विवाह संस्कार जीवन का पवित्र बंधन माना जाता है । कभी न टूटने वाला बंधन । संसार के उत्सर्जन गृहस्थ जीवन के द्वारा अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाना , संसार के गतिविधियों को आगे बढ़ना , संसार की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रथम आवश्यक होता है संतान उत्पत्ति , यहीं से पुरुष की अपनी जिम्मेदारी के साथ अपने परिवार के साथ जीवन निर्वाह करता है । गृहस्थ जीवन में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । किंतु आनंद भी गृहस्थ जीवन में ही है । जहां मनुष्य सभी प्रकार भोगों का आनंद प्राप्त करता है । साथ में भजन भी होता रहता है । सबसे बड़ी तपस्या गृहस्थ जीवन में ही होती है । जहां मनुष्य को हर द्वार से गुजरना पड़ता होता है। विशेष कर के जीवन में हमे अपनी साख को बचा के रखना होता है । जो निरन्तर वंशवाद के द्वारा हम आगे बढ़ाते रहते है । शदियों तक चलता रहता है ।
अब लगता है। यह सब टूट जाएगा और टूट रहा है । जात पात सिर्फ नाम का होगा । नाम के ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्ध रह जाएंगे ।
बहुत सारे परिवार ऐसे हैं जिनकी लड़कियों ने प्रेम विवाह करके दूसरे समाज में चली गई है । और अपने लड़के के लिए उन्हें बहू अपनी जात धर्म कि चाहिए , तो संतुलन कैसे बनेगा । समाज के सभी विद्वानों ने इस पर गहन चिंतन करना चाहिए और सभी माता-पिता ने भी इस पर विचार करना । आज अपने समाज में देखें बहुत सारे युवा, युवती बिना शादी के घर बैठे है
आज प्रेम विवाह का समय चल रहा है । यह ठीक नहीं है ।जो समाज के लिए दीमक का काम कर रहा है । ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में आपको जानने वाले , आपकी पहचान क्या है , आपकी सभ्यता क्या है ,आपकी प्रथाएं क्या है ,आपकी कुल परम्परा यह सब समाप्त होती जाएगी। देव ,पितृ सब लुप्त हो जाएंगे ।
आज के समय में बहुत से परिवारों के यहां एक से दूसरा बच्चा नहीं दिखाई देता । यहां पर देखा जाय तो दो में से एक परिवार वैसे ही लुप्त हो जाता है । यहां पर आपका धर्म सीमित ,परिवार सीमित , बच्चे सीमित हो जाते हैं । क्या पाया , क्या खोया ।
आज के समय में बच्चों के विवाह के लिए बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । आज आप एक लड़के की कुंडली पर सौ लड़कियों की कुंडली जुड़ा दीजिए फिर भी बात नहीं बनती । आज के युवा 35 , 40 के ऊपर आ जाते है तब विवाह हो रहा है। कई कई परिवार बहुत परेशान है।
समाज अगर ऐसा ही चला रहा आने वाले समय में क्या होने वाला है कोई नहीं जनता इतना जरूर है समाज की व्यवस्थाएं जरूर चरमरा जाएगी ।
🚩।।सत्य सनातन अखंड धर्म जय।।🚩
पंडित हरीश चंद्र लखेड़ा
ज्योतिषाचार्य
बहुत सुंदर लेख महाराज जी
जवाब देंहटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंआप सभी पाठकों का हृदय कि गहराइयों से धन्यवाद
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