सोमवार, 15 जनवरी 2024

॥ हनुमद्वडवानलस्तोत्रम् ॥

                 ॥ हनुमद्वडवानलस्तोत्रम् ॥ 


                                ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥

यह वाडवानल स्तोत्र सर्वसिद्धि प्रदायक है ।इसके पाठ से मनुष्य की सभी कामनाएं पूर्ण होती है ।

संकल्प: --

ॐ अस्य श्रीहनुमद्वडवानलस्तोत्रमंत्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः, श्रीवडवानल हनुमान् ,देवता , मम् समस्तरोगप्रशमनार्थं ,आयुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्ध्यर्थं   समस्तपापक्षयार्थम् सीतारामचंद्र  हनुमद्वडवानलस्तोत्रजपमहं  करिष्ये ।।

ध्यान:- 

मनोजवं मारुत तुल्य वेगं ,जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं ।

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं ,श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये ।।

स्तोत्रम --

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहाहनुमते प्रकटपराक्रम सकलदिङमण्डलय - शोवितानधवलीकृत - जगतत्रितय वज्रदेह रूद्रावतार लंकापुरी - दहन उमाअर्गल मंत्र उदधिबंधन दशशिरः कुतान्तक सीताश्वासन वायुपुत्र अंजनीगर्भसंभूत श्रीरामलक्ष्मणानन्दकर कपिसैन्यप्राकार सुग्रीव सहाय रणपर्वतोत्पाटन कुमारब्रह्मचारिन् गंभीरनाद सर्वपापग्रहवारण सर्वज्वरोच्चाटन डाकिनीविध्वंसन ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महावीरवीराय सर्वदुःखानिवारणाय ग्रहमंडल - सर्वभूतमंडल सर्वपिशाचमडलोच्चाटन - भूतज्वर -एकाहिकज्वर- द्व्याहिकज्वर- त्रयाहिकज्वर -चातुर्थिकज्वर -संतापज्वर - विष मज्वर - तापज्वर - माहेश्वरवैष्णवज्वरान् छिंधि छिंधि यक्ष -ब्रह्मराक्षस -भूत - प्रेत - पिशाचान् उच्चाटय उच्चाटय ।

ॐ ह्रां ह्रीं श्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहाहनुमते ॐ ह्रां ह्रीं हूं हैं ह्रौं हः आं हां हां हां हां औं सौं एहि एहि एहि ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ नमो भगवते श्रीमहाहनुमते श्रवणचक्षुर्भूतानां शाकिनी डाकिनीनां विषमदुष्टानां सर्वविषं हर हर आकाशभुवने भेदय भेदय छेदय छेदय मारय मारय शोषय शोषय मोहय मोहय ज्वालय ज्वालय प्रहारय प्रहारय सकलमायां भेदय भेदय ।

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महाहनुमते सर्वग्रहोच्चाटन परबलं क्षोभय क्षोभय सकलबंधन - मोक्षणं कुरू कुरू शिरःशूल - गुल्मशूल - पर्वशूलानिर्मूलय निर्मूलय नागपाशानंतवासुकि - तक्षक - कर्कोटक - कालियान् यक्षकुल - जगत- रात्रिचर - दिवाचर - सर्पा निर्विषान् कुरू कुरू स्वाहा ।

राजभय - चोरभय -परमंत्र -परयंत्र -परतंत्र परविद्याश्छेदय छेदय स्वमंत्र - स्वयंत्र -स्वतंत्रका - विद्याः प्रकटय प्रकटय सर्वारिष्टान्नाशय नाशय सर्वशत्रूनाशय नाशय असाध्यं साधय साधय हुं फट् स्वाहा ।। 

        ॥ इति विभीषणकृतं हनुमद्वडवानलस्तोत्रं संपूर्णम् ॥ 




5 टिप्‍पणियां:

  1. जय हनुमान ज्ञान गुण सागर,जय कपीस तिहूं लोक उजागर
    राम दूत अतुलित बल धामा अंजनी पुत्र पवन सुत नामा।...
    🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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  2. आदरणीय आचार्यवर्य श्रीमान हरीश लखेदजी, सप्रेम हरे कृष्ण। यह हनुमद्वड़वानल स्तोत्र जोकि प्रमाणिक और शास्त्रोक्त है और विभीषण जी कृत है, जीवन में पहली बार पढ़ने का सुयोग मिला तथा पढ़ कर आनंदाम्बुधिवर्धन की विलक्षण अनुभूति हुई। स्तोत्र उपलब्ध कराने के लिये कोटिशः साधुवाद। हरि-गुरु-वैष्णव कृपाकांक्षीजनार्दन त्रिदण्डी भिक्षु जनार्दन महाराज।

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