी अमेरिका, मध्य अमेरिका तथा दक्षिण अमेरिका ,दक्षिण भाग को छोड़कर उत्तरी अफ्रीका पश्चिमी किनारा अटलांटिक और प्रशांत महासागर में दिखाई देगा। भारतीय मानक समय अनुसार ग्रहण का प्रारंभ रात्रि में 8:34 मिनट पर तथा मोक्ष रात्रि में 2:25 मिनट पर होगा।

सावधानी--

सूर्य ग्रहण के दिन भारत में ग्रहण दृश्य नहीं होने के कारण हमको ज्यादातर सावधानियां रखने की जरूरत नहीं है, इसलिए सामान्य की तरह चलता रहेगा।

मंगलवार, 29 अगस्त 2023

क्रोध किये ह्रृदय जले ---

क्रोध किये हृदय जले, रक्त जले और मांस ।

क्रोधी नर यू देखिए ,ज्यूँ वन सूखा बांस ।।

क्रोध भयंकर रोग है ,सन्निपात यह जान ।

क्रोध युक्त नर हो जभी, भूले सब पहचान ।।

क्रोध भये नर राक्षसी, करते कार व्यवहार ।

क्रोधी की छाया जहां,वही है हाहाकार ।।

क्रोध किया रावण मरा, दुर्योधन का नाश ।

राज गया दुर्गति भई ,मिला नर्क का वास ।।

क्रोध भरे भड़क उठे ,नेत्र लाल हो ज्वाल ।

रंग रूप सब नष्ट हो ,सुन्दर मुख विकराल ।।

क्रोध ज्वाला से क्षीण हो ,सुंदर मुख विकराल ।

स्वस्थ्य नष्ट यौवन घटे, और घटे सब ज्ञान ।।

स्वस्थ्य प्रिय तज क्रोध को ,सुंदर शील को पाके ।

धनी सुयस्वि रूपमयी ,जग में माना जावे ।।

मंगलवार, 21 मार्च 2023

हिंदू नववर्ष, विक्रम संवत २०८०

नारायणं  नमस्कृत्य   नरं चैव नरोत्तम्म ।

देवीं सरस्वतीं व्यासं ततो जय मुदीरयेत ।।

   हिन्दू नव संवत्सर २०८०

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इस वर्ष पिंगल नाम संवत्सर का प्रवेश हो रहा है। इस वर्ष राजा बुध मंत्री शुक्र है । राजा व मंत्री में मित्रता होने के से सत्ता पक्ष में सरलता पूर्वक कार्य होंगे। समाज में एकता बनी रहेगी । देश मे धनधान्य की स्थिति अच्छी रहेगी।व्यापारिक क्षेत्र में भारत की पकड़ मजबूत रहेगी ।

यह वर्ष विश्व शांति की दृष्टि से शुभ नहीं है । राष्ट्रों की आंतरिक स्थिति बिगड़ेगी। पड़ोसि देशों में अच्छे संबंध  नहीं रहेगें। विश्व में रक्तपात जनित नरसंहार का परिणाम दिखाई देगा ।विश्व व्यापार में आकस्मिक मंदी की स्थिति रहेगी। अनेक राष्ट्र की सीमाओं पर सैन्य संगठन अथवा युद्ध जैसा वातावरण होगा । भारत के पड़ोसी देशों व उसके सीमावर्ती राज्यों के भूखंड क्षेत्रों में राजनीतिक दृष्टि से अस्थिरता तथा आतंकवाद की वजह से यह क्षेत्र प्रभावित रहेंगे। वाहन दुर्घटना , अंतरिक्ष उत्पाद विस्फोट से जनधन की हानि होगी । कहीं कहीं किसी प्राकृतिक आपदा से जनधन की हानि संभव है । विरोधी दलों का वर्चस्व बढ़ेगा। भारत में विशेष कानून व्यवस्था लागू होगी। भारत नित्य उन्नति  की ओर बढ़ेगा । यह वर्ष वर्षा के सामान्य योग रहेंगे पश्चिमी भागों में वर्षा की कमी होगी । उत्तर एवं दक्षिण भागों में अत्यधिक वर्षा से जनजीवन अस्त व्यस्त होगा।

रोहिणी का वास समुद्र में होने से वर्षा अच्छी होगी और फसलों की अच्छी पैदावार होने से किसानों में खुशी रहेगी ।

चंद्र बल--

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संवत्सर प्रतिपदा के दिन मेष, सिंह, धनु राशि के जातकों को तथा विषुवत संक्रांति वैशाख एक गते के दिन मिथुन, तुला, कुंभ राशि के जातकों को चंद्रमा अशुभ (अपैट)है। शांति के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें तथा पुरोहित जी को चावल,दही,श्वेत वस्त्र,चांदी की पादुका, दक्षिणा आदि का दान करें ।

