सोमवार, 13 जनवरी 2025

मकर संक्रांति उतरैणि त्योहार

                              ।।ॐ।।

नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमं ।

देवीं सरस्वतीं व्यासं ततो जय मुदिरयेत् ।।



मकर संक्रांति उत्तरैणी --

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सनातन  हिन्दू धार्मिक त्योहार व पर्व  भारतीय महीनों व तिथियों के आधार पर मनाये जाते है । केवल मकर संक्रान्ति जनवरी माह के चौदह या पन्द्रह तारिक को ही पड़ती है, चाहे कोई भी तिथि हो । कारण यह है कि सुर्य जब एक राशि से दूसरे राशि मे प्रवेश करता है तो वही दिन संक्रान्ति का माना जाता है । ज्योतिष के अनुसार मेषादि बारह राशियां होती है ।जब सूर्य धनु से मकर राशि मे प्रवेश करता है । तो मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है । जो मकर संक्रांति या उत्तरैणी के रूप में मनाया जाता है ।

 सूर्य एक राशि मे तीस दिन भ्रमण करते है । तब हिंदुओ का एक महीना माना जाता है । संक्रांति हर महीने आती है पर मकर , कर्क संक्रांति विशेष महत्व रखती है । जिससे उत्तरायण व दक्षिणायन का पता चलता है । मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण व कर्क संक्रान्ति से सूर्य दक्षिणायन में रहते है । उत्तरायण में राते छोटी व दिन बड़े दक्षिणायन में रात्रि बड़ी व दिन छोटे है। 

मकर संक्रांति उत्तरायण से सभी शुभ मांगलिक कार्यो का शुभारंभ हो जाता है ।

मकर संक्रांति उत्तरैणी व्रत --

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मकर संक्रांति के व्रत का विधान बहुत ही सरल है । मकर संक्रांति के दिन प्रातःकाल गंगा स्नान ,तिल के तेल  मिश्रित पानी से स्नान करना , तिल तेल लगाना, तिल से हवन ,तिल मिश्रित पानी पीना व तिल से बने भोज्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।आज के दिन तिल व तिल से बने भोज्य पदार्थों सदक्षिणा ब्राह्मण को हरि नाम लेते दान देना चाहिए ।

ग्रन्थों में लिखा लिखा है आज के दिन यशोदाजी ने कृष्ण जन्म के लिए  व्रत किया था ।

उत्तर व पूर्वी प्रदेशों में आज के दिन खिचड़ी खाने का विशेष महत्व है ।

उत्तरैणी त्योहार --

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उत्तराखंड में तो मकर संक्रांति को उत्तरैणी के रूप में मनाया जाता है । उत्तरैणी के एक दिन पूर्व पहले दिन गर्म पानी से नहाया जाता है उस दिन को कहते है तत्वाणी इस तत्वाणी की रात को ग्राम नगर में लोगों का समूह मिलकर पकोड़ी पकवान बनाकर खाते है रात भर भजन कीर्तन हरि नाम संकीर्तन करते उत्तरैणी के ब्रह्म मुहूर्त में ठंडे पानी से नहाया जाता है जिसे कहते है सिवाणी

।। 'आज तत्वाणी , भो सिवाणी'।।

उत्तरैणी के दिन माताएं आटे से घुगत डमरू आदि बनाते है । घुगत सबसे पहले इष्टदेवता को चढ़ाकर फिर  घुगत की माला बच्चों के गले मे डाली जाती है ।

मकर संक्रांति पर शनि राहु केतु से बचने का उपाय --

आज के दिन कम्बल का दान देने से ये तीनों ग्रह शनि, राहु, केतु प्रसन्न होते है ।

तिल गुड़ चावल ऊनी वस्त्र का श्रेष्ठ दान करें ।

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सोमवार, 30 दिसंबर 2024

प्रयागराज महाकुंभ पर्व २०२५

प्रयागराज में महाकुंभ पर्व 2025--

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मकरे च दीवानाथे वृष राशि गाते गुरौ ।

प्रयागे कुंभयोगौं वैं माघमासे विधुक्षये ।।


प्रयागराज में महाकुंभ पर्व प्रत्येक बारह वर्ष पर प्रयाग में महाकुंभ पर्व मनाने की परंपरा है जब सूर्य एवं चंद्रमा मकर राशि में होते हैं और अमावस्या होती है तथा मेष अथवा बृहस्पति होते हैं।

तब प्रयाग में कुंभ महापर्व का होता है।


इस वर्ष संवत २०८१ शाके १९४६ में माघ कृष्ण पक्ष अमावस्या बुधवार दिनांक २९ जनवरी २०२५ ई को महाकुंभ का योग हो रहा है

