नागपंचमी ( श्रावण शुक्ला पंचमी )
इस दिन नागों की पूजा होती है । इस व्रत में चतुर्थी को केवल एक बार भोजन करे और पंचमी के दिन उपवास करके शाम को भोजन करे । चांदी , सोने या काठ की कलम से हल्दी की स्याही बनाकर पांच फन वाले पांच नाग अंकित करें । पंचमी के दिन दूध, पंचामृत , खीर , धूप , दीप नैवेद्य आदि से विधिवत नागों की पूजा करे । पूजा के बाद ब्राहाणों को लड्डू या खीर का भोजन करावे। पंचमी को नाग की पूजा करने वाले व्यक्ति को उस दिन भूमि नहीं खोदनी चाहिए ।
प्राचीन काल में तो घरों को इस दिन गोबर में गेरु मिलाकर लीपा जाता था और फिर पूर्ण विधिविधान नाग देवता की पूजा की जाती थी। इस हेतु एक रस्सी में सात गांठें लगा कर रस्सी का सांप बनाकर उसे एक लकड़ी के पट्टे पर सांप मानकर बिठाया जाता है।हल्दी, रोली, चावल और फूल आदि चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करने के बाद कच्चा दूध , घी , चीनी मिलाकर इसे काठ पर बैठे सर्प देवता को अर्पित करें।इस समय इस श्लोक से सर्प देवता की स्तुति करनी चाहिए-
अनन्त वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कंबलम् ।
शंखपालं धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा ।।
नवनाग गायत्री-
ॐ नवकुलाय विदमहे विषदन्ताय धीमहि। तन्नो सर्पः प्रचोदयात।।
बाद में कच्चे दूध में शहद ,चीनी या थोड़ा सा गुड़ घोलकर इसे जहां कहीं सांप की बाँबी या बिल दीखे उसमें डाल दें ।और उस बिल की मिट्टी लेकर चक्की , चूल्हे पर , दरवाजे के निकट दीवार पर तथा घर के कोनों में सांप बनायें । कच्चे चावल पीस कर उसमें पानी डालकर घोल से भी यै आकृतियां अंकित की जा सकती हैं ।इन सबको बनाने के बाद भीगे हुए बाजरे और घी , गुड़ से इनकी पूजा करे।इन पर दक्षिणा चढ़ायी जाय , इनकी घी के दीपक से आरती उतारी जाय।अन्त में नागपंचमी की कथा कहें और सुनें ।
नागपंचमीकथा -
मनिपुर नगर में एक किसान अपने परिवार सहित रहता था । उसके दो लड़के और एक कन्या थी । एक दिन उसके हल के फाल में बिंधकर सांप को तीन बच्चे मर गये । बच्चों की मां नागिन ने पहले तो बहुत विलाप किया , फिर अपने बच्चों को मारने वाले से बदला लेने का निश्चय किया । रात्रि में नागिन ने किसान , उसकी स्त्री और दोनों पुत्रों को डस लिया । अगले दिन नागिन किसान की कन्या को डसने चली तो उस कन्या ने डर कर उसके आगे दूध का कटोरा रख दिया और हाथ जोड़ कर क्षमा मांगने लगी । उस दिन नागपंचमी थी । नागिन ने प्रसन्न होकर लड़की से वर मांगने को कहा । लड़की ने वर मांगा कि मेरे माता - पिता और दोनों भाई जीवित हो जायें और जो आज के दिन नागों की पूजा करे उसे कभी नाग के डसने की बाधा न हो । नागिन लड़की को वरदान देकर चली गई । तभी किसान , उसकी स्त्री और दोनों पुत्र जीवित हो गये ।
कालसर्प दोष शान्ति-
श्रावण शुक्ल पक्ष नागपंचमी के दिन सर्प का पूजन व दूध से स्नान और दूध पिलाने का विधान है इस दिन नाग नागिन के पूजन से जीव जन्तु के काटने के बाद विष का भय नही होता है।नाग पंचमी के दिन कालसर्प दोष शान्ति के लिए विशेष शुभ माना गया है।
जिस जातक की कुण्डली में काल सर्प दोष हो उन्हें सर्प के जोड़े का पूजन करने के बाद सर्प देव की आरती करें। पूजन के बाद सर्प जोड़े को बहते पानी या तालाब में विसर्जित करे।
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
प्रणाम
जवाब देंहटाएं