खग्रासचन्द्रग्रहण -
वैशाखशुक्ल पूर्णिमा बुधवार ( दिनांक २६ मई २०२१ ) खग्रासचन्द्रग्रहण भारत में केवल पूर्वी भाग बंगाल आसाम के कुछ क्षेत्रो में मोक्ष काल के समय दृश्य होगा । शेष भारत मे ग्रहण दृश्य नही होगा । भारत के अलावा यह ग्रहण दक्षिणपूर्व एशिया , आस्ट्रेलिया ,जापान ,रूस , कनाडा , उत्तरी अमेरिका आदि क्षेत्रों में दृश्य होगा ।
भारतीयसमयानुसार खण्डचन्द्रग्रहण का प्रारंभ घं .०३ मि .१४ पर होगा तथा
ग्रहण का मध्य पं .०४ मि .४ ९ सायं
इसका मोक्ष घं .०६ मि . २३ सायं पर होगा ।
यह खग्रासचन्द्रग्रहण की कुल अवधि घं०३ मि.९ को है ।
ग्रहण का सूतक प्रातः ०९:१४ से प्रारंभ होगा ।
भारत के पूर्वी भाग के अलावा यह ग्रहण अन्य भागों में दृश्य नही होगा ।जो भारत के उन क्षेत्रों में तत सम्बन्धी नियम लागू नही होते ।
नोट-
बालक, वृद्ध और रोगी को छोड़कर अन्य किसी भी व्यक्ति को ग्रहणकाल एवं ग्रहण के सूतककाल मे भोजन करना निषेध है ।
ग्रहण का महात्म्य --
ग्रहण के समय गंगा स्नान का विशेष महत्व है ।मत्स्य पुराण में कहा कि ग्रहण काल मे तीर्थ स्नान व जप दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है ।
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bahut sundar jankari guru ji
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