इस दिन प्रयाग में मुख्यस्नान होगा । तदनुसार महाकुंभ के मुख्य प्रमुख स्नान का विवरण


प्रथम शाही स्नान --

माघ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि मंगलवार १४.१.२०२५ को मकर संक्रांति पर ।


द्वितीय शाही स्नान --

(मुख्य स्नान) माघ कृष्ण पक्ष अमावस्या बुधवार २९.०१.२०२५ को मौनी अमावस्या पर।


तृतीया शाही स्नान --

माघ शुक्ल पक्ष पंचमी सोमवार ०३ फरवरी २०२५ को बसंत पंचमी पर होगा ।


इसके अतिरिक्त १३ जनवरी २०२५ सोमवार को और पौष शुक्ला पूर्णिमा पर ।

दूसरा ०४ फरवरी २०२५ मंगलवार को अचला सप्तमी पर ।

१२ फरवरी २०२५ बुधवार को माघ शुक्ल पूर्णिमा तथा ।

फाल्गुन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी बुधवार २६ फरवरी २०२५ को महाशिवरात्रि पर भी स्नान होगा।

गुरुवार, 7 नवंबर 2024

खंड सूर्यग्रहण 21 सितंबर 2025

खंड सूर्यग्रहण --

खंड सूर्यग्रहण आश्विन मास के अमावस्या रविवार 21 सितंबर 2025 को लगने वाला खंड सूर्यग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा ।

कंकणाकृति सूर्यग्रहण 17 फरवरी 2026

सूर्य ग्रहण  फाल्गुन कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि मंगलवार 17 फरवरी 2026 को लगने वाला कंकणाकृति सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा ।

ग्रस्तोदित चंद्रग्रहण 3 मार्च 2026

चंद्रग्रहण फाल्गुन शुक्लपक्ष मंगलवार 3 मार्च 2026 को लगने वाला खग्रास चंद्रग्रहण है । 

यह खग्रास चंद्र ग्रहण भारत में ग्रस्तोदित खग्रास चंद्रग्रहण के रूप में भारत में दृश्य होगा।

भारतीय मानक समयानुसार ग्रहण का प्रारंभ दिन में 3:20 पर होगा ।

ग्रहण मध्य, मध्य 5:04 पर ।

ग्रहण मोक्ष ,मोक्ष 6:47 पर होगा ।

यह ग्रहण भारत के पूर्वी भाग में दृश्यहोगा । अन्य क्षेत्रों में नहीं दिखाई देगा।

दीपावली पूजन निर्णय 2025

दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त 2025


दीपों का त्योहार खुशियां मिले हजार ।

दीप सजाओ  लक्ष्मी की कृपा बरसे अपार ।।


दीपावली का त्योहार भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। दीपावली का यह पर्व प्रत्येक वर्ष कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है।

प्रदोष काल ,निशा व्यापनी अमावस्या तिथि, स्थिर लग्न पर दीपावली लक्ष्मी पूजन करने से धन-धान्य की वृद्धि ,व्यापार मे नित्य उत्तरोत्तर वृद्धि होती है।

दीपावली तिथि --


20 अक्टूबर 2025 को दीपावली का शुभ पर्व मनाया जाएगा। 

20 अक्टूबर 2025 सोमवार को 2:56 पर अमावस्या लगेगी। दूसरे दिन 21 अक्टूबर 2025 मंगलवार को 4:26 तक अमावस्या रहेगी।

दीपावली मुहूर्त --

वृषभ लग्न -- सायं 7:10 से रात्रि 9:06 तक है जो दीपावली के लिए उत्तम समय माना जाता है। 

सिंह लग्न --अर्धरात्रि 1:38 से 3:52 तक सिंह लग्न रहेगा।

कुंभ लग्न -- कुंभ लग्न दिन में 2: 56 से दिन में 4:05 के मध्य तक रहेगा।

खग्रास चंद्रग्रहण (7 सितंबर2025)

श्री संवत 2082 सन 2025 में लगने वाला साल का पहला चंद्रग्रहण 

यह चंद्रग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा तिथि रविवार 7 सितंबर 2025 को लगने वाला खग्रास चंद्र ग्रहण है । यह ग्रहण भारत मैं दिखाई देगा ।

यह चंद्रग्रहण भारत के सभी भागों में दिखाई देगा । शुरू से लेकर अंतिम तक या ग्रहण दिखाई देगा 

ग्रहण समय-- 

भारत में यह ग्रहण भारतीय समय के अनुसार ग्रहण का प्रारंभ रात्रि 9:57 पर शुरू होगा।

ग्रहण मध्य, मध्य रात्रि 11:41 पर

ग्रहण मोक्ष रात्रि 1:27 पर होगा ग्रहण का स्पर्श ,मध्य, मोक्ष पूरे भारत में दिखाई देगा ।