शनि की साढ़ेसाती तथा ढय्या संवत २०८०--

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इस वर्ष पर्यंत शनि देव कुंभ राशि पर रहेंगे अतः मकर, कुंभ तथा मीन राशि वालों के लिए शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा । कर्क और वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि की ढैया चलेगी शनि की साढ़ेसाती मीन राशि वालों के लिए सिर पर ,कुंभ राशि वालों के लिए हृदय पर और मकर राशि वालों के पैर पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा। जिन राशि वालों के लिए शनि की ढैया व साढ़ेसाती चल रही है ।उन्हें सुंदरकांड, रामायण, हनुमान चालीसा का नित्य पाठ व शनि चालीसा का पाठ व्रत करना चाहिए शनिवार को नित्य उड़द की दाल, काला कपड़ा, लोहा ,सरसों का तेल इत्यादि का दान  करना चाहिए और शनिवार प्रातः पीपल के वृक्ष में जल दान और सायं मे दीप दान करना चाहिए।

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शनिवार, 31 दिसंबर 2022

पूजा पाठ व मंदिर में ध्यान देने योग्य बातें--

शास्त्रों के अनुसार पूजा अर्चना में वर्जित काम --

१) गणेश जी को तुलसी न चढ़ाएं ।

२) किसी देवी पर दुर्वा न चढ़ाएं ।

३) शिव लिंग पर केतकी फूल न चढ़ाएं।

४) विष्णु को तिलक में अक्षत न चढ़ाएं।

५) दो शंख एक समान पूजा घर में न रखें।

६) मंदिर में तीन गणेश मूर्ति न रखें ।

७) तुलसी पत्र चबाकर न खाएं।

८) द्वार पर जूते चप्पल उल्टे न रखें ।

९) दर्शन करके बापस लौटते समय घंटा न बजाएं।

१०) एक हाथ से आरती नहीं लेना चाहिए ।

११) ब्राह्मण को बिना आसन बिठाना नहीं चाहिए ।

१२) स्त्री द्वारा दंडवत प्रणाम वर्जित है ।

१३) बिना दक्षिणा ज्योतिषी से प्रश्न नहीं पूछना चाहिए ।

१४) घर में पूजा करने अंगूठे से बड़ा शिवलिंग न रखें।

१५) तुलसी पेड़ में शिवलिंग किसी भी स्थान पर न हो ।

१६) गर्भवती महिला को शिवलिंग स्पर्श नहीं करना है।

१७) स्त्री द्वारा मंदिर में नारियल नहीं फोडना है ।

१८) रजस्वला स्त्री का मंदिर प्रवेश वर्जित है

१९) परिवार में सूतक हो तो पूजा प्रतिमा स्पर्श न करें ।

२०) शिव जी की पूरी परिक्रमा नहीं किया जाता ।

२१) शिव लिंग से बहते जल को लांघना नहीं चाहिए ।

२२) एक हाथ से प्रणाम न करें ।

२३) दूसरे के दीपक में अपना दीपक जलाना नहीं चाहिए ।

२४)चरणामृत लेते समय दायें हाथ के नीचे एक नैपकीन रखें ताकि एक बूंद भी नीचे न गिरे ।

२५) चरणामृत पीकर हाथों को शिर या शिखा पर न पोछें बल्कि आंखों पर लगायें शिखा पर गायत्री का निवास होता है उसे अपवित्र न करें ।

२६) देवताओं को लोभान या लोभान की अगरबत्ती का धूप न करें ।

२७) स्त्री द्वारा हनुमानजी शनिदेव को स्पर्श वर्जित है ।

२८) कंवारी कन्याओं से पैर पडवाना पाप है ।

२९) मंदिर परिसर में स्वच्छता बनाए रखने में सहयोग दें ।

३०) मंदिर में भीड़ होने पर  लाईन पर लगे हुए। भगवन्नामोच्चारण करते रहें एवं अपने क्रम से ही  अग्रसर होते रहें।

३१) शराबी का भैरव के अलावा अन्य मंदिर प्रवेश वर्जित है।

३२) मंदिर में प्रवेश के समय पहले दाहिना पैर और निकास के समय बाया पांव रखना चाहिए ।

३३)घंटी को इतनी जोर से न बजायें कि उससे कर्कश ध्वनि उत्पन्न हो ।

३४)हो सके तो मंदिर जाने के लिए एक जोड़ी वस्त्र अलग ही रखें ।

३५) मंदिर अगर ज्यादा दूर नहीं है तो बिना जूते चप्पल के ही पैदल जाना चाहिए ।

३६) मंदिर में भगवान के दर्शन खुले नेत्रों से करें और मंदिर से खड़े खड़े वापिस नहीं हों,दो मिनट बैठकर भगवान के रूप माधुर्य का दर्शन लाभ लें ।

३७) आरती लेने अथवा दीपक का स्पर्श करने के बाद हस्तप्रक्षालन अवश्य करें ।

इन सभी बताई गई बातें हमारे ऋषि मुनियों से परंपरागत रूप से प्राप्त हुई है। 


आचार्य पंडित जी मिलेंगे

सनातन संस्कृति संस्काराे में आस्था रखने वाले सभी धर्म प्रेमी धर्मानुरागी परिवारों का स्वागत अभिनंदन । आपको बताते हर्ष हो रहा है। कि हमारे पं...