बुधवार, 26 मार्च 2025

चाक्षुषी विद्या का पाठ करने से नेत्र विकार का समन होता है

💐चाक्षुषोपनिषद् ( चाक्षुषी विद्या ) 💐


सूर्य प्रत्यक्ष देवता है।सूर्य नारायण की उपासना करने वाला आरोग्यवान व व्यक्तित्व का धनी होता है।


जिस व्यक्ति को नेत्र सम्बन्धी विकार जैसे नेत्र की ज्योति कम होना ,आँख से पानी आना , आँख में दर्द,अर्द्ध शीश में दर्द हो उनको इस चाक्षुषी विद्या का नित्य पाठ करने से नेत्र सम्बन्धी विकार समाप्त हो जाते है।


यह चाक्षुषी विद्या नेत्र विकार वालो के लिए संजीवनी का काम करता है।


आचमनी में जल लेकर विनियोग पढ़े--

विनियोग - ॐ अस्यश्चाक्षुषीविद्याया अहिर्बुध्न्य ऋषिर्गायत्री छन्दः सूर्यो देवता चक्षूरोग निवृत्तये विनियोग:।। जल छोड़ दे।


पाठ --

ॐ चक्षुः चक्षुः चक्षुः तेजः स्थिरो भव । मां पाहि पाहि । त्वरितं चक्षूरोगान् शमय शमय । मम जात रूपं तेजो दर्शय दर्शय । यथा अहम् अन्धो न स्यां तथा कल्पय कल्पय । कल्याणं कुरु कुरु । यानि मम पूर्वजन्मोपार्जितानि चक्षुःप्रतिरोधकदुष्कृतानि सर्वाणि निर्मूलय निर्मूलय । 

ॐ नमः चक्षुस्तेजोदात्रे दिव्याय भास्कराय । 

ॐ नमः करुणा करायामृताय । 

ॐ नमः सूर्याय । 

ॐ नमो भगवते सूर्यायाक्षितेजसे नमः । खेचराय नमः । महते नमः । रजसे नमः । तमसे नमः । असतो मां सद्गमय । तमसो मां ज्योतिर्गमय । मृत्योर्मां अमृतं गमय । उष्णो भगवाञ्छुचिरूपः । हंसो भगवान् शुचिरप्रतिरूपः । 

य इमां चाक्षुष्मतीविद्यां ब्राह्मणो नित्यमधीते न तस्याक्षिरोगो भवति । न तस्य कुले अन्धो भवति । अष्टौ ब्राह्मणान् सम्यग् ग्राहयित्वा विद्यासिद्धिर्भवति । ॐ नमो भगवते आदित्याय अहोवाहिनी अहोवाहिनी स्वाहा।।

॥ श्रीकृष्णयजुर्वेदीया चाक्षुषी विद्या॥


रविवार से प्रारम्भ करें नित्य ११पाठ कर सूर्य भगवान को गन्ध युक्त अर्घ्य प्रदान करें।

                    



                      

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर, एक नई विद्या की जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
    भगवान बदरी विशाल जी आपके चक्षुवों को भी हमेशा स्वस्थ और तजस्वी रखें
    ॐ नमः शिवाय।
    ॐ नमो भगवते वासदेवाय।।

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