रविवार, 1 नवंबर 2020

करकचतुर्थी अर्थात् करवा चौथ व्रत कथा।

 करकचतुर्थी अर्थात् करवा चौथ 

( कार्तिक कृष्णा चतुर्थी)

करवा चौथ के व्रत से ही धार्मिक रूप में प्रारंभ हो जाता है।कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेशजी और चन्द्रमा का व्रत किया जाता है , परन्तु इनमें सर्वाधिक महत्व है करवा चौथ का व्रत अटल सुहाग और पति की दीर्घ आयु के लिए प्रत्येक सुहागिन स्त्री करती है यह व्रत पटरे पर पूजन सामग्री और मिट्टी के करवों में जल भरकर महिलाएं भगवान शिव - पार्वती , कार्तिकेय , चन्द्रदेव और अन्य सभी देवी - देवताओं की पूजा करती हैं तथा चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करती हैं । घरों में प्रायः खीर - पूड़ी- हलवा आदि बनाया जाता है और एक उत्सव के रूप में पूर्ण किया जाता है महिलाओं द्वारा इस व्रत को । 

पूजन व वायना 

करवा चौथ सुहागिन औरतों का व्रत है , पुरुष और कुंवारी लड़कियां इस व्रत को नहीं करते । इस व्रत में दिन में पानी भी नहीं पिया जाता । चन्द्रोदय के कुछ पूर्व एक पटरे पर कपड़ा बिछाकर अथवा बालू से बेदी बनाकर उस पर मिट्टी से शिवजी , पार्वतीजी , कार्तिकेयजी और चन्द्रमा की छोटी - छोटी मूर्तियां बनाते हैं । आजकल करवा चौथ पूजन के छपे हुए पोस्टर भी आते हैं । नगरों में महिलाएं प्रायः इन्हें दीवार पर चिपका कर पूजा कर लेती हैं ।

 पटरे के पास पानी से भरा लोटा और करवा रखकर करवाचौथ की कहानी सुनी जाती है । कहानी सुनने के पूर्व करवे पर रोली से एक सतिया बनाकर उस पर रोली से तैरह बिन्दियाँ लगाई जाती है। गेहूं के तेरह दाने हाथ में लेकर कहानी सुनी जाती है और चांद निकल आने पर चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात स्त्रियां भोजन करती है। सामान्य रूप से एक कटोरे में चीनी भरकर और उस पर रुपए रखकर करवा चौथ का बायना निकाल कर सास , बड़ी ननद या जिठानी को दिया जाता है । जिस वर्ष लड़की की शादी होती है उस वर्ष मायके से चौदह चीनी के करवों , बर्तनों , कपड़ों और गेहूं आदि के साथ विशेष बायना भी आता है ।

उजमन -- करवा चौथ के उजमन में एक थाल में तेरह जगह चार - चार पूड़ियां रखकर उनके ऊपर सूजी का हलुवा रखा जाता है । इसके ऊपर साड़ी - ब्लाउज और सामर्थ्यानुसार रुपए रखे जाते हैं । हाथ में रोली - चावल लेकर थाल के चारों ओर हाथ घुमाने के बाद यह बायना सासूजी को दिया जाता है । तेरह सुहागिन ब्राह्मणियों को भोजन कराने के बाद उनके माथे पर बिन्दी लगाकर और सामर्थ्यानुसार सुहाग की वस्तुएं एवं दक्षिणा देकर विदा कर दिया जाता है । लोकव्यवहार में प्रायः ही पूड़ी - हलुवा तो भोजन करने वाली ब्राह्मणियों को परोस दिया जाता है और साड़ी - ब्लाउज व रुपए सासूजी को दे देते हैं । यह सिद्धान्त से अधिक व्यावहारिक सुविधा की बात है । 

कथा--

 करवा चौथ के व्रत में गणेश जी से संबंधित कोई कहानी तथा लोक प्रचलित अन्य कोई कहानी भी महिलाएं कहती हैं , वैसे इसकी विशिष्ट कहानी इस प्रकार है ।

प्राचीन काल की बात है । करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ नदी किनारे के एक गांव में रहती थी । एक दिन उस पतिव्रता स्त्री करवा का पति नदी में स्नान करने गया । नदी में स्नान करते समय एक मगर ने उस व्यक्ति का एक पैर पकड़ लिया । इस पर वह व्यक्ति ' करवा ' करवा ' कहकर चिल्लाता हुआ ,अपनी पत्नी को चिल्ला - चिल्लाकर सहायता के लिये पुकारने लगा । अपने पति की आवाज को सुनकर करवा भाग कर अपने पति के पास आ पहुंची और आकर मगर को कच्चे धागे से बांध दिया ।

 मगर को सूत के कच्चे धागे से बांधने के बाद करवा यमराज के यहां जा पहुंची और यमराज से बोली--हे प्रभु एक मगर ने नदी के जल में मेरे पति का पैर पकड़ लिया है । उस मगर को मेरे पति का पैर पकड़ने के अपराध में मारकर आप अपनी शक्ति से उसे नर्क में ले जाओ । करवा की बात सुनकर यमराज बोले ,अभी मगर की आयु शेष है अतएव आयु रहते हुए मैं असमय मगर को मार नहीं सकता । इस पर करवा बोली यदि मगर को मारकर आप मेरे पति की रक्षा नहीं करोगे तो मैं शाप देकर आपको नष्ट कर दूंगी ।

 करवा की धमकी सुनकर यमराज डर गये । वे उस पतिव्रता स्त्री करवा के साथ वहां आये जहां मगर ने उसके पति का पैर पकड़ रखा था । यमराज ने मगर को मार कर यमलोक पहुंचा दिया और करवा के पति की प्राण रक्षा कर उसे दीर्घायु प्रदान की । करवा ने पतिव्रत बल से अपने पति की प्राण रक्षा की थी । इस चमत्कारिक घटना के दिन से करवा चौथ का व्रत करवा के नाम से प्रचलित हो गया । जिस दिन करवा ने अपने पति के प्राण बचाये थे उस दिन कार्तिक के कृष्ण पक्ष की चौथ थी । हे करवा माता ! जैसे आपने अपने पति की प्राण रक्षा की वैसे ही सबके पतियों के जीवन की रक्षा करना ।

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3 टिप्‍पणियां:

  1. This gorgeous karwachauth thali set is ideal to make the rituals look graceful. It’s beautifully handcrafted and worth adding to the pooja essentials.

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  2. Celebrating Karwa Chauth Vrat Puja is a beautiful tradition that symbolizes love, devotion, and togetherness. At Cottage9, we honor this sacred festival by offering unique spiritual collections that enhance the festive spirit. From traditional idols to divine decor, every piece reflects grace and devotion, making your puja more special. Karwa Chauth is not just a ritual; it’s a bond of trust and blessings between husband and wife. Let’s embrace this occasion with prayers, positivity, and love. Share your experiences and let Cottage9 be a part of your cherished celebrations. Wishing everyone joy, harmony, and prosperity this Karwa Chauth!
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