बुधवार, 15 जुलाई 2020

माँ देवी भगवती की मंत्र स्तुति


माँ पराम्बा भगवती राज राजेश्वरी बालात्रिपुरसुन्दरी श्रीमहाकाली,महालक्ष्मी,महासरस्वती माँ करुणामयी,दयामयी ,क्षमामयी,कृपामयी,ममतामयी चराचर की स्वामिनी माँ जगदम्बा को कोटि कोटि प्रणाम ।।

नित्य पूजा में आरति पुष्पांजलि द्वारा माँ कुलदेवी को प्रसन्न करें।माँ सबकी मनोकामना पूर्ण करती है। 

                 ।।प्रार्थना ॥

ततो मन्त्रपुष्पाञ्जलिसमर्पणानन्तरं प्रार्थयेत् - 


ॐ महिषघ्नी महा माये चामुण्डे मुण्डमालिनि । 

आयुरारोग्य विजयं देहि देवि नमोऽस्तु ते ॥ १॥ 

भूत प्रेत पिशाचेभ्यो रक्षोभ्यः परमेश्वरि । 

भयेभ्यो मानुषेभ्यश्च दैवेभ्यो रक्ष मा सदा ॥ २ ।। 

सर्वमङ्गल मङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । 

उमे ब्रह्माणि कौमारि विश्वरूपे प्रसीद में ॥ ३ ॥ 

कुंकुमेन समालब्धे चन्दनेन विलेपिते । 

बिल्वपत्र कृतापीड़े दुर्गे त्वां शरणं गतः ॥ ४ ॥ 

गतं पापं गतं दुःखं गतं दारिद्यमेव च । 

आगता सुखसम्पत्तिः पुण्याच्च तव दर्शनात् ॥ ५॥

हर पापं हर क्लेशं हर शोकं हरासुखम् । 

हर रोगं हर क्षोभं हर मारी हरप्रिये ॥६ ॥ 

कायेन मनसा वाचा कर्मणा यत्कृतं मया । 

ज्ञाना ज्ञान कृतं पापं दुर्गे त्वं हर दुर्गतिम् ॥ ७ ॥ 

दुर्गे त्वत्प्रज्ञया नित्यं कृता पूजा तवा ज्ञया । 

स्थिरा भव गृहे ह्यस्मिन् मम सौख्यकरी भव ॥ ८ ॥


श्री दुर्गा जी की स्तुति 💐💐💐


जय जय त्रिभुवन वन्दिनी,गिरिनन्दिनि हे गिरिनन्दिनि हे।              

                 असुर निकन्दनी ,मातु जय जय शम्भूप्रिये ।।


त्रिगुण शक्ति निज धारणि,शुभकारिणि हे,शुभकारिणि हे।                  

                      भक्त उधारन मातु जय जय शम्नुप्रिये ।।


मधु कैटभ संहारिणी ,सुरतारिणी हे,सुरतारिणि हे।


          महिष विदारिणी मातु जय जय शम्भूप्रिये ॥


धूम्रविलोचनी,मोचिनि,त्रयलोचनि हे,त्रयलोचनि हे,।


             दुःख विमोचनी मातु जय जय शम्भूप्रिये।।


चण्ड मुण्ड भट मर्दिनि सुविलासिनि हे,सुविलासिनि हे ।                

               मन्द हसनि शुर मातु, जय जय शम्भूप्रिये।। 


रक्तबीज रुधिरासिनि , भयनासिनि हे . भयनासिनि हे।                    

                भूधर वासिनि मातु . जय जय शम्भूप्रिये।।


शुम्भ निशुम्भ विभंजनी , रिपुगंजनि हे, रिपुगंजनि हे।                 

            शिव मन रंजनी मातुम जय जय शम्भुप्रिये । ।


धरणीधर वरदायिनि , वरदायिनि हे, वरदायिनि हे।                      

              मृगरिपु वाहन मातु जप जय शम्भुप्रिये।। 


भूल चूक सब कर क्षमा करुणामयी हे, करुणामयी हे।               

          शिर पर रख माँ हाथ मातु जय जय शम्भूप्रिये।।


दुर्गे  दुर्गति नाशिनि , दुर्मति हरिये, दुर्मति हरिये । 


            शुद्ध बुद्धि दे मातु जय. जय शम्भुप्रिये।।

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