ग्रहण फल-- 

यह ग्रहण मिथुन ,कर्क ,सिंह ,तुला ,वृश्चिक ,मकर ,कुंभ ,मीन राशि वालों के लिए कष्टकारी होने वाला है।

ग्रहण सवधानी --

जिन राशियों के लिए ग्रहण भारी होने वाला है उन्हें चंद्र ग्रहण का दर्शन नहीं करना चहिए ।


जो बहने पेट से हैं उन्हें भी यह ग्रहण का दर्शन नहीं करना चाहिए ।


ग्रहण काल मे भोजन पानी का निषेध करें ।

ग्रहण काल मे हरिनाम संकीर्तन करें । 

जप दान करें।

गंगा स्नान करें ।

विशेष -- 

ग्रहण काल में किया गया जब और दान अक्षय पुण्य देने वाला सिद्धि देने वाला होता है।


शनिवार, 26 अक्टूबर 2024

दीपावाली निर्णय - 2024

🚩दीपावली - निर्णय 🚩 


पद्मानने_पद्मिनि_पद्मपत्रे_पद्मप्रिये_पद्मदलायताक्षि।

विश्वप्रिये_विश्वमनोऽनुकूले_त्वत्पादपद्मं_मयि_सन्निधत्स्व ।।


दीपावली दीपों का मुख्य त्योहार है । दीप माला का पूजन होता है । दीपावाली पर निशा काल में अमावस्या का महत्व लक्ष्मी पूजा से होता है । यह अमावस्या साधक विद्वान तंत्र मंत्र पूजा पाठ करने वालों के लिए विशेष महत्व रखता है ।



कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार को 03 बजकर 12 मिनट के बाद से शुरू होकर अगले दिन 01 नवंबर 2024 शुक्रवार को 5 बजकर 13 बजे तक अमावस्या रहेगी। 


श्री काशी विश्वनाथ ऋषिकेश पंचांग के तद्नुसार।


अमावस्या की रात की बात हुई तो ये 31 अक्टूबर को ही मिल रही है।


इस हिसाब से दीपावली 31 अक्टूबर के दिन  ही मनाई जाएगी।


लक्ष्मी पूजा संध्या व रात्रि वेला के वृष , सिंह , कुंभ लग्न के समय में मनाई जाती है ।


काशी के विद्वानों ने भी इसी मुहूर्त को शास्त्र सम्मत माना है ।

🚩लक्ष्मी पूजन मुहूर्त - 

1- वृषभ राशि स्थिर लग्न समय - 06:23 सायं से 08:19 रात्रि तक रहेगा ।

2- सिंह राशि स्थिर लग्न समय मध्यरात्रि - 12:51 से 03:05  तक है ।

🚩चौघड़िया -

शुभ- 04:39 pm से 06:04 pm 


अमृत - 06:04 pm से 07:39 pm 


लाभ - 12:22 am से 01:57 am अंग्रेजी 1 नवंबर




🚩सत्य सनातन धर्म की जय🚩



सोमवार, 16 सितंबर 2024

चंद्र ग्रहण व सूर्यग्रहण पर निर्णय2024-25

 

   श्री संवत 2081 में चार ग्रहण लगने वाले हैं। जिसमें दो चंद्र ग्रहण व दो सूर्यग्रहण है । किंतु भारत वर्ष में कोई भी ग्रहण दृश्य नहीं होगा।

 1-  पहला ग्रहण चंद्रग्रहण जो पूर्णिमा बुधवार 18 सितंबर 2024 को लगने वाला खंड चंद्रग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा । यह ग्रहण का समय भारतीय मानक समय के अनुसार ग्रहण का प्रारंभ 7:42 AM वह मोक्ष 8: 47 AM पर होगा ।

2- दूसरा सूर्य ग्रहण आश्विन कृष्णपक्ष 2 अक्टूबर2024 को लगने वाला कंकणाकृति ग्रहण पूरे भारत में दृश्य नहीं होगा। ग्रहण का प्रारंभ भारतीय समय के अनुसार रात्रि 9:13 PM पर तथा मोक्ष 3:17 AM पर होगा।

3- तीसरा ग्रहण चंद्रग्रहण जो फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि 14 मार्च 2025 को लगने वाला खग्रास चंद्रग्रहण है। जो भारत में दृश्य नहीं होगा । ग्रहण का प्रारंभ भारतीय समय 10:39 PM पर तथा मोक्ष 2:18 AM पर होगा।

4- चौथा ग्रहण सूर्यग्रहण चैत्र अमावस्या शनिवार 29 मार्च 2025 को लगने वाला खंड सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा। ग्रहण का समय भारतीय समयानुसार 2:21 PM तथा मोक्ष 6:14 PM सायं पर होगा।

