गुरुवार, 21 दिसंबर 2023

कुम-गढ़ की धात

              ।।कुम-गढ़।।

कुम(कुमाऊँ)गढ़(गढ़वाल) भारत भूमि में एक रमणीय सुन्दर देवताओं,संतो की तपस्थली छु देवभूमि उत्तराखंड,जा चारधाम , पंच बद्री,  पंच केदार,  गोलू देवता , जागेश्वर , बागनाथ,  दुनागिरी, वाराही माता आदि बहुत देव स्थान यां छी। देव भूमि कि गाथा सृष्टिक आरम्भ बटी रामायण महाभारत पुराणादि शास्त्रो में वर्णित छू।जो लोगुल उत्तराखंड भूमि लिजी आपणी जान तक दीदी हम सब उनर बलिदान भूली गयु। कुम गढ़ कै उत्तर प्रदेश वै अलग हैवे दी दशक पुर हणी छू। उत्तराखंड अलग हण हैवे पली ,कतुक भल सुणि देखी लोगुल। पर हम  बोली कुमाऊँनी गढ़वाली भाषा पौड़ी चमोली टेहरी कुमाऊँ गढ़वाल क्षेत्रवाद पर लटकी छू।जैक हमर आणि वा पीढ़ी पर असर पड़ल ।हमर पूर्वजोल कुतु भल सोचि रहची की हमर आणि वा पीढ़ी की पहाड़ उत्तराखंड छोड़ी बै दूसर प्रदेश नि जाण पड़ो,ओर हमर पाणी हमर जवानी पहाडक काम एजो। पर हमर ,हमर पहाडक दुर्भाग्य छु की आज पुर पहाड़ खाली हैंगो। आज सबुल आपण पुर्वजो घर कुड़ी देवता पटो खेति छोड़ी हाली रीत राह क्वे निजाणन सब रज बनी वै बैठी रही। भ्यारक लोग पहाड़ में बसि गयीं जो सोचिबै हिको विदीर्ण करू।पुराणी विचार धारा छोड़ी वै नई सोच पैद हून चै ।आपण नई पीढ़ी कै पढ़े लिखे पहाड़ भेजण चै।जैल पहाड़ में शिक्षा नई तकनीक ,छुपी पहाडक संस्कृति बढ़ावा,जन जागृति मददगार हैं सको।


म्यर छू कुमाऊँ म्यर छू गढ़वाल।

राजी  खुसी  रहो  म्यर पहाड़।।

बोली भाषा छोड़ी एक हेजाओ।

कंध बै कंध मिलै जोड़ो पहाड़।।

कतु भल पाणी कतु भल बाणी।

कतु भल मनखी कतु भल विचार।।

म्यर छू भाबर म्यर छू  हरिद्वार।

छुटि गयी घर छुटि गयी परिवार।।

म्यर छू -------


पुर पहाड़ आयर्वेदिक औषधीय वनस्पति द्वारा भरि पड़ी छू। हमर पहाड़ में रोजगारक अपार सम्पदा जसि आयर्वेद धूप अगरबत्ती हवन पूजा सामग्री नवग्रह समिधा पशुपालन स्वरोजगार मछली मुर्गी पालन  टूर ट्रेवल्स  फल सब्जी किसानी सरकारी योजना जस बहूत काम छि। पुर भारत मे स्वर्ग अगर कै छू तो उत्तराखंड।आज हमर पहाड़क लोग ईमानदारी में सबु में पली नम्बर छू।उत्तराखंडक धनवान उधोगपति ढुल ढुल पदों पर बैठी लोगुल एक समूह द्वारा विचार मंथन करण चहै। समाजक कु रीत कु प्रथा केँ बन्द करण चहै हमू केँ आपण पितर कुड़ी जनम स्थान लिजी सोचण चै आपण पहाडक विषय मे आपण ननों कै आपण रीत राह ,बार त्यौहार, गीत गाथा, जागर  आदि विषय मे बताण चै।आपण गाँव केँ जागृत रखिया यई मेरी कामना छू।सब राजी कुशल मंगल रहिया।आपण मातृ भूमि जन्म भूमि कै झन भुलिय। ।

                  ।।जय ईस्ट देव।।





       
             

14 टिप्‍पणियां:

  1. Uttrakhand ke bare mein aapke man mein bahut Uttam vichar hai, aapane yah bilkul sahi likha hai ki agar Kahin Swarg Hai To vah Uttrakhand mein hi hai Uttam ATI Uttam🙏👌👌👍😘

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  2. तुमुल भौत बढि लिखरौ धन्यवाद

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  3. बहते सुंदर। उत्तम विचार ।

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  4. देवभूमि विषयम तुमर लेख बहुते बड़ी छो । यो तुमर बड़ी प्रयास छो, अपु बोली विकास लिजी ।

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  5. भौते सुंदर लिखणो क प्रयास कैरौ आपुल। बहुत बहुत धन्यवाद

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  6. तुमुल भौत बढि लिखरौ धन्यवाद🙏🙏🙏🙏🙏

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  7. नमस्ते लखेडा जी भोते भल लिखो अपुल देवभूमि बार मे यसे लिखने रहा धनधन्य 🙏🙏

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  8. बहते सुंदर। उत्तम विचार ।

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  9. आपुल बहुत भल बात लिखी छ ।

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  10. बहौतै भल लेखि रह हो पण्जू तुमुन , हमर बोलि भाषा में लिखाई है सकै लेकिन हमु लोगोंगे अभ्यास और मन में ठानण चै । जब नेपालि भाषा में है सकौ तो हमर कुमै गडवाल में किलै नै ?
    बहुतै भल लख्यड ज्यू धन्यवाद

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  11. जन्मभूमि का लगाव मानव स्वभाव है।जो जमीन से जुड़े हैंउनके लिए जन्मभूमि स्वर्ग के समान है।पर नयी पीढ़ी के लिए कोई मायने नहीं है।अपनी मिट्टी की महक अनायस खींच ले जाती है।अति सुंदर भाव!

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  12. पाण्डेय जी नमस्कार सुन्दर विचार व्यक्त किया अपने

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  13. बहुत अच्छा , बहुत सुंदर लिखा है
    धन्यवाद:

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आपका धन्यवाद आपका दिन मंगलमय हो।
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