शनिवार, 13 सितंबर 2025

पृथ्वी लोक में गरुड़ पुराण की कल्पना


सभी सनातन धर्म प्रेमी भाइयों गरुड़ पुराण को पढ़ने के बाद कल्पना की आखिर इस पृथ्वी को जिसे हम नरक कहते हैं । जिसमें पुण्य और पाप कर्मों  के आधार पर मानव नरक भोक्ता हैं।

 विचार करने पर मुझे कहीं ना कहीं सत्य नजर जरूर आया और जब उस पर विचार किया तो पाया कि इस पृथ्वी पर आखिर यमराज की भूमिका और चित्रगुप्त की भूमिका , श्रवण श्रावणी कि भूमिका और यमदूतों कि भूमिका कौन निभा रहा है । जो मानव शुभ अशुभ कार्य करते है ,उन्हें दंड कौन देता है । 

गरुड़ पुराण में कहां है ,जब किसी की आयु पूर्ण हो जाती हैं ,तो उसे यम के दूत के लेने के लिए आते हैं। उन्होंने यम दरबार में प्रस्तुत किया  जाता है । उसके द्वारा किए गये शुभ अशुभ कर्मों का निर्धारण करने के लिए यम दरवार सजाया जाता है । 

चित्रगुप्त उनके कर्मों का वर्णन करते है। झूठ बोलने पर श्रवण और श्रावणी गवाही प्रस्तुत करते हैं।

यमराज के द्वारा दंड निधारण करने पर उस आत्मा रूपी शरीर को यम यातना भोगनी होती है ।

पृथ्वी लोक जिसे नरक लोक भी कहा जाता है । 

जो इस पृथ्वी लोक में पापा करते है । उन्हें पुलिस रूपी यम दूत पकड़ते है ।

पकड़ने के बाद पुलिस पूछताछ के बाद न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है । 

न्यायलय में सबसे ऊपर बैठे जज साहब यम कि भूमिका में नजर आते है । और अपराधी को लाने का कारण पूछते है ।

नीचे बैठे वकील चित्रगुप्त के रूप में उसके द्वारा किए गए अपराधों को जज साहब को बताते है, कि इसने किस प्रकार अपराध किया है ।

न्यायालय में जो गवाह गवाही देते है । वे श्रवण और श्रावणी कि भूमिका में निभाते नजर आते है । फिर जज साहब के द्वारा अपराधी की सजा निर्धारित किया जाता है ।

गरुड़ पुराण में कहा गया है कि जो मानव शुभ कर्म करता है उसे यम के दूत कभी स्पर्श भी नहीं करते है ।

उसी प्रकार पृथ्वी लोक में जो मनुष्य शुभ कर्म करते हैं । उन्हें न्याय रूपी परमात्मा के द्वारा सुरक्षा प्रदान कि जाती है ।


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