धन की लूट
समाज ने आज बहुत विकृति रूप ले लिया है, आज मनुष्य का जो लक्ष्य है, मात्र धन एकत्रित करना सारे रिस्ते नाते मात्र धन पर इंगित होते जा रहे है ,जो परिवार में पहले मेल जोल हुआ करता था , वह सब धन ने खत्म कर दिया है धन के आगे मानवता भी खत्म हो गयी है ।
धन है तो सभी आपके प्रिय है ,धन नही तो अपना सगा भी आपसे दूरी बना लेते है ।धन ने ही माता पिता से पुत्र को दूर कर दिया ,धन ने ही सयुक्त परिवार को विखेर दिया है ,धन ने ही प्यार प्रेम की सीमा बना दिया है। मानो जैसे निर्धन का संसार मे कोई नही वह अकेले चलने को मजबूर है , उसका कोई सगा संबंधी नही आज के परिपेक्ष्य में मानव जाति ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। जिसके परिणाम नित दिखाई व सुनाई देते है ।
बड़े बड़े समाज के ठेकेदार जो समाज को नयी दिशा देने का व अपने धर्म को महान बताने वाले ठेकेदारों ने समाज को खोखला कर दिया है आज सभी देखते होंगे हर दस कदम पर व घर घर मे ऐसे लोग मिलेंगे जो समाज के लोगो को बर्गला कर धन इखट्टा करने का व्यापार करते है ।आज समाज मे कुछ ऐसे कसाई है जो मानव के नाम पर कलंक है ।वर्तमान समय में जिस तरह भयावह स्थिति है, कॅरोना नाम के वायरस ने सभी धर्म सम्प्रदाय देश विदेश सभी शक्तियों को सोचने व स्थिति को समझने को मजबूर कर दिया है।इस कॅरोना महामारी के समय में मानवता की मिसाल पेश करना चाहिए था,किंतु कुछ धन के लोभियों ने लोगो का शोषण करना शुरू कर दिया है ।कोई दवा की कालाबाजारी , कोई औक्सीजन की कालाबाजारी, कही बीमारी के नाम पर कालाबाजारी , कही मुर्दो पर कालाबाजारी न् जाने कितनी भूख है इन धन के लुटेरे भिखारियों को ,जीते जी इन्हों ने जिंदा इन्सानों को लूटा पर मरने के बाद भी मर्दो पर हो रही है सौदेबाजी।
जिस तरह आज समाज मे एक नई रेखा खिंची जा रही है उसे देख कर लगता है आने वाला कल कितना भयावहः स्तिथि पैदा करेगा यह सभी बुद्धिजीवी लोगो को विचार करने पर मजबूर कर देगा ।आज धर्म दया दान रहम शर्म इंसानियत जैसे शब्दों का कोई महत्व नही रह गया है । बस एक ही बात दिखती है बह है धन की लूट , कैसे किस इंसान को कैसे लूट जाय कैसे इसको नीचे गिराया जाय ,और समाज मे अपने आप को कैसे ऊंचा बनाया जाय ।
कलयुग को सतयुग बनाना हो तो एक दुसरो पर दया करो ।
मानवता की मिसाल पेश करें ।
भूखे लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था करना ।
सभी को सुखी बनाने का प्रयास करें ।
हर रोज कमजोर मनुष्य की रक्षा करें ।
चोरिचकारी लूट खसौट ना करें ।
जो दुसरो की मदद के लिए हाथ बढ़ता है उसका हाथ ईश्वर थाम लेता है ।
एक दूसरों पर दया करो ।
मानव का मतलब है कि नित नया करो , अच्छा करो ,शुभ करो जिससे समाज व आने वाली पीढ़ी का उत्थान हो सके ।
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आचार्य हरीश चंद्र लखेड़ा
मुम्बई
हर हर महादेव
सुंदर
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