जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महा द्युतिम्।
तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोस्मि दिवकरम। १ ।।
दधिशंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम् ।
नमामि शशिनं सोमं शाभोर्मुकूट भूषणम् ॥ २ ॥
धरणीगर्भसूम्भूतं विद्युत कान्ति समप्रभम् ।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मङ्गलं प्रणमाम्यहम् ॥ ३ ॥
प्रियंगु कलिकाश्यामं रूपेणापतिमं बुद्धम ।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् ।। ४ ।।
देवानां च ऋषीणां च गुरु काञ्चनसंनिभम् ।
बुद्धि भूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम् ॥ ५ ॥
हिमकुन्द मृणा लाभं दैत्यानां परमं गुरुम् ।
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् ।।६ ।।
नीलाञ्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् ।
छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम ॥ ७ ॥
अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रा दित्य विमर्दनम् ।
सिहिका गर्भसम्भूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् ॥ ८ ॥
पलाश पुष्प सकाशं तारका ग्रहमस्तकम् । ।
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् ॥ ९ ॥
इति व्यास मखोद्गीतं यः पठेत सुसमाहितः ।
दिवा वा यदि वा रात्रो विध्न शांतिर्भविष्यति।।१० ।।
नरनारी नृपाणाम च भवेद दुःस्वप्न नाशनम
ऐश्वर्य मतुलं तेषामारोग्यं पुष्टि वर्धनम ।।११।।
।। महर्षिव्यासविरचितं नवग्रहस्त्रोत्रं सम्पूर्णम।।
आचार्य हरीश चंद्र लखेड़ा
वसई मुम्बई
मो 9004013983
आपको बहुत बहुत धन्यवाद पंडित जी।
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर जानकारी के लिए धन्यवाद पंडितजी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर जानकारी के लिए धन्यवाद पंडितजी
जवाब देंहटाएंभाई जी नवग्रहों की आरती भी प्रकाशित करें ।
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