- चैत्र कृष्ण पक्ष को यह एकादशी पापमोचनी एकादशी कहलाती है।इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस व्रत के करने से समस्त पापों का नाश होता है।और सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
- चैत्र शुक्ल पक्ष को यह एकादशी कामदा एकादशी कहलाती है।इस दिन भगवान वासुदेव का पूजन किया जाता है।इस व्रत में अन्न व नमक नही खाया जाता।
- बैशाख कृष्ण पक्ष एकादशी बरूथिनी एकादशी व्रत कहलाती है।इस दिन भगवान मधुसूदन का पूजन किया जाता है।बरूथिनी व्रत करने से सभी पापो का नाश होता है ।सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है।चरणामृत ग्रहण करने से आत्म शुद्धि होती है
- वैशाख शुक्ल पक्ष एकादशी मोहनी एकादशी व्रत कहलाती है।इस दिन भगवान पुरुषोत्तम राम की पूजा की जाती है इस व्रत से सभी निंदित पापो से मुक्ति होती है।
- जेष्ठ कृष्ण पक्ष एकादशी अपरा या अचला एकादशी व्रत कहलाती हैं इस दिन भगवान त्रिविक्रम की पूजा की जाती है।इस व्रत से कीर्ति पुण्य तथा धन की वृद्धि होती है।इस दिन फलाहार किया जाता है।
- जेष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी निर्जला एकादशी व्रत कहलाती है ।वर्ष में चौबीस एकादशी आती है ।किंतु उसमे जेष्ठ शुक्ल एकादशी सबसे बढ़कर फल देने वाली है।इस एकादशी में व्रत रखने से वर्ष भर की एकादशी का फल प्राप्त होता है।एकादशी सूर्योदय से द्वादशी सूर्योदय तक जल भी न ग्रहण करने का विधान है।यह व्रत अत्यंत संयम साध्य है ।इस दिन भगवान वासुदेव की पूजा की जाती है।
- आषाढ़ कृष्ण पक्ष एकादशी योगिनी एकादशी व्रत कहलाती हैं।इस दिन भगवान लक्ष्मीनारायण का पूजन किया जाता है।इस व्रत से पीपल वृक्ष काटने जैसे पापो से मुक्ति मिलती है।
- आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी हरिशयनी या देवसोनी एकादशी कहलाती है इस दिन भगवान विष्णु चार मास के लिए बलि के द्वार पर पाताल में रहते है ।और कार्तिक मास में शुक्ल एकादशी को लौटते है।इन चार माह भगवान विष्णु सागर में शयन करने के कारण विवाह आदि शुभ कर्म नही होते है।सभी एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा का विधान है इस दिन भगवान को ताम्बूल अर्पण करना चाहिए।और स्तुति की जाती है।
- सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगतसुप्तम भवेदिदम ।
- विबुद्धे त्वयि बुद्धम च जगत्सर्वं चरचरम ।।
- श्रावण कृष्ण एकादशी पवित्रा अथवा कामिनी एकादशी कहलाती है।इस दिन भगवान श्रीधर की पूजा का विधान है।इस व्रत से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।इसके करने से ब्रह्म हत्या तक का दोष का निवारण हो जाता है।सभी पापो से मुक्ति दिलाने वाली है
- श्रावण शुक्ल पक्ष एकादशी पुत्रदा एकादशी नाम से जानी जाती है।इस दिन भगवान जनार्दन की श्रद्धा पूर्वक पूजन की जाती है।इस व्रत से संतान की प्राप्ति होती है
- भाद्रपद कृष्ण एकादशी प्रबोधनी या अजा एकादशी कहलाती है।इस दिन भगवान उपेंद्र स्वरूप की पूजा की जाती है
- भाद्रपद शुक्ल एकादशी परिवर्तनी (वामन)एकादशी की नाम से प्रसिद्ध है।इस दिन शेष शय्या पर निद्रा मग्न भगवान विष्णु करवट बदलते है।इस दिन भगवान वामन अवतार की पूजा की जाती है।इसका फल वाजपेय यज्ञ समान होता हैवमं भगवान की कथा सुननी चाहिए।