सोमवार, 26 अगस्त 2024

श्री राधा कृष्ण मंदिर बसई स्याल्दे अल्मोड़ा

।।श्रीराधा कृष्ण मंदिर बसई का इतिहास ।।

वसुदेव सुतं  देवं , कंस चाणूर मर्दनं।

देवकी परमानन्दं ,कृष्णं वन्दे जगदगुरूम्।।


श्री कृष्ण गोबिन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव।  

हे नाथ नारायण वासुदेव    हे नाथ नारायण वासुदेव ।।


श्री राधा कृष्ण मंदिर बसई का निर्माण सन १९५० दशक के आस पास बताया जाता है । इस का निर्माण बसई ग्राम सभा के मूलनिवासी स्वर्गीय श्रीमान भवान सिंह मेहरा जी के कर कमलों द्वारा मंदिर निर्माण व मूर्ति प्रतिष्ठा किया गया ।

जिसका देखरेख पूजा पाठ बसई ग्राम सभा के लोगों द्वारा संचालित किया जाता था । कालांतर में कुछ लोगों द्वारा प्राचीन श्री राधा कृष्ण मंदिर को तोड़कर नया मंदिर बनाया गया ।

प्राचीन धरोहर श्रीराधा कृष्ण मंदिर बसई के सारे साक्ष्य हटा दिए गए ।पुराने मंदिर पर कुछ शिलालेख थे । जो आज कही दिखाई नही देते। जिससे जन मानुष में काफी आक्रोश देखने को मिला ।


सन १९९४ के दशक में श्री राधा कृष्ण मंदिर का निर्माण पुनः किया गया । जिसमे ग्राम सभा बसई व समस्त क्षेत्र वासियों का योगदान सराहनीय है। 



नए मंदिर में श्रीमान गोविंद वल्लभ लखेड़ा जी के द्वारा माता पिता की याद में श्री राधा कृष्ण भगवान की मूर्ति स्थापित कि गई।

यह श्री राधा कृष्ण मंदिर सभी मानव समाज के कल्याण हेतु समर्पित है । 

  ।।जय श्री राधे कृष्णा।।  

शनिवार, 27 जुलाई 2024

ब्राह्मण कौन है ।

        ।। ब्राह्मण कौन है ।।

ब्राह्मण जो ब्रह्म का ज्ञान रखता है । वह ब्राह्मण है ।

जो सृष्टि का ज्ञान रखता है । वह ब्राह्मण है ।

जो वेदों का ज्ञान रखता है । वह ब्राह्मण है ।

जो पुराणों का ज्ञान रखता है। वह ब्रह्मण है।

जो नियमों पर चलता है । वह ब्राह्मण है ।

जिसके पास ज्ञान का भंडार है । वह ब्राह्मण है ।

जो समाज को ज्ञान देने का काम करता है । वह ब्राह्मण है ।

जो समाज को जीने की कला सिखाता है। वह ब्राह्मण है ।

जो गुरु परंपरा पर चलता है । वह ब्राह्मण है ।

वेद, पुराण उपनिषद ,ज्योतिष वास्तु आयुर्वेद सनातन संस्कृति संस्कारों की रक्षा करने वाला,वह है ब्राह्मण ।


अपनी परम्पराओं ज्ञान देना वाला है । ब्राह्मण।

जिससे देवता भी डरते है । वह है ब्राह्मण ।




सनातन को जिंदा रखने वाला वह ब्राह्मण है ।


नाम सुनकर ऐसा लगता है जैसे कोई दीनहीन होगा । लोगों की भावना ब्राह्मण नाम सुनकर परिवर्तित हो जाती है । कई लोग तो आदर करते हैं, और कई लोग तिरस्कार भी करते हैं।

पृथ्वी में जितने भी तीर्थ पवित्र नदियां है , वे सभी समुद्र में मिलते है । और समुद्र के सारे तीर्थ ब्राह्मण के दाहिने पैर में बसते है ।


देवाधीनं जगत्सर्वं मंत्राधीनाश्च  देवता:।

तेमंत्रा: ब्राह्मणाधिना: तस्मात् ब्राह्मण देवता: । ।


सारा संसार देवताओं के अधीन है । और देवता मन्त्रों के अधीन है । मंत्र ब्राह्मण के अधीन है । इस लिए इस वसुंधरा के ब्राह्मण ही देवता है ।


ब्राह्मण कि यारी ,शेर की सवारी 

जिसने ब्राह्मण को मित्र बना लिया समझो उसने शेर कि सवारी कर ली । 

जय ब्राह्मण देवता ।



ॐ जय गौरी नंदा

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