सोमवार, 19 अक्टूबर 2020

नवरात्र के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की उपासना से समस्त रोग शोक नष्ट होते है

 कूष्माण्डा--

 सुरा सम्पूर्ण कलशं रूधिराष्लुत मेव च । 

दूधाना हस्त पद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभ दास्तु मे ।। 

माँ दुर्गा जी के चौथे स्वरूप का नाम कुष्माण्डा है । ईषत् हँसने से अण्ड को अर्थात् ब्रह्माण्ड को जो पैदा करती है , वे शक्ति कूष्माण्डा हैं । यही सृष्टि की आदि शक्ति हैं । इनके पूर्व ब्रह्माण्ड का अस्तित्व नहीं था । ये सूर्य मण्डल के भीतर निवास करती है । सूर्य के समान इनके तेज की झलक दशों दिशाओं में व्याप्त है । इनकी आठ भुजायें हैं , अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं ।

इनकी सात भुजाओं में कमण्डलु , धनुष , बाण , कमल पुष्प , अमृत से भरा कलश , चक्र तथा गदा तथा आठवें हाथ में जप माला है । इनका वाहन सिंह हैं । कूष्माण्ड अर्थात् कुम्हड़े की बलि इन्हें प्रिय है , इस कारण से भी इनका कूष्माण्डा नाम विख्यात है । नवरात्र पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की पूजा की जाती है । इस दिन साधक का मन ' अनाहत ' चक्र में अवस्थित होता है । इन देवी की उपासना से भक्तों के समस्त रोग शोक नष्ट हो जाते हैं । आयु , यश , बल और आरोग्य में वृद्धि होती है ।

5 टिप्‍पणियां:

आपका धन्यवाद आपका दिन मंगलमय हो।
मेरे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करे

ॐ जय गौरी नंदा

         डाउनलोड ऐप  आज की तिथि  त्योहार  मंदिर  आरती  भजन  कथाएँ  मंत्र  चालीसा  आज का विचार  प्रेरक कहानियाँ  ब्लॉग  खोजें होम भजन ओम जय ग...