- आश्विन कृष्ण एकादशी इंदिरा एकादशी कहलाती है।इस व्रत के करने से सात पीढ़ियो के पितृ तर जाते है उन्हें अनन्त मोक्ष प्राप्त होता है।पितरो को दिव्य लोक में प्रवेश मिलता है।इस दिन भगवान शालिग्राम की पूजा का विधान है।पूजा व प्रसाद में तुलसी के पत्तो का प्रयोग किया जाता है।
- आश्विन शुक्ल पक्ष एकादशी पापांकुशा एकादशी के रूप में जानी जाती है।पापरूपी हाथी को व्रत के पुण्य रूपी अंकुश से बेधने के कारण ही इसका नाम पापांकुशा एकादशी हुआ।इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए जान हितकारी कार्य ,मंदिर,धर्मशाला ,तालाब,प्याऊ,बाग,आदि बनवाने के कार्य प्रारम्भ करने चाहिए।पापांकुशा एकादशी उत्तम मुहूर्त है।
- कार्तिक कृष्ण एकादशी रमा एकादशी कहलाती है।इस दिन भगवान कृष्ण रूप की पूजा करनी चाहिए।इस व्रत से बैभव की प्राप्ति होती है
- कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी देवोत्थानी(देव उठानी)या देवठान होता है।इस दिन घर को लीप पोत सफाई करनी चाहिए।इस दिन देव उठाते है।इस एकादशी से सभी प्रकार के शुभ कार्य,विवाह,उपनयन,इत्यादि प्रारम्भ हो जाते है।इस दिन तुलसी व शालिग्राम के विवाह का आयोजन भी करते है।जिन दम्पत्ति को कन्या नही होती वे जीवन मे तुलसी का विवाह कर कन्यादान का पुण्य प्राप्त करते है।
- मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहते है।इस दिन भगवान कृष्ण का पूजन करना व फलों का भोग लगाया जाता है।
- मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी मोक्षदा एकादशी एवं गीता जयंती के नाम से प्रसिद्ध हैं।इस दिन भगवान कृष्ण व व्यास जी का पूजन करके गीता का व्याख्यान करना चाहिए।
- पौष कृष्ण एकादशी सफला एकादशी का व्रत किया जाता है।भगवान अच्युत की पूजा की जाती है।इस व्रत के करने से अनेक कार्यो में सफलता प्राप्त होती है।
- पौष शुक्ल पक्ष एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है।इस दिन सुदर्शन चक्रधारी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।इस व्रत से सन्तान प्राप्ति व सन्तान रक्षा हिती है।
- माघ कृष्ण एकादशी षटतिला एकादशी कहते है।इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।इस दिन काले तिल व श्यामा गाय के दान का विशेष महत्त्व है।शरीर मे तिल के तेल की मालिश तिल जल का स्नान व तिलों का पकवान का विशेष महत्व है।विधिपूर्वक व्रत करने से रोग मुक्ति होती है।
- माघ शुक्ल एकादशी जया एकादशी कहलाती है इस दिन केशव की पूजा की जाती है।इस व्रत से भूत ,प्रेत,पिशाच,आदि निकृष्ट योनियो में जाने का भय नही रहता ।परलोक में सुख प्राप्त होते है।
- फाल्गुन कृष्ण एकादशी विजया एकादशी कहलाती है। इसके प्रभाव से दुःख दरिद्रता से मुक्त होता है।भगवान राम जी ने लंका पर विजय पाने के लिए ये व्रत किया था।
- फाल्गुन शुक्ल पक्ष एकादशी आमलकी एकादशी कहलाती है ।इस दिन आंवले वृक्ष में नारायण का वास होने से आंवले के नीचे पूजन से नारायण प्रशन्न होते है।इस दिन आँवला खाना व दान देना चाहिए।
- कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
- प्रणत कलेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।।
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
जवाब देंहटाएंsundar jankari
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